मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 12 जून 2013

रेल टिकट और सुविधा

                                            देश की बढ़ती आबादी के बीच किसी भी तरह के संख्या आधारित कामों को करने में आम लोगों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उस पर किसी भी सरकारी विभाग की नज़र आसानी से नहीं जा पाती हैं पर हाल के कुछ वर्षो में रेलवे ने जिस तरह से आईआरसीटीसी के माध्यम से यात्रियों को कुछ सुविधाएँ देने का क्रम लगातार बना ही रखा है वह कई मामलों में यात्रियों के हित में ही है. इसके साथ ही रेलवे पर हमेशा से ही इस बात के आरोप लगते रहते हैं कि आज भी इन्टरनेट के माध्यम से टिकट बुक कराने की किसी भी सुविधा का बहुत लोगों को लाभ तो मिलता है पर इसके तत्काल सिस्टम में कुछ ऐसी गड़बड़ अवश्य है जिसके कारण आम यात्रियों को इस तरह से टिकट खरीदने में पसीने छूट जाया करते हैं पर एजेंटों और दलालों के माध्यम से उन्हीं गाड़ियों में उसी दिन का टिकट घूस देकर कभी भी बन जाया करता है. रेलवे को अपने सिस्टम की इस विसंगति पर भी तत्काल ध्यान देना ही होगा क्योंकि इससे आम यात्रिओं को तो अधिक धन खर्च करना पड़ता हैं और रेलवे को उसका कोई लाभ भी नहीं हो पाटा है. अब १ जुलाई से आईआरसीटीसी के माध्यम से रेलवे ने एक नए सिस्टम को लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली हैं जिससे मोबाइल से भी लोग टिकट बुक करा सकेंगें.
                                            वैसे देखा जाये तो आज भी टिकट खिडकियों पर जिस तरह की भीड़ रहा करती है उससे निपटने का रेलवे के पास कोई प्रभावी उपाय दिखाई नहीं देता है क्योंकि जितनी बड़ी संख्या में रोज़ यात्री रेल में सफ़र करते रहते हैं उनके लिए टिकट खिडकियों से सेवाएं दे पाने में रेलवे लम्बे समय से असफल रहा करती है जिसके परिणाम स्वरुप कई बार लोग एक मात्र ट्रेन होने की दशा में बिना टिकट ही अपनी यात्रा पूरी करने के बारे में सोच लेते हैं जिससे रेलवे की आय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा करता है. अब जब मोबाइल के माध्यम से टिकट बुकिंग शुरू की जा रही है तो उस स्थिति में आम लोगों के लिए अपने लिए साधारण टिकट खरीदना और भी आसान होने वाला है क्योंकि अब लोग घर बैठे ही अपने टिकट को कहीं से भी बुक करा पाने में सक्षम हो सकेंगें जिससे खिड़कियों पर अनावश्यक भीड़ भी समाप्त हो जाएगी और यात्रियों को भी बहुत सुविधा हो जाएगी. इसे जहाँ रेलवे स्टेशन पर भी अनावश्यक भीड़ के दबाव को कम किया जा सकेगा वहीं स्टेशन पर उपलब्ध सुविधाओं में और सुधार भी हो सकेगा.
                                         अभी भी रेलवे को जिस तरह से अपने नेटवर्क का विस्तार करना चाहिए आज भी वह इसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पायी है क्योंकि आज भी रेलवे के पास यात्रियों की संख्या के आधार पर गाड़ियाँ चलने की कोई कारगर नीति नहीं है जिस कारण से भी कई बार लोगों के पास बहुत ही ख़राब परिस्थितियों में यात्रा करने के अलावा कोई दूसरा चारा ही शेष नहीं बचता है. आज भी रेलवे के पास कोई ऐसा तंत्र नहीं है जो विभिन्न व्यस्त मार्गों पर आरक्षण की स्थिति को देखते हुए परिचालन से जुड़े अधिकारियों को यह बता सके कि किसी विशेष मार्ग की गाड़ी में अतिरिक्त कोच या एक अतिरिक्त विशेष रेलगाड़ी की ही आवश्यकता है ? सामान्य रूप से त्योहारों और गर्मियों के समय ही रेलवे द्वारा विशेष रेलगाड़ियों का सञ्चालन किया जाता है जिससे कुछ हद तक राहत तो मिलती ही है पर अभी भी यह व्यवस्था उस स्तर तक नहीं पहुँच पाई है जहाँ से इसका वास्तविक लाभ यात्रियों को मिल सके. रेलवे को अतिरिक्त गाड़ियाँ चलाने के स्थान पर वर्तमान गाड़ियों में आवश्यकता के अनुसार डिब्बों कि संख्या बढ़ाने पर विचार करना होगा क्योंकि टिकट आसानी से न मिल पाने के कारण ही लोग जुगाड़ के माध्यम से टिकट खरीदने को मजबूर हो जाते हैं.     
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4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह रचना कल गुरुवार (13-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  2. इंजन की क्षमता की तुलना में कोच हैं ही नहीं।

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  3. बिलकुल सही कहा आपनें...
    रेलवे को कई दिशाओं में ध्यान देने की आवश्यकता है..

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