मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 11 मार्च 2013

कानून का यह स्वरुप ?

                                   डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनल एंड ट्रेनिंग डाटा द्वारा जारी की गई के सूची से यह बात सामने आई है कि देश में कानून का अनुपालन और संविधान के अनुसार काम करने के लिए ज़िम्मेदार भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक हज़ार से अधिक अधिकारियों ने अपने सालाना अचल संपत्ति रिटर्न को नहीं भरा है जिससे एक बार फिर से यही साबित होता है कि जब इन लोगों के मन में कानून का यही सम्मान है तो आम लोगों को किस तरह से ये कानून का अनुपालन करने के लिए प्रेरित कर सकेंगें ? कानून की धज्जियाँ उड़ाने में माहिर यूपी ने यहाँ भी बाज़ी मार ली है क्योंकि उसके १४७ अधिकारियों ने यह रिटर्न नहीं जमा किया है जब पूरे प्रदेश में हर तरफ अराजकता ही है तो किसी एक वर्ग विशेष से सही ढंग से कार्य करने की आशा भी नहीं की जानी चाहिए. यह रिटर्न भरना आवश्यक होने के साथ ज़िम्मेदारी भरा भी होता है क्योंकि इसके माध्यम से ही इन अधिकारियों पर सरकार नज़र रख पाने में सफल हो सकती है और उनके भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बारे में जानकारी भी हासिल करती है पर यह सब कायदे कानून केवल उनके लिए हैं जो ईमानदारी से अपनी नौकरी करने में लगे हुए हैं.
                             इस रिटर्न के प्रति वर्ष ३१ जनवरी की समय सीमा में जमा करना आवश्यक होता है और ऐसा कर पाने में विफल रहने पर अधिकारियों की प्रोन्नति तक रोके जाने का प्रावधान भी संविधान में किया गया है पर इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों द्वारा नियमों की अवहेलना करके अपने अनुसार नियमों को घुमाने के इस प्रयास के बाद सरकार कितने लोगों पर इस तरह की कार्यवाही कर पाने में सफल हो सकेगी यह भी देखने का विषय ही होगा. इसे प्रोन्नति से ही जोड़े जाने के स्थान पर अधिकारियों को आर्थिक रूप से भी दण्डित किए जाने का प्रावधान भी किया जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में इस नियम की अवहेलना करना इतना आसान भी नहीं रह जाए ? देश की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा में यदि इस तरह से काम किया जाने लगेगा तो इनसे किस तरह के काम की उम्मीद देश कर सकता है क्योंकि जब ये अपनी सेवा से जुड़े हुए मसले में इतने लापरवाह या जा बूझकर ऐसी हरकतें कर सकते हैं तो उनके लिए और क्या दंड भी निर्धारित किया जा सकता है यह भी भविष्य के गर्भ में ही है.
                              इस समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले उन अधिकारियों के बारे में जानकारी जुटानी चाहिए जो किसी भी परिस्थिति में नियमपूर्वक काम करने को प्राथमिकता देते हैं और अपना काम कर्तव्यनिष्ठा के साथ किया करते हैं उन्हें ही महत्वपूर्ण विभाग सौंपे जाने चाहिए और उनकी प्रोन्नति आदि के मसले पर भी समय रहते विचार कर एक नई परंपरा बनाई जानी चाहिए  जिससे अन्य अधिकारियों पर इस बात का दबाव भी बन सके और वे भी कानून के अनुपालन से लाभ पाने वाले अधिकारियों के समान नियमों की अवहेलना करने के स्थान पर उनके अनुपालन पर ध्यान देना सीख सकें ? किसी विशेष परिस्थिति में इस तरह के नियम में छूट दी जा सकती है पर हर वर्ष इस तरह की हरक़त करने वाले अधिकारियों की सूची को बाकायदा अख़बारों में प्रकाशित किया जाना चाहिए जिससे जनता के सामने भी इनकी सच्चाई आ सके और जनता भी इनकी घोषित अघोषित संपत्तियों पर खुद नज़र रखने का काम कर सके. क़ायदे से नियम तो ऐसे होने चाहिए जिनके माध्यम से पूरी व्यवस्था पर जनता की पकड़ भी बनी रहे जिससे केवल कानून के भय के चलते ही सही दिशा में काम करने के लिए इन अधिकारियों को बाध्य करने के साथ ही इनके बारे में सभी को जानकारी भी मिल सके. जब देश में नेताओं द्वारा अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो अधिकारियों के लिए भी कुछ ऐसा ही होना चाहिए.         
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें