मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 2 जून 2013

एलपीजी डीबीटी का प्रारंभ

                                   पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली द्वारा बंगलुरु के निकट तुमकुर सहित १८ जिलों से देश में सरकार की महत्वाकांक्षी  एलपीजी डीबीटी परियोजना का शुभारम्भ करने के साथ एक नया अध्याय जोड़ दिया गया है. देश में सब्सिडी हमेशा से ही राजनीति का ज्वलंत विषय रही है और इस दिशा में मनमोहन सरकार द्वारा जिस तरह से सब्सिडी के दुरूपयोग को रोकने के लिए कड़े क़दम उठाए जा रहे हैं उनमें यह पहला प्रयोग है क्योंकि अभी तक भ्रष्टाचार के कारण देश में करोड़ों घरों में ऐसे फर्जी कनेक्शन चल रहे हैं जिन पर सरकार का कोई अंकुश नहीं रहा है और इस एलपीजी का अनधिकृत रूप से वाहन आदि चलाने में दुरूपयोग किया जा रहा था जिससे सरकार को जहाँ सब्सिडी के रूप में हानि हो रही है वहीं दूसरी तरफ इन वाहनों में सफ़र करने वाले लोगों की जिंदगी भी दांव पर लगती रहती है. इस योजना से जहाँ सरकार को पूरे मसले को नियंत्रित करने की छूट मिल जाएगी वहीं लोगों को एलपीजी की उपलब्धता के लिए डीलर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगें.
                                   इस योजना को केंद्र सरकार जितने बड़े स्तर पर चलाना चाहती है आज भी उसके लिए आज भी उसके पास नागरिकों की पहचान और बैंक खातों को जोड़ने का काम बहुत छोटे स्तर पर ही हो पाया है जिससे भी लोगों को यह सुविधा पहुँचाने के लिए जिस तैयारी और पहुँच की आवश्यकता है वह पूरी नहीं हो पा रही है. इस दिशा में केंद्र के बहुत सारे प्रयास राज्य सरकारों की निष्क्रियता के कारण धीमी गति से चल रहे हैं और यह योजना भी अपने मूर्त रूप में आती नहीं दिख रही है. आधार कार्ड बनाये जाने की सुस्त गति के कारण भी इस योजना को ठीक ढंग से नहीं चलाया जा पायेगा यह बात केंद्र सरकार भी अच्छे से जानती है. इसके लिए अब उसे बैंकों के माध्यम से नागरिकों की बायोमेट्रिक पहचान पक्की करने की दिशा में काम करना ही होगा क्योंकि बैंकों में खाता धारकों को उन्हीं बैंकों से आधार संख्या आसानी से दी जा सकती है और सरकार को इसके लिए प्रयास भी कम करने पड़ेंगें, आधार के लिए आवंटित धन को बैंकों के माध्यम से चुनी गयी एजेंसियों को देना आसान भी होगा.
                                  किसी भी बड़ी परियोजना को पूरा करने से आम नागरिकों को जो भी लाभ होता है देश में उसका राजनैतिक दलों द्वारा श्रेय लिए जाने की होड़ से भी बहुत नुकसान होता है क्योंकि इस परियोजना में कांग्रेस लाभ उठाना चाहती है और अन्य दलों द्वारा शासित राज्य किसी भी परिस्थिति में इसका श्रेय उसे नहीं लेने देना चाहते हैं क्योंकि इससे दोनों की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ता दिखाई देता है ? केवल चुनावी हानि लाभ के चक्कर में देश के संसाधनों का कितना दुरूपयोग सभी दलों द्वारा किया जाता है इसका आज तक कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं उपलब्ध है फिर भी नेता देश का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. आज देश को समग्र रूप से आगे बढ़ाने के लिए एक नयी और स्पष्ट राजनैतिक सोच की बहुत आवश्यकता है और उसके बिना देश को सही दिशा की तरफ नहीं ले जाया जा सकता है पर क्या हमारी राजनैतिक व्यवस्था इस बात को आज समझना भी चाहती है कि देश की उनसे क्या अपेक्षाएं हैं और किन परिस्थितयों में किन विषयों पर देश को किसी भी तरह की राजनाति कि अब आवश्यकता नहीं है ? अच्छा हो कि जनता से जुड़े इस तरह के काम दलगत राजनीति से आगे बढ़कर किये जाएँ जिससे देश और समाज तरकी की राह पर आगे बढ़ सके.    
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