मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 23 जनवरी 2013

अब वोट की भी रसीद

                                हो सकता है कि आने वाले समय में किसी भी चुनाव में वोट देने के बाद मतदाता को एक पर्ची भी मिलने लगे जिससे उसके वोट देने के अधिकार का उपयोग करने का सबूत भी मिल जाया करेगा. अभी तक मतदाता केवल अपनी ऊँगली में लगी हुई स्याही से ही यह दर्शा सकता है कि उसने मतदान किया है. हालांकि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन दुनिया में सबसे सफल साबित हुई हैं फिर भी उनमें पारदर्शिता में कमी के आरोपों के चलते चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर इसमें एक रसीद देने की व्यवस्था का भी प्रयोग कर रहा है. देश के बड़ी आबादी को देखते हुए अब सभी चुनाव इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों से ही करवाए जा रहे हैं और उस स्थिति में किसी बड़े स्तर पर फेरबदल की गुंजाईश को नकारा नहीं जा सकता है क्योंकि देश में भ्रष्टाचार ने जिस तरह से अपने पैर जमा लिए हैं उस स्थिति में कोई कुछ भी कर सकता है ? देश के चुनाव आयोग ने जिस तरह से तकनीक का बेहतर उपयोग करके अभी तक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों से निर्बाध गति से चुनाव कराने में सफलता पायी है वह अपने आप में अनूठा है क्योंकि आज भी विश्व के अधिकांश देशों में चुनाव वही पुराने पर्ची सिस्टम से कराये जाते हैं जिससे बाद में वोटों की गिनती करने में बहुत समस्या हुआ करती है.
                        चुनाव आयोग के इस क़दम से जहाँ एक तरफ और विश्वसनीय चुनाव प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकेगा वहीं आने वाले समय में सरकार इस पर्ची और सबूत का दूसरे क्षेत्रों में उपयोग भी कर सकती है. अभी तक चुनाव से उदासीन मतदाताओं को बूथ तक लाने के सभी प्रयास पूरे होते नहीं दिखते हैं और उस स्थिति में जब अब मतदाता के पास सबूत होने के बाद उससे यह कहा जा सकता है कि किसी भी चुनाव के संपन्न सरकारी सेवा को लेने के लिए उसे पिछले चुनाव में डाले गए वोट की पर्ची संख्या भरनी ही होगी तभी उसे सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा. हर तरह की सब्सिडी तो आम लोगों को चाहिए पर जब देश के लिए सरकार चुनने का समय आता है तो लोग आना-कानी करते हैं. इस तरह से यदि सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सभी तरह की सब्सिडी के साथ वरिष्ठ नागरिकों को भी किसी सुविधा का लाभ लेने के लिए इस तरह की पर्ची संख्या का एक बार उल्लेख करना आवश्यक कर दिया जाए तो इससे स्वतः ही वोट प्रतिशत को बढ़ाया जा सकता है. अभी तक आम भारतीय मध्यम और उच्च वर्ग चुनाव के दिन भी केवल अपने आप में ही व्यस्त रहा करता है जिससे उसे वोट देने की फुर्सत ही नहीं होती तो अब इसको इस तरह दंडात्मक तरीके से बढ़ाने के प्रयास भी किए जाने चाहिए.
                   अभी तक किसी भी राज्य में इन मशीनों के माध्यम से कराये गए किसी भी चुनाव में इस तरह की शिकायत नहीं मिली है कि वहां के प्रशासन ने सरकार की मदद की हो फिर भी इस तरह की और पारदर्शी व्यवस्था यदि आने वाले समय में हो जाती है तो इससे भारतीय लोकतंत्र और चुनाव आयोग में पूरी दुनिया का विश्वास बढ़ने ही वाला है. देश को इस तरह के नए नए प्रयोगों को सदैव करते ही रहना चाहिए क्योंकि इनके माध्यम से ही देश में नयी नयी राहें खुलती रहेंगीं जिससे देश को नए आयाम स्थापित करने में भी मदद मिलेगी. आज आम नागरिक के रूप में हमारी देश और देश के राजनैतिक तंत्र के साथ प्रशासनिक तंत्र से भी बहुत आशाएं लगी रहती हैं पर जब भी कुछ करने का समय आता है तो हम अपनी ज़िम्मेदारी को भूलकर घरों में क़ैद होकर रह जाते हैं. देश में इस तरह के सुधारों के साथ वोटिंग प्रक्रिया में भी सुधार किए जाने की आवश्यकता है और आने वाले समय में चुनाव आयोग द्वारा इन्टरनेट और मोबाइल के द्वारा वोट देने के बारे में भी सोचना चाहिए जिससे मतदान केन्द्रों पर लगने वाली भीड़ को कम कर व्यवस्था को और सुचारू ढंग से चलाया जा सके. आने वाले समय में हो सकता है कि आयोग अपने खर्चे को कम करने और वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रयासों पर भी विचार करे.                 
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. हा हा, आप भी कभी कभी गजब के सुझाव दे देते हैं. देश में अनिवार्य वोटिंग हो नहीं पाई और सुविधा वोट डालने पर... कितना दुरुपयोग होगा इस का, इस पर गौर किया है.

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