मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 15 मई 2013

मियां नवाज़ और पाक

                  पाकिस्तान में हुए आम चुनावों में जिस तरह से एक बार फिर से नवाज़ शरीफ़ को जनता ने देश की बागडोर सौंपी है उस स्थिति में भारत के साथ उसके संबंधों में किसी बड़े बदलाव की आशा तो नहीं की जा सकती है पर शरीफ़ ने अपने दूसरे और अधूरे कार्यकाल में जिस तरह से अटल सरकार के साथ संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में क़दम उठाने की शुरुवात की थी शायद अब बात उससे आगे भी बढ़ सकने की स्थिति तक पहुँच जाए. दोनों देशों के बीच जिस तरह से सीमओं के साथ ही बहुत सारी अन्य बातें भी न चाहते हुए भी साझा ही हैं उस स्थिति में पाक द्वारा अलग से अपने राग को भारत के विरोध में गए जाने से आज तक उसे कुछ हासिल नहीं हुआ है बल्कि एक शांत और शरियत के आधार पर चलने वाले राष्ट्र का सपना देख कर भारत से गए मुसलमानों को भी आज तक वहां पर अपनाया नहीं गया है और उनको धर्म के नाम पर दिखाए गए सपनों के टूटने का सिलसिला भी भी जारी है. पाक ने अपने जन्म से समय से ही जिन ग़लतियों को करना शुरू किया था उसे अब केवल मज़बूत इच्छाशक्ति के साथ ही बदला जा सकता है.
                    नवाज़ शरीफ़ की इस बार की पारी पहले से तभी भिन्न हो सकती है जब वे सबसे पहले पाक में कानून का राज क़ायम करने की ईमानदार कोशिशें शुरू करें क्योंकि आज पाक में सेना और आतंकियों के अलावा किसी की बात नहीं सुनी जाती है तो उस स्थिति में जब तक परिदृश्य को पूरी तरह से बदलने की बात नहीं की जाएगी और उस पर सख्ती से अमल नहीं किया जायेगा तब तक पाक खुद के साथ ही पूरे दक्षिण एशिया के लिए इसी तरह से बड़ा ख़तरा बना ही रहेगा. पाक में जब तक सरकारी स्तर पर आतंक का पोषण बंद नहीं किया जायेगा तब तक पाक के आन्तरिक सुरक्षा परिदृश्य को नहीं बदला जा सकता है पर इस बड़े क़दम को उठाने के लिए शरीफ़ को सेना को पूरी तरह से विश्वास में लेना ही होगा साथ ही पाक की न्यायपालिका को और अधिक स्वायत्ता और अधिकार देने होंगें जिससे कानून द्वारा लिए गए किसी भी फैसले को किसी कट्टरपंथी के दबाव में बदलने की प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लग सके और दोषियों को सजा मिलना भी शुरू हो सके.
                     पाक का जिस तरह से चीन की तरफ झुकाव बढ़ रहा है उससे भी उसके लिए आने वाले समय में बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते वह एक बार जहाँ जम जाता है वहां से वापस नहीं लौटना चाहता है और इस स्थिति में पाक की वर्तमान सरकार और भविष्य में वहां पर राज करने वालों के लिए एक स्थायी सरदर्द चीन से मिलने वाला है. आने वाले समय में जब भी चीन के आर्थिक हितों पर पाक के कट्टरपंथी या सरकार कब्ज़ा करने की कोशिशें करेंगें तो चीन उनका आक्रामक तरीके से जवाब भी देगा. अभी तक पाक ने केवल चीन की दोस्ती ही देखी है अभी उसके असली स्वरुप का सामने आना बाक़ी है. भारत के साथ बराबरी के आर्थिक रिश्तों से जहाँ पाक को ही अधिक लाभ होने वाला है वहीं उसके यहाँ उन उपभोक्ता वस्तुओं की सुलभता हो सकती है यदि वह भारत के साथ व्यापार में और अधिक मज़बूती लाने की कोशिशों पर अमल करे. भारत के साथ पाक को उतना खतरा कभी भी नहीं है जितना चीन के साथ है. सरकार बदलने के साथ अब पाक के रवैये में कितना बदलाव आता है यह तो समय ही बताएगा फिलहाल नवाज़ के पास इतिहास लिखने का एक अवसर तो आ ही गया है.     
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