मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 13 जनवरी 2013

महाकुम्भ मेला और आतंकी

                     प्रयाग में हो रहे महाकुम्भ के बारे में अभी तक जो भी तैयारियां चल रही हैं उनमें किसी तरह की कोई बड़ी कमी नहीं पायी गयी है इससे जहाँ सरकार और प्रशासन के साथ सुरक्षा में लगे हुए पुलिस बल का मनोबल ऊंचा हुआ है वहीं इस पुण्य पर्व की ५५ दिन लम्बी अवधि पर सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं भी बनी ही रहेंगीं. जिस तरह से पाक के साथ सीमा पर अचानक ही तनाव बढ़ रहा है और पाक पिछले वर्ष दिसंबर से ही लगातार अकारण सीमा पर युद्ध विराम का उल्लंघन करके आतंकियों को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कराने के लिए भेजने की कोशिशें करता रहा है तो उसमें हो सकता है कि उसे कुछ सफलता भी मिल गयी हो क्योंकि घने कोहरे और बर्फ़बारी के बीच जिस तरह से दुर्गम इलाक़ों में गश्त का काम बहुत कठिन हो जाता है उस परिस्थिति में सीमा को सुरक्षित रखना भी अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है. यह भी संभव है कि कुम्भ में किसी गड़बड़ी को फ़ैलाने के लिए ही इस तरह से पाक के प्रयास चल रहे हों क्योंकि पाक के मंसूबे किसी से भी छिपे नहीं है और जब इतना बड़ा आयोजन चल रहा है तो आतंकी अपनी घटिया हरकत करने के लिए कोई अवसर तो तलाश ही सकते हैं ?
                    जब देश में कहीं भी इतनी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं तो उसमें सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं बढ़ ही जाती हैं क्योंकि आतंकियों के लिए भीड़ में इस तरह की हरकतें करना मुश्किल नहीं है और लाखों के जन समुद्र में आतंकियों को पहचान पाना भी अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है. वैसे तो जिस स्तर पर सुरक्षा की गयी है उसमें वे किसी बड़ी घटना को तो आसानी से अंजाम नहीं दे पाएंगें पर मेला क्षेत्र में अफवाहें फैलाकर भगदड़ मचाने का प्रयास वे अवश्य ही कर सकते हैं. इसके लिए प्रशासन को पहले से ही तैयार रहना चाहिए और बड़े स्नान पर्वों पर समय अनुपालन का ध्यान भी रखना चाहिए जिससे समय की कमी के कारण भीड़ का दबाव प्रशासन पर न बने और व्यवस्था में बाधा आये जिसका लाभ किसी भी स्तर पर कोई समाज विरोधी तत्व उठा सकें ? किसी भी तरह से पुलिस को इस बात पर अधिक ध्यान रखना ही होगा कि कहीं पर भी भीड़ अव्यवस्थित न होने पाए और साथ ही आपातकालीन प्रबंधों को हर बड़े स्नान से पहले हर बार जांचा अवश्य जाए जिससे किसी भी विषम परिस्थिति में आपदा प्रबंधन सुचारू ढंग से किया जा सके.
                    साथ ही एक बात का ध्यान और भी रखा जाना चाहिए कि बड़े पर्वों पर अति विशिष्ट और विशिष्ट लोगों को संगम पर स्नान करने के लिए स्वतः ही नहीं आना चाहिए क्योंकि जब इस तरह से उच्च सुरक्षा प्राप्त लोग मेला क्षेत्र में आते हैं तो प्रशासन का पूरा ध्यान उनकी सुरक्षा पर ही लगा रहता है जिससे यातायात रोकने से कहीं न कहीं भीड़ बढ़ती है और सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं. इन महत्वपूर्ण लोगों के आने जाने के बारे में पूरी तरह से सूचना गोपनीय ही रखी जानी चाहिए जिससे किसी भी अन्य श्रद्धालु को यह आसानी से नहीं पता चल पाए कि उनके साथ कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति भी स्नान के लिए आया हुआ है क्योंकि कई बार इन लोगों को एक बार देख लेने की कोशिश भी कहीं न कहीं से समस्या का कारण बन जाया करती है. आतंकियों के ख़तरे के साथ यदि हम इन छोटी छोटी बातों को भी निरन्तर ध्यान में रखेंगें तो पूरी तरह से इस महापर्व को सुरक्षित कर पाएंगें जिससे आस्था के साथ संगम तट पर आने वालों को पूरी सुविधा और सुरक्षा मिल सकेगी. जिस तरह से पाक समर्थित आतंकी संगठन भारत पर हमला करने की बातें अचानक ही करने लगे हैं उस स्थिति में अब सभी को और सचेत होकर काम करने की ज़रुरत है क्योंकि आतंकियों के पास मानवीयता नाम की कोई भावना नहीं होती है.           
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