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शनिवार, 30 अगस्त 2014

ऑनलाइन उपस्थिति

                                                               केंद्र सरकार ने जिस तरह से झारखण्ड की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज़ करने वाली वेबसाइट की तरह केंद्रीय स्तर पर एक कोशिश शुरू की है वह अपने आप में आने वाले समय में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की वास्तविक उपस्थिति के बारे में सही जानकारी देने के बारे में सक्षम हो सकती है. झारखण्ड सरकार इस तरह के प्रयास को पहले ही आज़मा चुकी है और उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आये हैं जिससे प्रभावित होकर ही संभवतः केंद्रीय स्तर पर यह व्यवस्था आज़माने की बात शुरू की जा चुकी है. आज सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर कोई भी काम करवा पाना निरंतर ही कठिन होता जा रहा है क्योंकि किसी को यह पता ही नहीं होता है कि वह जिस अधिकारी या कर्मचारी से मिलने जा रहा है वह कार्यालय में उपस्थित है भी या नहीं जिससे कई कई चक्कर लगाने के बाद भी लोगों के छोटे से छोटे काम भी नहीं हो पाते हैं.
                                                                 आज केंद्र सरकार ने जिस तरह से एक केन्द्रीयकृत व्यवस्था के बारे में सोचना शुरू किया है उसके लिए जिस आधारभूत संरचना की आवश्यकता थी वह पिछली सरकार ने बनानी शुरू कर दी थी. देश की व्यापकता को देखते हुए जिस तरह से सरकार ने "आधार" के रूप में हर नागरिक की एक पहचान सुनिश्चित करने की तरफ कदम बढ़ाये और उस पर काफी हद तक काम करने में सफलता भी पायी थी आज वह देश की हर योजना में एक सहायक के रूप में काम करने की दिशा में बहुत ही प्रभावी कदम साबित हो रहा है. आधार के मामले में यह अच्छा ही हुआ कि वर्तमान सरकार ने अपने पूर्वाग्रहों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ने की दिशा चुनी है जिससे इस महत्वपूर्ण पहचान कार्यक्रम को पूरे देश में लगभग हर योजना में लागू करने की दिशा में बढ़ना आसान हो गया है. जनधन योजना में जिस तरह से सरकार ने आधार को भी पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी है वह उसकी योजना के प्रति रूचि को ही दिखाता है.
                                                               ऑनलाइन उपस्थिति के लिए सरकार ने जिस तरह से इसे आधार पर ही आधारित करने की योजना बनायीं है वह अपने आप में बहुत कारगर रहने वाली है क्योंकि इस तरह से जब हर कर्मचारी की आधार पहचान होगी तो वह जब भी बायो मीट्रिक मशीन में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करायेगा तो आधार की वेबसाइट से ही उसकी पहचान साबित होगी और पता चल जायेगा कि वह कार्यालय में आ चुका है. इससे जहाँ सरकारी कार्यालयों के साथ निजी क्षेत्र में भी इसी तरह से उपस्थिति को दर्ज़ किया जा सकता है और आधार के उपयोग के लिए पहले या बाद में ही कोई शुल्क भी सरकार द्वारा लगाया जा सकता है जिससे इस वेबसाइट के परिचालन का भी कुछ खर्च इसके इस तरह से व्यावसायिक उपयोग करने से निकलना शुरू हो सकता है. सरकारी योजनाओं को आज इस तरह से आर्थिक रूप से भी मज़बूत किये जाने की आवश्यकता है जिससे वे सरकार के लिए एक बोझ न बनी रहें और आने वाले समय में अपनी उपयोगिता को साबित करने के साथ ही सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकें.
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