मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 13 अगस्त 2013

एलओसी पर सेना को खुली छूट

                                   कोच्चि में स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत के जलावतरण के समय बोलते हुए रक्षा मंत्री ए के एंटोनी ने जिस तरह से यह स्पष्ट किया है कि अब आगे से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पाक द्वारा किसी भी तरह के हमले की उचित जवाबी कार्यवही करने की सेना को पूरी छूट दे दी गयी है उससे यही लगता है कि इस मुद्दे पर सरकार ने सभी राजनैतिक दलों के साथ किसी हद तक आम सहमति बना ली है क्योंकि अभी तक पाक द्वारा जिस तरह से सीमा पर इस वर्ष अनावश्यक रूप से शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है और दूसरी बार भारतीय सैनिकों की हत्या करने का दुस्साहस उसके द्वारा किया गया है उसके बाद सेना में भी इस बात को लेकर नाराज़गी थी कि आख़िर केवल भारतीय पक्ष ही कब तक २००३ के संघर्ष विराम का अनुपालन करता रहेगा और पाक द्वारा इस तरह से छिपकर सैनिकों पर वार किया जाता रहेगा ? इस महीने पांच सैनिकों की घात लगाकर हत्या करने की घटना के बाद सरकार पर देश और सेना की तरफ़ से भी यह दबाव बढ़ने लगा था कि इस तरह से चुप रहने से तो पाक का दुस्साहस बढ़ता ही जायेगा और दुनिया की बेहतरीन सेनाओं में आने वाली भारतीय सेना की कमज़ोरी सामने आएगी ?
                                  पाक द्वारा इस तरह की गयी इस कार्यवाही के बाद जिस तरह से सेनाध्यक्ष ने स्वयं वहां की स्थितियों का जायज़ा लिया और स्थानीय कमांडरों की क्लास ली उसके बाद से स्थितियों में सुधार दिखाई देना अपेक्षित भी था पर देश के राजनैतिक तंत्र के हाथों में बड़े फैसले लेने की शक्ति होने के कारण ऐसे मामलों में सेना अपने दम पर कुछ खास कर भी नहीं सकती है ? इस तरह से बंधे हुए हाथों से पाक जैसे धूर्त पड़ोसी के साथ सीमा की चौकसी करना कितना कठिन काम है यह हमारे देश के नेता कभी भी नहीं समझ सकते हैं. जिन दुर्गम स्थानों में लोग दिन में भी जाने से कतराते हैं वहां पर रात में भी गश्त करना और अपनी सीमा को पाक सेना और उसके द्वारा समर्थन प्राप्त आतंकियों से बचाना ऐसा काम है जिसके लिए बहुत मानसिक शक्ति भी चाहिए. भारतीय सेना ने विपरीत परिस्थितियों में भी हमेशा से ही अच्छा प्रदर्शन किया है पर उसमें अनावश्यक राजनैतिक दख़ल के कारण उसकी पूरी क्षमता से पाक अभी भी परिचित नहीं हो पाया है जो उसकी असली शक्ति है.
                                   राजनैतिक स्तर पर सरकार को अपने पड़ोसियों समेत पूरी दुनिया के किसी भी देश से सम्बन्ध बनाने की शर्तें निर्धारित करने की पूरी छूट संविधान ने दे रखी है पर जिस तरह से देश के लिए रक्षा कभी भी इतना बाद मुद्दा रहा ही नहीं जबकि हमारे देश की सीमाएं सदैव से ही धूर्त शत्रुओं के द्वारा घिरी रही हैं ? आज भी हमारे पास पाक से निपटने के लिए कोई ऐसी कारगर नीति नहीं है जिस पर हम चलकर उसे कड़ी सीख दे सकें पाकिस्तानी पंजाब से आने के कारण नवाज़ शरीफ़ पर आतंकियों और पंजाबी प्रधान सेना का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है जिस कारण से भी शरीफ़ के सत्ता सँभालते ही सीमा पर पूरा माहौल बदलने सा लगता है ? पाक के लिए कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है जिसके दम पर वह पूरी वैश्विक इस्लामी बिरादरी से कश्मीर में इस्लाम को बचाने के नाम पर चंदा वसूलता रहता है और उन्हें कश्मीर की सही स्थिति से रूबरू भी नहीं होने देता है. आज भले ही इस्लामी कट्टरपंथियों और पाक सरकार को कश्मीर में समस्याएं नज़र आती हों पर पूरी दुनिया में आज भी कश्मीर से अधिक सुरक्षित जगह मुसलमानों के लिए कोई नहीं है क्योंकि यहाँ पर अभी भी इस्लाम के नाम पर मुसलमान एक दूसरे का खून नहीं बहाते है और आराम से रहते हैं. फिलहाल सेना को सीमा पर कार्यवाही की खुली छूट अब पाक के लिए किस नयी तरह की समस्या लेकर आने वाली है यह तो सेना की आगे के क़दमों से ही पता चलेगा.      
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