मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

अमेरिका, मुसलमान और कानून

                      यूपी के बहु-चर्चित और विवादित बयानों को देने में माहिर वरिष्ठ मंत्री मो० आज़म खान के साथ बोस्टन के लोगान एयरपोर्ट पर जिस तरह का व्यवहार किया गया उसके बाद अब भारतीय राजनीति को देखते हुए विवाद होने स्वाभाविक ही हैं क्योंकि अपने को कानून से बहुत ऊपर मानकर कुछ भी कह देने वाले आज़म खान के लिए यह अपने आप में बहुत बड़ा सबक़ है कि कानून क्या होता है और उसके अनुपालन में अमेरिका के किसी भी एअरपोर्ट का आम कर्मचारी भी किसी को भी रोक कर पूछ-ताछ कर सकता है. अमेरिका में किसी भारतीय मुस्लिम के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है क्योंकि अब यह अमेरिकी कानून में है कि किसी भी मुसलमान को देश में प्रवेश देने से पहले सुरक्षा और आव्रजन अधिकारी पूरी तरह से आश्वस्त और सुरक्षित होना चाहते हैं कि उनके प्रवास से अमेरिका को कोई ख़तरा नहीं है. वैसे देखा जाये तो यूरोपीय देशों समेत अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी इसी तरह के कानूनों पर अमल किया जाता है और वहां पर किसी को भी इन कानूनों से छूट नहीं दी जाती है पर भारत में जहाँ कानून को तोड़ना नेताओं और मंत्रियों का शगल है उन्हें वहां पहुंचकर बहुत बड़ा बंधन और बेईज्ज़ती महसूस होती है.
                    इस घटना से आहत होकर आज़म ने अपने अमेरिकी प्रवास को कम कर दिया है और वे जल्दी ही भारत वापस लौट रहे हैं फिलहाल उन्हें कानून की सच्चाई और उस पर अमल कर अमेरिका को सुरक्षित बनाने कि कोशिशों का स्वाद तो अवश्य ही मिल चुका है. इस पूरे मामले में कहीं न कहीं यूपी सरकार और भारतीय दूतावास के बीच सामंजस्य की कमी भी रही है क्योंकि अमेरिका में किसी मुसलमान को कितनी जांचों के बाद ही प्रवेश मिलता है यह सभी जानते हैं फिर भी सरकार ने लापरवाही दिखाई और भारतीय दूतावास का हस्तक्षेप तब कराया गया जब आज़म को रोक लिया गया ? वैसे इस बात पर इतना हो हल्ला मचाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम जहाँ भी जा रहे हैं वहां के नियमों के अनुपालन की ज़िम्मेदारी हमारे पर ही है और यदि कोई नियम हमें अपनी प्रतिष्ठा के विपरीत लगता है तो हमें उस देश में जाने से ही परहेज़ करना चाहिए. फिज़ी में राष्ट्रमंडल देशों के सम्मलेन में भाग लेने जाने के समय पूर्व लोक सभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने ऑस्ट्रेलिया होकर जाने से इसलिए ही मना कर दिया था क्योंकि वे वहां पर होने वाली जांचों को अमानवीय और प्रतिष्ठा को धक्का पहुँचाने वाला मानते थे.
                    बात बात पर देश के कानून को कुछ भी कह देने वाले आज़म खान को इस घटना से यह पता चल ही गया होगा कि भारत में जितनी स्वतंत्रता आम लोगों को मिली हुई है वैसी दुनिया के किसी भी देश में नहीं है और इस बात को आज भी स्वीकार करने में लोगों को हिचक होती है. भारतीय कानून की कमज़ोरी और उसके प्रावधानों का दुरूपयोग करके आज भी देश में विदेशों से बहुत सारे लोग आ जा रहे हैं जो कि आने वाले समय में देश के लिए समस्या ही बनने वाले हैं. इस बात पर पूरी दुनिया के इस्लामी धर्मावलम्बियों को अब यह सोचना ही होगा कि आख़िर ऐसे कौन से कारण हैं जो आज किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति को जांचों से सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते जबकि पहले ऐसा नहीं था ? इस्लाम के सही स्वरुप को आगे बढ़ाने वालों की चुप्पी और कट्टरपंथियों द्वारा इस्लाम की अपनी व्याख्या को आगे बढ़ाने के कारण ही आज पूरी दुनिया में किसी भी पद पर बैठे हुए या आम मुसलमान को दुनिया के कुछ देश संदिग्ध नज़रों से देखते हैं ? अब भी समय है कि इस्लाम के उदारपंथी लोग सामने आएं और कट्टरपंथियों के प्रभुत्व को समाप्त करने का प्रयास करें वरना आने वाले समय में यह घेरा और भी कस सकता है ?    
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