मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 27 जून 2014

भोजन गारंटी योजना का भविष्य

                                                   पिछली संप्रग सरकार की अति-महत्वाकांक्षी भोजन गारंटी योजना को देश में आसन्न सूखे के मद्देनज़र आगे बढ़ाने के प्रस्ताव को मंज़ूर कर राजग सरकार ने जहाँ पहले से मूर्तरूप में आने को तैयार एक योजना को उसके अंजाम तक पहुँचाने की योजना को हरी झंडी दिखा दी है वहीं उसने राज्यों को तीन महीने की समय सीमा में इसके लिए आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं. देश में गरीबी और अन्य कारणों से लोगों के सामने कई बार भोजन की समस्या भी आया करती है और इसे ही ध्यान में रखते हुए पिछली सरकार ने इस योजना के बारे में सोचना शुरू किया था अब यदि देशहित में यह योजना आगे बढ़ती है तो इससे समाज के उस वर्ग के लिए बहुत कुछ किया जा सकेगा जिसके पास कई बार वास्तव में दोनों समय खाने के लिए भोजन नहीं होता है. राजनीति से आगे बढ़कर यदि देश में सरकारें बदलने के बाद भी यदि योजनाएं सही दिशा में चलती रहें तो यह देश के लिए एक अच्छा सन्देश ही है.
                                                किसी भी केंद्र सरकार के साथ सदैव से ही एक समस्या रहा करती है कि वह विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के लिए धन आवंटित तो कर सकती है पर उसको धरातल पर उतारने में राज्य सरकारों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हुआ करती है और आज की परिस्थितियों में जिन राज्यों ने अपने हिस्से की केंद्रीय योजनाओं को अच्छे ढंग से लागू किया है वहां पर समाज के निचले स्तर तक उसका लाभ वास्तव में दिखाई भी देने लगा है. अब राजग सरकार के सामने इन कल्याणकारी योजनाओं में राज्य स्तर पर चलने वाले भ्रष्टाचार से निपटना ही सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आने वाला है क्योंकि अभी भी देश के कई राज्यों में अन्य दलों की सरकारें हैं और वे भ्रष्टाचार पर किस तरह से अंकुश पाना चाहती हैं यह किसी के सामने स्पष्ट नहीं है. केंद्रीय पूल से योजनाएं और धन आवंटन के बाद उस पर केंद्र द्वारा निगरानी रखने से राज्यों को सदैव ही आपत्ति ही रहा करती है और यह सदैव ही अधिकारों की लड़ाई में उलझने वाला मसला ही अधिक बनता रहता है.
                                                राजग सरकार की तरफ से अभी तक अपुष्ट रूप से यह बात भी सामने आई है कि वह डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) को आगे बढ़ाने पर भी विचार कर रही है तो उससे यही लगता है कि यदि इस महत्वकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ा दिया जाये तो आने वाले समय में हर नागरिक को किसी भी तरह की आर्थिक या सब्सिडी से जुडी सहायता बिना किसी तरह के भ्रष्टाचार के ही पहुंचाई जा सकती है. भारत के विशाल स्वरुप के देखते हुए अब देश के नेताओं को बिना किसी दुर्भावना के आगे बढ़ने के सर्वसम्मत मार्ग पर चलने का संकल्प तो लेना ही होगा और इसके लिए पार्टी के स्थान पर संसद एक अच्छा विकल्प हो सकती है, भारतीय राजनीति में यदि देश को आगे बढ़ाने की चाह एकमत से जग जाये तो सरकारों के आने जाने से देश के विकास से जुडी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को बिना किसी बाधा के आगे बढ़ाया जा सकता है. अब देश के लिए नीतियां पार्टी आधारित न होकर देश आधारित होनी चाहिए इस बारे में राजनेताओं और देश के वर्तमान सत्ता-प्रतिपक्ष को मिलकर सोचना और आगे उस पर बिना किसी राजनीति के आगे बढ़ने के बारे में संकल्प लेना भी चाहिए.
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