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बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

डर सीबीआई का ?

                                            सीबीआई द्वारा लगातार दो मामलों में जिस तरह से काफी दिनों से लंबित मामलों में देश के बड़े नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाकर उसके राजनैतिक जीवन को एक तरह से ख़त्म ही कर दिया है उसके बाद से ही उन नेताओं को अब इस तोते से बहुत डर लगने लगा है जिनके खिलाफ इस एजेंसी में कहीं भी किसी तरह का कोई केस चल रहा है. अभी तक बात बात पर सीबीआई के दुरूपयोग का आरोप लगाने वाले भाजपा के नेताओं को भी अब या डर सताने लगा है कि राजद कांग्रेस के बाद कहीं उसके किसी बड़े नाम को भी सीबीआई इसी तरह से कानून के तहत सजा दिलवाने में सफल न हो जाये संभवतः इसी आशंका के चलते दिल्ली रैली में भाजपा के पीएम प्रत्याशी मोदी ने भी इस बात को रेखांकित किया था कि वे सीबीआई से नहीं डरते हैं क्योंकि वे मुलायम या मायावती नहीं है ? आखिर ऐसा क्या चल रहा है सीबीआई में जो बड़े नेताओं की नीदें हराम किये हुए है और अब बात यहाँ तक पहुंची हुई है कि जेटली जैसे काबिल वकील को भी यह लगने लगा है कि उसके बड़े नेताओं मोदी, शाह या किसी अन्य को भी फंसाया जा सकता है ?
                                              क्या सीबीआई आज के समय में इतनी शक्तिशाली है कि वह किसी भी नेता को ऐसे ही फंसा सके जैसी आशंका जेटली द्वारा दिखाई जा रही है क्योंकि आज इतनी न्यायिक सक्रियता और मीडिया के साथ ही समाज के हर वर्ग द्वारा सीबीआई के हर कदम पर नज़र रखी जाने लगी है तो क्या वह इतनी आसानी से किसी को कानूनी शिकंजे में ले सकती है जितनी आसानी से कहा जा रहा है ? अब जब पिंजरे में बैठे तोते ने अपना सुर अलापना शुरू कर दिया है तभी से नेताओं की नींदें उडी हुई हैं क्योंकि किसी भी मुद्दे पर कोरी बातें करके जन समर्थन बटोर लेना एक बात है और कानूनी तौर पर सही होना बिलकुल ही दूसरी बात है क्योंकि जन समर्थन तो आज भी लालू और मसूद के साथ भी है तभी तो वे सरकारों में अपनी पहुँच बनाये रख पाने में सफल हुआ करते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाला केवल कानून और समाज का अपराधी होता है भले ही वह देश के किसी भी हिस्से आता हो और यदि वह लोकसेवक है तो उसके खिलाफ और भी कड़ी सजा सुनाई जाने चाहिए क्योंकि देश के लोगों के साथ संविधान की भी परवाह नहीं की होती है.
                                           भाजपा अब सीबीआई की इन बड़ी जीतों के बाद बेचैन नज़र आ रही है तो कहीं उसे फिर से अमित शाह और मोदी संकट में नज़र आने लगते हैं क्योंकि शाह के कारण पहले भी कई बार कानूनी लड़ाई लड़ी जा चुकी है और आज जब उन्हें भाजपा ने यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभारी बनाया है तो उन पर सीबीआई द्वारा चलाये जाने वाले किसी भी केस का सीधा असर उसकी चुनावी संभावनाओं पर ही पड़ सकता है और उसकी चुनावी तैयारियों कि भी बड़ा झटका लग सकता है इसलिए भाजपा पहले से ही दबाव की राजनीति शुरू करके जनता के सामने अपने नेताओं को निर्दोष साबित कर यह कहने का प्रयास करने में अभी से लग गयी है जिससे इन बड़े नामों के खिलाफ कुछ भी कानूनी कदम उठाये जाते ही वह यह कह सके कि यह सब साजिश के तहत ही किया जा रहा है ? वकीलों का भी कोई जवाब नहीं होता है और जेटली जैसे नामी वकीलों को यदि ऐसा महसूस हो रहा है कि सीबीआई कुछ कड़े कदम उठाकर मोदी और शाह के रास्ते में आ सकती है तो अवश्य ही वहां पर कुछ कानूनी कमजोरी होगी वरना हर बात पर अपनी बात को ही सही ठहराने वालों का यह रवैया अलग सा ही लगता है.  
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