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गुरुवार, 8 नवंबर 2012

ओडिशा और नक्सली

            ओडिशा के पुलिस प्रमुख प्रकाश मिश्रा ने अपने राउरकेला दौरे पर जिस तरह से यह कहा कि अब उनके राज्य में ८ जिले नक्सलियों से मुक्त हो गए हैं वह निश्चित तौर पर अच्छी ख़बर है पर इस तरह की ख़बरों को लोगों के सामने कहने से नक्सली इसे चुनौती के रूप में भी ले सकते हैं और इन्हीं में से किसी जिले में आतंकी गतिविधि को अपना मनोबल बनाये रखने के लिए अंजाम दे सकते हैं. यह सही है कि इस तरह के छद्म युद्ध को लड़ना किसी के लिए भी मुश्किल होता है और हमारे देश जैसी विषम परिस्थिति कहीं और नहीं देखने को मिलती हैं जहाँ नेता अपने हितों को साधने के लिए किसी भी तरह के देश विरोधी तत्वों की सहायता लेने से भी नहीं चूकते हैं तो उन परिस्थितियों में पुलिस के लिए काम करना और भी मुश्किल हो जाता है. प्रकाश मिश्रा का यह कथन सही ही प्रतीत होता है क्योंकि अब ओडिशा में नक्सली गतिविधियाँ उस स्तर पर नहीं दिखाई देती हैं फिर भी पुलिस को पूरे प्रदेश से इसे समाप्त करने के लिए प्रयासरत रहने की ज़रुरत है.
               राज्य सरकार ने भले ही सख्ती से या नया तरह के कार्यों के द्वारा अगर इस समस्या से मुक्ति पाने की योजना के तहत अगर यह उपलब्धि हासिल की है तो अब उसको आगे बढ़ने की आवश्यकता है क्योंकि जिस तरह से यह अभियान चलता है उसमें कई बार निर्दोषों के हताहत होने की ख़बरें भी आती रहती हैं जिससे नक्सलियों को सरकारी तंत्र के खिलाफ माहौल बनाने का मौका भी मिलता है. ऐसी परिस्थिति में अब जब ज़मीनी स्थिति में कुछ सुधार हो रहा है तो इन ज़िलों में विकास कार्यों को अविलम्ब प्राथमिकता से कराये जाने की ज़रूरत है क्योंकि जब स्थानीय निवासियों के पास रोज़ी रोटी का संकट नहीं रहेगा तब ही वे राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ाव महसूस कर पायेंगें. इसके लिए अब राज्य सरकार को इन ज़िलों के दुर्गम स्थानों तक अपनी पहुँच आसान बनाने के लिए सड़कों का निर्माण पूरी सावधानी के साथ करना चाहिए जिससे आने वाले समय में इन स्थानों तक लोगों को विकास की गति समझने का अवसर भी मिल सके और वे विकास की योजनाओं में हिस्सा लेकर अपने लिए कुछ करना भी सीख सकें.
                पुलिस प्रमुख ने हो सकता है कि नक्सलियों पर किसी मनोवैज्ञानिक दबाव को बनाने के लिए ही इस तरह का बयान दिया हो पर अभी तक यह देखा जाता हैं कि इस तरह की बयानबाज़ी के बाद ही आतंकी या नक्सली कोई बड़ा हमला करके अपनी उपस्थिति दिखाने का प्रयास करते हैं. अब जब दीपावली के त्यौहार के कारण पुलिस बल अन्य तरह की ड्यूटी में व्यस्त रहने वाले हैं ऐसे में इसी भी नक्सली हमले से उनकी तैनाती पर भी असर पड़ सकता है ? पुलिस को सख्ती के साथ अपने मानवीय स्वरुप को नहीं खोना चाहिए क्योंकि जिस तरह से अशांत क्षेत्रों में पुलिस के ख़िलाफ़ आतंकी या नक्सली आक्रोश का माहौल बना देते हैं उसे भी ख़त्म करने की ज़रुरत है. अब ओडिशा पुलिस को राज्य के विकास में अपने योगदान को निभाने का समय आ गया है और उसे अपने उस मानवीय चेहरे को इन जिलों में जनता के सामने लाने की आवश्यकता है जो यहाँ के लोगों में विश्वास को लौटाने का काम कर सकें. मनोवैज्ञानिक तरीक़े से नक्सलियों पर बढ़त बनाने की कोशिश भी की जा सकती है पर उसके लिए पूरी तैयारी भी आवश्यक है.       
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