मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 10 मई 2014

उच्च अध्ययन में दूरी

                                                             इस वर्ष की जेईई एडवांस परीक्षा के लिए जिस तरह से लगभग २६००० हज़ार छात्रों ने पिछले साल की तरह ही इस परीक्षा के उत्तीर्ण होने के बाद भी आगे आने के बारे में सोचा भी नहीं उसके बारे में एक रिपोर्ट यह भी आ रही है कि घर से दूर इन संस्थाओं के होने के कारण ही इस तरह का ट्रेंड पिछले वर्ष भी इसी परीक्षा में देखा गया था. इस वर्ष इस परीक्षा में अगले दौर के लिए अर्ह अभ्यर्थियों ने जिस तरह से अपनी प्राथमिकता में यह रखा कि अपने राज्यों में इस मेरिट के अनुसार मिलें वाले लाभों को ही उठाएंगें उससे भी यह पता चलता है कि आज कहीं न कहीं इस व्यवस्था में कुछ कमी अवश्य ही है क्योंकि एक समय में पूरे मनोयोग से इस परीक्षा के लिए तैयारियां करने वाले छात्र आज इसके दूसरे तरह के विकल्पों एनआईटी और अन्य केन्द्रीय संस्थानों पर विचार करने में लगे हुए हैं. एक तरफ जहाँ बहुत सारे छात्र इस परीक्षा में कुछ पाने के लिए प्रयासरत रहा करते हैं वहीं दूसरी तरफ दूसरी तरफ इसकी गुणवत्ता को इस तरह से छोड़ने वाले भी कम नहीं हैं.
                                                           यह सही है कि इस समय अधिकांश छात्र पहली बार अपने घरों से बाहर निकलने की तरफ होते हैं तो उनके लिए कई बार इन संस्थाओं की उनके घरों से दूरी भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाया करती है पर जब घरों से बाहर निकल कर अपने भविष्य को संवारने का मौका मिलता है तो कोई इस तरह से कैसे सोच सकता है और यदि किसी परिस्थिति में उसके लिए इतनी दूरी तक जाना संभव नहीं है तो उसके पास क्या विकल्प शेष बचते हैं आज यह भी सोचने का विषय है. उच्च शिक्षा में आखिर आज भी इस तरह के अवरोध क्यों खड़े हैं और इनको दूर करने के क्या प्रयास किये जा रहे हैं यह भी विचारणीय विषय है. आज भी जिस तरह से इंजीनियर बनने के लिए हर छात्र का सपना आईआईटी में सफल होने का है फिर भी जिनको यह मिल रहा है वे इसे इस तरह से छोड़ रहे हैं इसके पीछे परीक्षा व्यवस्था या अन्य किसी क्षेत्र में कोई खामी है तो उस पर भी विचार किये जाने की आवश्यकता है.
                                                          किसी भी छात्र को अपने क्षेत्र में रहते हुए या देश के किसी अन्य क्षेत्र में जाकर पढ़ाई करने के पूरे अवसर मिले हुए हैं और इस अवसर का लाभ भी छात्रों द्वारा उठाया ही जा रहा है तो उस परिस्थिति में अब जो सुधार अभी भी अपेक्षित हैं उन पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ इन संस्थाओं को भी विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि बिना सही दिशा में प्रयास किये कोई भी कार्य सफलता पूर्वक अपनी क्षमता का दोहन नहीं कर सकता है. देश की शिक्षा व्यवस्था में आज भी कुछ हद तक कमी दिखाई देती है क्योंकि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से अपने भविष्य को सुरक्षित करने के बाद भी जिस तरह से चिकित्सक और इंजीनियर भी प्रशासनिक सेवाओं में जाने को लालायित रहते हैं उससे कई स्तरों पर देश का नुकसान ही हुआ करता है. किसी भी संस्थान के माध्यम से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्र किसी दूसरे क्षेत्र में चले जाते हैं जिससे पहले से ही विशेषज्ञों की कमी झेल रहे देश में और भी समस्या उत्पन्न हो जाती है. अब समय आ गया है कि पूरे शिक्षा तंत्र को देश की आज की आवश्यकतों के अनुसार ढालने का काम किया जाये जिससे देश में दक्ष लोगों की कमी न होने पाये. 
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें