मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 10 अप्रैल 2013

किसान क्रेडिट कार्ड- विकास किसका ?

                                 बैंकों द्वारा किसानों को सस्ता कृषि लोन देने के लिए शुरू किए किसान क्रेडिट कार्ड ने निश्चित तौर पर देश में किसानों की समय समय पर पड़ने वाली आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने में बड़ी सफलता पाई है पर अभी हाल ही में एक रिपोर्ट ऐसी भी आई जिसने विवादों के नए पिटारे को खोल दिया और साथ ही देश में उपलब्ध कराये जानी वाली विभिन्न योजनाओं के दुरूपयोग को भी बड़े पैमाने पर सामने लाने का काम किया है. एक विशेष नीति की तहत किसानों को स्थानीय साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए जिस तरह से सरकार ने उन्हें सस्ते ऋण उपलब्ध करने की दिशा में काम किया उससे बहुत बड़े स्तर पर परिवर्तन हुआ हो ऐसा भी नहीं है पर इस सुविधा का लाभ उठाकर किसानों द्वारा अन्य उपभोक्ता वस्तुओं को खरीदने में किए जाने की बात भी सामने आई है. एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मंहगे उपभोक्ता उत्पादों की खरीद क्षमता बढ़ने के कारण देश में मंहगाई बढ़ रही है जिस पर बहुत विवाद हुआ पर साथ ही इस सुविधा के दुरूपयोग पर भी विचार किए जाने की आवश्यकता भी महसूस की गयी है.
                        अभी तक केवल कृषि आधारित खरीद को आवश्यकता पड़ने पर किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम करने जो सुविधा किसानों को दी गई है यदि उससे कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम किया जाए तो देश में किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होगी पर जब इसका दुरूपयोग केवल उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद के लिए ही किया जाने लगे तो आख़िर किस तरह से और किस कानून के तहत बैंक इन कार्डों के इस तरह के दुरूपयोग को रोक पाने में सफल हो सकते हैं ? कृषि क्षेत्र के ऋण को बैंकों की भाषा में बहुत सुरक्षित नहीं माना जाता है और इस तरह से कृषि से इतर क्षेत्र में इस धन की निकासी तो कर ली जाती है जिससे कृषि को तो कोई बढ़ावा नहीं मिलता है पर अन्य उपभोक्ता क्षेत्रों को समर्थन अवश्य मिलता है. इस स्थिति में सरकार और बैंक के पास क्या विकल्प शेष बचते हैं जिन पर अमल कर वे अपने मूल धन को सुरक्षित रख पाने में सफल हो सकें और इस तरह की पूल धनराशि का सही क्षेत्र में उपयोग करवाने के लिए किसानों को और अधिक सुविधाएँ दे पाने में सक्षम हो सकें ?
                        इस स्थिति में सरकार केवल एक ही दिशा निर्देश जारी कर सकती है कि यदि कृषि क्षेत्र से जुडी किसी खरीद को इस कार्ड के माध्यम से किया जा रहा है तो उसे वह लाभ मिलना ही चाहिए जिसके लिए यह योजना बनाई गई है पर यदि किसी अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद में इस धन का दुरूपयोग किया जा रहा है तो बैंक के सॉफ्टवेयर में ही यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वह स्वतः ही खरीद को चेक कर कुछ मंहगी दर पर और नई शर्तों के साथ इस धन को किसानों को उपलब्ध कराए. देखने में यह काम कठिन अवश्य लगता है पर यदि एक बार इस तरह के परिवर्तन के लिए आवश्यकताओं के अनुसार बैंकों में परिवर्तन कर दिया जाये तो इसका दुरूपयोग रोक जा सकेगा. केवल अधिक ब्याज लेने से ही बैंकों का काम आसान नहीं होने वाला है उसके लिए इस राशि की वसूली के लिए और सख्त नियम भी बनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यदि धन की वसूली के ठोस उपायों के बिना ही धन बांटा जाता रहेगा तो किसी भी दशा में बैंक अपनी क्षमता को बनाये नहीं रख पायेंगें जो देश के अन्य क्षेत्रों में बैंकों के धन उपलब्ध कराने की शक्ति पर भी अंकुश लगाने का काम करेगी. देश में सब कुछ ठीक तरह से चलता रहे उसके लिए नीतियों में पारदर्शिता के साथ उन पर अमल करवाने की ठोस व्यवस्था भी किया जाना आवश्यक है.  
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1 टिप्पणी:

  1. करने वालों ने दूसरी सरकारी योजनाओं की तरह इन किसान क्रेडिट कार्ड्स का भी जमकर दुरुपयोग किया है।
    एक सिंपल सी बात देखिये, as per eligibility critria, actual rate of interest applicable on crop loans ranges between 6 to 7% p.a., whereas bank has to provide intt @ 9 to 10% if someone manages to deposit same money in time\fixed deposit with same bank.

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