पाक के पीएम नवाज़ शरीफ द्वारा भारत के साथ अपने संबंधों को जिस एक बार फिर से सही रास्ते पर लाने की दिखावे भरी कोशिशों के बीच पाक सेना द्वारा लगातार ही सीमा पर शांति समझौते का उल्लंघन किया जा रहा है और साथ ही घाटी में आतंकी घटनाओं को तेज़ी से बढ़ावा दिया जा रहा है उससे यही लगता है कि पाक ने आज भी अपने छिपे हुए एजेंडे पर काम करना बंद नहीं किया है. वैसे भी भारत में यह आम धारणा ही है कि पाक सब कुछ कर सकता है पर भारत का कारण विरोध कभी भी बंद नहीं कर सकता है क्योंकि वहां के नेता और सेना आज कट्टपंथियों के इतने अधिक दबाव में आ चुके हैं कि वे चाहकर भी उससे नहीं निकल सकते हैं और जो भी उनका विरोध करने की हिम्मत दिखाता है उसको मारने से कभी भी वे परहेज़ नहीं करते हैं. ऐसे माहौल में यदि पाक की तरफ से लगातार ऐसी घटनाएँ होती रहें तो उसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है पर अब भारत को अपनी तरफ से सचेत रहने की ज़रुरत भी बहुत अधिक है.
पाक लगातार कश्मीर घाटी में अपनी उपस्थित आतंकियों के माध्यम से बनाये रखना चाहता है जिससे उसे विश्व समुदाय को यह समझाने का मौका मिलता है कि घाटी में सब कुछ उतना ठीक नहीं है जितना भारत की तरफ से कहा जाता है और वहां पर कथित आज़ादी के लिए आज भी संघर्ष चल रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि पाक खुद ही घाटी में अपने भाड़े के आतंकी भेजकर स्थानीय निवासियों के जीवन को रोज़ ही संकट में डालता रहता है क्योंकि जब कोई भी आतंकी हमला होता है तो उसमें आतंकियों सुरक्षा बलों के साथ आम नागरिक भी मारे जाते हैं फिर घाटी में बैठे पाक परस्त नेता ज्यादती का रोना रोने लगते हैं कि वहां पर मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है और सेना को घाटी से हटाया जाए ? जब सेना इतनी मुस्तैदी से वहां पर लगी हुई है तो भी आतंकी अपनी गतिविधियों से बाज़ नहीं आ रहे हैं और यदि उसे वास्तविक रूप से बैरकों तक सीमित कर दिया जाये तो वहां के आम मुसलमान कश्मीरी का जिंदा रहना भी बहुत मुश्किल हो जायेगा ? असल में तो पाक में बैठे कुछ कट्टर मुसलमान ही घाटी के मुसलमानों के दुश्मन बने हुए हैं जिन्हें कोई कुछ नहीं कहता है.
इस तरह के सुरक्षा माहौल में जब स्थानीय पुलिस के पास अधिक अधिकार जा चुके हैं तो उसे भी स्थितियों पर कड़ी नज़र रखनी ही होगी क्योंकि हर मामले में लापरवाही करने के बाद सेना की तरफ ताकने से मामला सुधरने वाला नहीं है और परिस्थितियां और भी बिगड़ सकती है. घाटी में शांति का पूरा दारोमदार अब वहां के निवासियों पर ही है क्योंकि जब तक उनके मन में आतंकियों के प्रति सद्भाव बना रहेगा और वे बिना बात ही अपने रक्षक भारतीय सुरक्षा बलों से नफरत करते रहेंगें तब तक किसी भी तरह से घाटी में शांति लाने के किसी भी प्रयास को सफलता नहीं मिल पायेगी और अब यह पूरा ध्यान केवल कश्मीरी मुसलमानों को ही रखना होगा क्योंकि किसी भी बहार से गए व्यक्ति के लिए वहां पर कुछ भी कर पाना नामुमकिन ही है और जब तक पूरी परिस्थितयों में कश्मीर के लोग सकारात्मक भूमिका के साथ आगे नहीं आयेंगें तब तक माहौल को सुधार कर सुरक्षा परिदृश्य में बेहतर बदलाव नहीं किया जा सकता है. स्थितियां बिगड़ने पर सेना अपना काम करने के लिए मुस्तैद ही है पर उससे होने वाली किसी भी कार्यवाही में सभी पक्षों का नुकसान ही होना है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
पाक लगातार कश्मीर घाटी में अपनी उपस्थित आतंकियों के माध्यम से बनाये रखना चाहता है जिससे उसे विश्व समुदाय को यह समझाने का मौका मिलता है कि घाटी में सब कुछ उतना ठीक नहीं है जितना भारत की तरफ से कहा जाता है और वहां पर कथित आज़ादी के लिए आज भी संघर्ष चल रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि पाक खुद ही घाटी में अपने भाड़े के आतंकी भेजकर स्थानीय निवासियों के जीवन को रोज़ ही संकट में डालता रहता है क्योंकि जब कोई भी आतंकी हमला होता है तो उसमें आतंकियों सुरक्षा बलों के साथ आम नागरिक भी मारे जाते हैं फिर घाटी में बैठे पाक परस्त नेता ज्यादती का रोना रोने लगते हैं कि वहां पर मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है और सेना को घाटी से हटाया जाए ? जब सेना इतनी मुस्तैदी से वहां पर लगी हुई है तो भी आतंकी अपनी गतिविधियों से बाज़ नहीं आ रहे हैं और यदि उसे वास्तविक रूप से बैरकों तक सीमित कर दिया जाये तो वहां के आम मुसलमान कश्मीरी का जिंदा रहना भी बहुत मुश्किल हो जायेगा ? असल में तो पाक में बैठे कुछ कट्टर मुसलमान ही घाटी के मुसलमानों के दुश्मन बने हुए हैं जिन्हें कोई कुछ नहीं कहता है.
इस तरह के सुरक्षा माहौल में जब स्थानीय पुलिस के पास अधिक अधिकार जा चुके हैं तो उसे भी स्थितियों पर कड़ी नज़र रखनी ही होगी क्योंकि हर मामले में लापरवाही करने के बाद सेना की तरफ ताकने से मामला सुधरने वाला नहीं है और परिस्थितियां और भी बिगड़ सकती है. घाटी में शांति का पूरा दारोमदार अब वहां के निवासियों पर ही है क्योंकि जब तक उनके मन में आतंकियों के प्रति सद्भाव बना रहेगा और वे बिना बात ही अपने रक्षक भारतीय सुरक्षा बलों से नफरत करते रहेंगें तब तक किसी भी तरह से घाटी में शांति लाने के किसी भी प्रयास को सफलता नहीं मिल पायेगी और अब यह पूरा ध्यान केवल कश्मीरी मुसलमानों को ही रखना होगा क्योंकि किसी भी बहार से गए व्यक्ति के लिए वहां पर कुछ भी कर पाना नामुमकिन ही है और जब तक पूरी परिस्थितयों में कश्मीर के लोग सकारात्मक भूमिका के साथ आगे नहीं आयेंगें तब तक माहौल को सुधार कर सुरक्षा परिदृश्य में बेहतर बदलाव नहीं किया जा सकता है. स्थितियां बिगड़ने पर सेना अपना काम करने के लिए मुस्तैद ही है पर उससे होने वाली किसी भी कार्यवाही में सभी पक्षों का नुकसान ही होना है.
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