मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 13 मार्च 2014

कराँची एटीसी और फ्लाइट एआई-१३०

                                                        जिस तरह से पाक के कराँची एटीसी से लन्दन से मुम्बई आ रही भारतीय फ्लाइट एआई-१३० को गलत सूचनाएँ देकर अपने कर्तव्य के प्रति हद दर्ज़े की लापरवाही की गयी है वैसी दूसरी मिसाल वैश्विक उडडयन इतिहास में नहीं मिल सकती है. भारत के साथ जिस तरह से पाक के सम्बन्ध बिलकुल भी सामान्य नहीं हैं तो उस परिस्थिति में आखिर इतनी महत्वपूर्ण ड्यूटी निभाने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को कैसे नियुक्त किया जा सकता है जिसके पास महत्वपूर्र्ण सञ्चालन में भी इस तरह की हरकत करने की मानसिकता है ? पूरी घटना में कराँची एटीसी ने एआई-१३० को अपनी फ्रीक्वेंसी बदल कर मुम्बई एटीसी से संपर्क करने को कहा और उसे जो दुबई से आ रहे फिलीपीन के विमान के रास्ते में ला सकता था पर जिस तरह से पायलट ने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल करके अहमदाबाद एटीसी से संपर्क किया तब उसे पूरी स्थिति का अंदाजा हो पाया और उसने अपने विमान के रास्ते को सही किया. चिंता की बात यह भी है कि जिस समय कराँची एटीसी ने पाइलट से मुम्बई एटीसी संपर्क करने को कहा तब वह मुम्बई के क्षेत्र में पहुंचा भी नहीं था ?
                                                     यह तो अच्छा ही रहा कि पायलट ने अपनी सूझबूझ का प्रयोग किया और उस विपरीत परिस्थिति में भी संयम को न खोते हुए सभी सम्भव प्रयास किये जिससे वो सभी यात्रियों और विमान को पुनः अपने रास्ते पर ला पाया. हवाई यातायात पूरी तरह से ज़मीन के एटीसी की बदौलत ही सुचारु रूप से चल पाता है और जब तक हवा में उड़ रहे विमानों और ज़मीन के एटीसी में सही तालमेल नहीं हो तब तक किसी भी समय कोई दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. इस तथ्य को जानते हुए भी जिस तरह से कराँची एटीसी के उस व्यक्ति ने व्यवहार किया अब भारत को इस घटना को विमान सुरक्षा से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी सख्ती से उठाना चाहिए क्योंकि इस तरह की लापरवाही हुई या फिर जानबूझकर इतने आधुनिक विमान को नष्ट कर भारत को नुकसान पहुँचाने या बदनाम करने की कोई साज़िश भी इसमें थी अब यह सब खोजने का सही समय भी है क्योंकि इस मामले में सतर्क पायलट ने सब कुछ संभाल लिया पर यदि कोई अन्य पायलट एटीसी की बात पर भरोसा करता तो स्थिति भयावह भी हो सकती थी.
                                                    सरसरी तौर पर देखा जाये तो यह एक ड्रीमलाइनर विमान था जो कि अपने आप में बहुत ही निरापद माना जाता है और इस तरह के विमान अभी भी दुनिया के हर देश के पास उपलब्ध नहीं है और यदि इसके साथ एयर इंडिया को भी कोई समस्या होती तो सारे पूरा ठीकरा भारत पर ही फोड़ते कि लापरवाही के कारण ही दुर्घटना हुई होगी वर्ना ऐसा नहीं हो सकता है. यहाँ पर सबसे बड़ा सवाल यह भी आता है कि पाक के रास्ते का उपयोग करना भारत की मजबूरी ही रहने वाली है तो क्या इस स्थिति से निपटने के लिए इन मार्गों पर आने जाने वाले विमानों पर हमारी एयरफोर्स या किसी अन्य व्यवस्था से नज़र नहीं रखी जा सकती है ? आखिर इसराइल के विमान भी तो अपने घोर दुश्मनों के ऊपर से उड़ते ही रहते हैं तो वे इन समस्याओं स एकऐसे निपट पाते हैं अब यह भी अध्ययन का विषय होना चाहिए और यदि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में सभव हो तो भारतीय विमानों के परिचालन की दोहरी व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. आज पायलट की सतर्कता से दुर्घटना बच गयी पर किसी दिन ऐसी गलत सूचना पर भरोसा करने से कुछ भी हो सकता है. पाक को इस मामले में जवाब तो देना ही होगा क्योंकि आज के युग में इस तरह की घटनाएं होना बहुत ही घटिया मानसिकता को प्रदर्शित करता है.     
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