मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 19 मार्च 2013

इटली की हेकड़ी

                                भारतीय कोर्ट में हत्या के मुक़दमे का सामना कर रहे इटली के नौसैनिकों के मामले में जैसे इटली ने अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन किया है उसके बाद यह कहा ही जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जिस तरह से उसके राजदूत को तलब किया है वह किसी भी दशा में अनुचित नहीं है. सबसे पहले जिस तरह से और जिन परिस्थितियों में नौसैनिकों ने मछुआरों को मार डाला उनकी विवेचना और अन्य कारणों पर जब केरल कोर्ट में केस चल रहा था और आवश्यकता पड़ने पर भारतीय कानून और सरकार द्वारा उनके अधिकारों का पूरी तरह से सम्मान भी किया जा रहा था तब इटली द्वारा इस तरह की हरक़त किया जाना केवल सम्बन्ध ख़राब करने की एक पहल ही कहा जा सकता है. इस पूरे मामले में जिस तरह से कुछ राजनैतिक दल सरकार पर आरोप लगा रहे हैं उसका कोई मतलब नहीं बनता है क्योंकि सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद ही इन नौ सैनिकों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए स्वदेश जाने की छूट दी थी. कानून के अनुसार चलने की भारतीय मंशा पर जिस तरह से जिन भी परिस्थितियों में इटली ने पानी फेरने का काम किया है वह अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार भी सही नहीं कहा जा सकता है.
                                 आज इटली की सरकार जिस तरह से भारत को १९६१ के वियना समझौते की याद दिला रही है उस परिस्थिति में लगता है उसे भारतीय कानून, संविधान और सरकार चलने की प्रक्रिया के बारे में बहुत कम जानकारी ही है क्योंकि ऐसे किसी भी समझौते का अनुपालन न करने के लिए क्या भारत ही दोषी है और जिस तरह से इटली भारत को कोरी सीख दे रहा है उससे यही लगता है कि वहां की सरकार केवल दबाव की राजनीति के माध्यम से ही इस मसले को निपटाना चाहती है जबकि कानूनों के अनुपालन की ज़िम्मेदारी उसकी पहले बनती है क्योंकि उसके नौ सैनिकों द्वारा ही पहले हत्या की गयी थी ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि इटली भारतीय कानून को कमज़ोर समझ रहा है और आने वाले समय में वह इस तरह की दबाव की कोशिशों के माध्यम से कुछ हासिल करना चाहता हो जब उसे भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से ही उसके नौ सैनिकों को वोट देने के अधिकार का उपयोग करने की छूट मिली तो वह आख़िर किस तरह से अब सर्वोच्च न्यायलय पर ऊँगली उठा सकता है ?
                                      कहीं ऐसा तो नहीं है कि वहां की कोर्ट और आज की परिस्थितियों में इटली सरकार हेलीकाप्टर घोटाले की तह तक पहुँचने में लगी हुई भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय की कोशिशों पर इस माध्यम से पानी फेरना चाह रहे हैं क्योंकि इटली जैसे देश के लिए इतने बड़े सौदे का रद्द होना भी कम झटका नहीं होगा ? अभी तक जिस तरह से इटली द्वारा पूरी तरह से भारत सरकार का सहयोग किया जा रहा था उसमें अचानक ही इतना बड़ा परिवर्तन आख़िर कैसे आ गया यह सोचने का विषय है अगस्ता वेस्टलैंड में इटली सरकार भी शामिल है तो कहीं इटली के मन में भारत से इस तरह से बदला लेने की मंशा तो नहीं पनप रही है ? मसला कुछ भी पर अब जब इस मसले पर कोर्ट और सरकार का रुख सामने आ चुका है तो अब केवल देश के हित और अपराधियों को भारत सौंपने की बात ही की जानी चाहिए किसी भी तरह से ऐसा कुछ भी नहीं प्रदर्शित किया जाना चाहिए जिससे लगे कि भारत ऐसे समय में भी एक सुर में नहीं बोल सकता है. कोर्ट के आदेशों का अनुपालन कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है और जब तक सरकार यह काम कर रही है तब तक उस पर भी उँगलियाँ नहीं उठाई जानी चाहिए.      
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