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शनिवार, 28 जून 2014

नक्सली और सुरक्षा

                                            केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की पहल पर नक्सल प्रभावित दस राज्यों के गृह सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के महानिदेशकों के साथ बुलाई गयी बैठक के बाद जिस तरह का बयान सामने आया है वह अपने आप में सही ही है क्योंकि पिछले गृह मंत्री पी चिदंबरम के सख्ती और बातचीत दोनों तरह के प्रयासों के बाद भी इस क्षेत्र में सरकार की चिंताएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. नक्सलियों का प्रभाव जिस तरह से देश के दूर दराज़ के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वालों पर दिखाई देता है उसे पूरा सच भी नहीं माना जा सकता है क्योंकि इसमें स्थानीय निवासियों पर दोहरी मार पड़ती रहती है. एक तरफ जहाँ ये नक्सली इन लोगों पर दबाव बनाकर अत्याचार करते हैं वहीं किसी भी क्षेत्र में नक्सलियों की सूचना मिलने पर सुरक्षा बल के लोग भी इनसे सख्ती करते रहते हैं. इस बारे में अब विकास के साथ दंडात्मक दीर्घकालिक नीति बनाये जाने की आवश्यकता भी है क्योंकि उससे ही लक्ष्य को पाया जा सकता है.
                                            राजनाथ सिंह ने किसी भी तरह की बातचीत पर रोक लगाकर जहाँ इन नक्सलियों को कड़ा सन्देश भी दे दिया है वहीं जिस तरह से विकास पर ध्यान देने की बात भी की है वह आज के परिप्रेक्ष्य में सही ही है. अब आवश्यकता हर नीति का खुलासा करने की नहीं वरन उन नीतियों को लागू करने की है इसलिए हर बात मीडिया के सामने कही भी जाये यह भी आवश्यक नहीं है. अभी तक इन क्षेत्रों में जिस तरह से विकास के हर पैमाने यथार्थ पर कम ही पड़ जाय करते हैं तो उस स्थिति में यहाँ पर सड़कों के विकास से लगाकर अन्य कामों में सेना के अनुषंगी संगठनों की मदद भी ली जानी चाहिए क्योंकि अशांत और दुर्गम क्षेत्रों में काम करने के उसके अनुभव के चलते विकास को सही तरह से आम लोगों के जीवन को बदलने के स्तर तक पहुँचाया जा सकेगा. स्थाीय नेताओं का किसी न किसी स्तर पर इन नक्सलियों से परोक्ष या अपरोक्ष संपर्क तो होता ही है जिससे विकास के लिए आवंटित धन का दुरूपयोग होने की संभावनाएं भी बढ़ती ही जाती हैं.
                                            अब इन राज्यों के सबसे अधिक प्रभावित जनपदों को चुनकर इस विकास और सख्ती के मॉडल को आगे बढ़ाने की आवश्यकता भी है क्योंकि यदि पूरे क्षेत्र को एक साथ ही ठीक करने की कोशिश की जाती है तो उसके लिए बहुत संसाधनों की आवश्यकता पड़ने वाली है जो किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होता है. जिन क्षेत्रों में विकास की किरणें अभी तक नहीं पहुंची हैं सबसे पहले वहां तक पूरी सुरक्षा में विकास की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए क्योंकि जहाँ पर विकास की गति कम है उसे बढ़ाना आसान है पर जहाँ अभी तक कुछ शुरू भी नहीं किया जा सका है वहां पर प्रारम्भ करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती भी है. इस सब बात में सरकार और पुलिस समेत सभी सुरक्षा बलों को एक बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि यहाँ पर आने जाने के लिए जिन सुरक्षा उपायों की बात की जाती है उनके बिना कोई भी क्षेत्रों में न जाये क्योंकि नक्सलियों के फंदे में फंसने का सबसे बड़ा कारण अभी तक यही सामने आया है कि सुरक्षा सम्बन्धी चूक की जाती रही है.             
 
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