मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

ड्रीम लाइनर और एयर इंडिया

                   एयर इंडिया को २००८ में मिलने वाले बोईंग ड्रीमलाइनर विमान के देर से ही मिलने के बाद जिस तरह से उनके परिचालन को लेकर उत्साह देखा जा रहा है उससे यही लगता है कि शायद आने वाले समय में इससे कुछ बचत और अच्छी सेवाएं दे पाने में यह राष्ट्रीय कम्पनी सफल हो पाए. १९ सितम्बर से इसके नई दिल्ली- चेन्नई मार्ग पर उड़ान भरने के साथ ही भारत की व्यावसायिक उड़ानों में इसका उपयोग शुरू हो जायेगा. एयर इंडिया जो कि अन्य एयर लाइन्स की तरह ही संकट से जूझ रही है अगर अपने आर्डर के अन्य विमान भी जल्दी ही पा जाती है तो उसके लिए वित्तीय मोर्चे पर यह एक कामयाबी की दास्तान लिखने वाला अध्याय हो सकता है. बहुत दिनों के बाद जिस तरह से इस विमान के औपचारिक उद्घाटन के समय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह के साथ पूर्व मंत्री शाहनवाज़ हुसैन और राजीव प्रताप रूडी भी साथ रहे यह देश की वर्तमान राजनैतिक स्थिति में एक सुखद घटना ही रही क्योंकि जिस तरह से इन पूर्व मंत्रियों को बुलाया गया और उन्होंने भी कार्यक्रम में भाग लिया वह विद्वेष की राजनीति के इस दौर में अपने आप में ही एक खबर है.
              एयर इंडिया के साथ आज के समय में जिस तरह से कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है उसे देखते हुए पूर्व मंत्रियों के साथ मिलकर अगर आने वाले समय के लिए कोई रूप रेखा बनाई जाए तो उससे इसका बहुत कल्याण हो सकता है क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि किसी मंत्री द्वारा शुरू की गयी बहुत सारी अच्छी बातें और परिवर्तन उनके मंत्री पद से हटते ही बंद हो जाती हैं ऐसे में अगर पूर्व मंत्रियों के साथ इस तरह का सामंजस्य बिठाया जा सके तो देश के लिए बहुत अच्छा होगा. केवल एक मंत्रालय तक ही यह बात सीमित नहीं रहनी चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति कभी किसी पद पर रह चुका है निश्चित तौर पर उसका कुछ अनुभव भी रहा होगा और यदि देश हित में उसके अनुभवों का उपयोग भी किया जाये तो इसमें क्या नुक्सान हो सकता है ? कई बार राजनैतिक कारणों से भी इस तरह के प्रयास अच्छे ढंग से नहीं चल पाते हैं पर अब देश में शासन करने के स्थान पर केवल देश हित की बातें सोचने का समय है. नीतियों के निर्धारण के समय अगर क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञों की राय भी की जाएँ तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और राजनैतिक मजबूरी के चलते हमारे नेता कई बार ऐसे अवसरों को खो दिया करते हैं.
                भारतीय विमान उद्योग जिस तरह से संकट ग्रस्त है और ऐसी स्थिति में विमानन कर्मचारी ही बहुत तेज़ी से इस उद्योग को नष्ट करने में लगे हुए हैं उससे भी समस्या का समाधान निकालने में दिक्कत होती है, ये कर्मचारी यह भूल जाते हैं कि आज जब देश में विमानन उद्योग को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा सकता है तो उनकी असमय होने वाली हड़तालों के कारण भी आने वले समय में काम करने की परिस्थितियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है ? केवल उनके द्वारा की जाने हड़ताल से कुछ भी नहीं होने वाला है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के इस युग में जब तक देश के लिए सोचने की संस्कृति विकसित नहीं की जाएगी तब तक पूरे दृश्य कि बदलने में किसी भी तरह की सफलता नहीं मिल पायेगी ? एयर इंडिया और निजी क्षेत्र की विमानन कम्पनियों के प्रबंधन को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कर्मचारियों के हितों की किसी भी स्तर पर अनदेखी न होने पाए क्योंकि जिन कर्मचारियों के भरोसे कम्पनी को लाभ में ले जाने के सपने देखे जाते हैं उनको नाराज़ रखकर सब ठीक कैसे हो सकता है ? पूरे विमानन परिदृश्य को अपने में बदलाव लाने के प्रयास करने के लिए प्रयासरत होने की आवश्यकता है क्योंकि नए और किफायती विमानों के आने मात्र से ही सब कुछ बदलने वाला नहीं है.           
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