मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 9 जून 2014

लारजी डैम दुर्घटना

                                                मौत किस तरह से दबे पाँव हमला करती है इस बात की पुष्टि हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी पर बने हुए लारजी डैम से एक बार फिर से साबित हो गयी है. हैदराबाद के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र छात्राओं का समुह जिस तरह से कुल्लू मनाली घूमने के लिए आया हुआ था और वहां पर डैम के पास ब्यास नदी की धारा और उसका प्राकृतिक स्वरुप देखने का मोह जिस तरह से इन छात्रों के लिए जानलेवा साबित हुआ है उसमे कई स्तरों पर गड़बड़ी की आशंका भी दिखाई देती है. फिलहाल कुछ भी हो जिस तरह से इस समूह के २४ बच्चे अब गायब हो चुके हैं तो इनके लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाये और किस पर कार्यवाही की जाये जिससे आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं से पूरी तरह से छुटकारा भी पाया जा सके और पर्यटन पर निकले हुए लोगों को पूरी तरह से सुरक्षित भी रखा जा सके यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल बनकर सामने आ चुका है ?
                                                     बिजली बोर्ड के अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारी से पूरी तरह से मुक्त होने का प्रयास सिर्फ यह कहकर ही कर रहे हैं कि उनकी तरफ से आवश्यक प्रोटोकॉल का अनुपालन तो किया गया था और पानी तीन बार में छोड़ा गया साथ ही हर बार चेतावनी के लिए सायरन भी बजाया गया पर स्थानीय लोगों को इस सायरन के बजने का अर्थ पता है जबकि इस समूह ने इस सायरन की अनदेखी की और दुर्घटना ने इतना बड़ा स्वरुप  ले लिया. इस प्रतिबंधित क्षेत्र में ये समूह कैसे पहुंचा इस बात की जांच भी आवश्यक है क्योंकि पहाड़ी पर बने हुए बाँध सामरिक दृष्टि से भी संवेदनशील होते हैं तो कभी किसी आतंकी गुट द्वारा यहाँ पर नियोजित तौर हमला भी किया जा सकता है ? यह सही है कि बांध के निचले क्षेत्र में सड़क के किनारे बोर्ड लगे हुए हैं जिन पर चेतावनी भी लिखी हुई है पर इस समूह के सदस्यों और साथ गए हुए शिक्षकों ने जिस भी जिस तरह से पूरे मामले में लापरवाही दिखाई उसके लिए किसे ज़िम्मेदारी ठहराया जा सकता है ? कुल मिलकर यही लगता है कि इस मामले में हर स्तर पर लापरवाही की गयी जिसके बाद ही यह स्थिति सामने आई है.
                                                    लापरवाही के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में यह भी जुड़ ही चुकी है पर इसने एक बार फिर से हमारी व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह तो लगा ही दिया है जहाँ पर कोई भी कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र दिखाई दे रहा है ? अब इस घटना से सीख लेते हुए आगे इनको रोकने के लिए जो भी आवश्यक उपाय संभव हों अवश्य ही किये जाने चाहिए क्योंकि इस मामले में हर स्तर पर लापरवाही का आलम ही दिखाई देता है. इस तरह की खतरे वाली जगहों पर सम्बंधित विभागों को पूरी तरह से सख्ती करनी चाहिए और नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान भी होना चाहिए जिससे ज़िम्मेदारियाँ सम्बंधित लोगों पर डाली जा सकें. साथ ही नागरिकों के रूप में हम सभी को सरकारी निर्देशों को बेकार का मान कर मनमानी भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यदि इस समूह ने चेतावनी को ध्यान से देखा होता तो इतना बड़ा खतरा उन्हें समझ में आ ही जाता ? अब जो होना था हो चुका है उस पर ध्यान देते हुए कमियों को अखिल भारतीय स्तर पर सुधारने के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाने चाहिए जिससे आने वाले समय में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका भी जा सके.
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