मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 3 जून 2013

ई-सरकार की कोशिश

                             देश में सरकारी काम काज में पारदर्शिता लाने और लोगों के काम को तेज़ी से निपटाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की आवश्यकता के अनुसार स्मार्ट फोन पर चलने वाले एप्लीकेशन की पहली सूची जारी कर दी है जिसके साथ इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुवात हो गयी है जिसके माध्यम से २०१५ तक केंद्र सरकार की देश में सभी कामों को पूरी तरह से महत्वाकांक्षी ई- सरकार के सपने को साकार करने की मंशा है. यह सही है कि देश में आज भी सरकारी विभागों में काम करने की चाल इतनी कम है कि रोज़ के जो काम एक बार कार्यालय तक जाने में ही हो जाने चाहिए उनके लिए भी लोगों को हफ़्तों तक चक्कर कटवाए जाते हैं जिससे लोगों के लिए किसी भी सरकारी काम को करवा पाना एक बड़ी समस्या ही होता है. इस तरह से विभिन्न राज्य सरकारों के माध्यम से जब सामान्य कार्यों को फोन के माध्यम से किया जाने लगेगा तो कर्मचारियों और नागरिकों के बीच का काम आसानी से होने लगेगा जिसकी आज देश को बहुत आवश्यकता है क्योंकि बहुत सारे काम सरकारी विभगों के माध्यम से ही किये जा सकते हैं.
                           जिस तरह से इस पारियोजना के पायलट प्रोजेक्ट को लागू किया गया है और इसकी सफलता पर ही आने वाले समय में पूरी ई-सरकार की मंशा को पूरा किया जाना है इसलिए यह भी आवश्यक है कि जिन राज्यों और विभागों ने इसे अपने यहाँ शुरू किया है वे इसकी नियमित मोनिटरिंग के लिए भी प्रयासरत रहें क्योंकि जब तक इस परियोजना के लाभ और इनके लागू होने में आने वाली समस्याओं से निपटने का प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक किसी भी तरह से यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पायेगी. आम लोग जिस तरह से विभिन्न कामों के लिए कार्यालयों में घूमते रहते हैं यदि उनके वे काम इस तरह से होने लगें तो आने वाले समय में कार्यालयों में काम करने की कार्यशैली में पूरा बदलाव भी आ सकता है और जनता को बहुत आसानी भी हो सकती है. जनता को सब काम आसानी से होते हुए चाहिए पर आज की बाबू शैली कोई काम सामान्य तरीके से होने ही नहीं देती है.
                       जिन भी राज्य सरकारों ने इस प्रोजेक्ट में पहल की है उनके रवैये पर ही अब इसको पूरा किया जाना निर्भर करता है क्योंकि कार्य संस्कृति के अभाव में जिस तरह से आम लोगों को लटकाकर रखा जाता है वह देश में सभी जगह एक जैसा ही है. यदि प्रारंभ में योजना के शुरू करने में कर्मचारियों के अपेक्षित सहयोग को नहीं पाया जा सका तो यह या ऐसी कोई भी योजना पूरी तरह से ठन्डे बस्ते में ही जा सकती है पर तेज़ी और पारदर्शिता से काम को करने के इच्छुक राज्य सरकारें केंद्र की इस योजना का लाभ उठाकर अपने यहाँ पर पूरी कार्य शैली को ही बदल सकते हैं ? पर यह सब देखने और सुनने में जितना अच्छा लगता है लागू करने में उतना ही मुश्किल होने वाला है क्योंकि इसमें बिना किसी कारण महत्त्व पाए हुए सरकारी बाबुओं की पूछ एकदम से समाप्त सी हो जाने वाली है और उनके पास तक आम लोगों के चक्कर भी घट जाने वाले हैं तो ऐसे में योजना को पूरी सख्ती के साथ लागू करके ही इसके अपेक्षित परिणाम पाए जा सकते हैं. अब केंद्र राज्य संबंधों की परवाह किये बिना जनता के हित के इस काम को सभी को मिलकर करना ही देश के लिए अच्छा साबित हो सकता है. 
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