मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

स्वच्छ भारत अभियान और नागरिक

                                                                                   पीएम के एक सबसे बड़े महत्वाकांक्षी "स्वच्छ भारत अभियान" की आज से विधिवत शुरुवात होने जा रही है जिसके माध्यम से स्वयं पीएम भी राजपथ पर झाड़ू लगाकर प्रतीकात्मक तौर पर इसकी औपचारिक शुरुवात भी करने वाले हैं. देश में जिस तरह से हम आम नागरिक कहीं भी कुछ भी गंदगी करने से बाज़ नहीं आते हैं उसको देखते हुए यदि इस अभियान के महत्व को समझने का प्रयास किया जाये तो यह अपने आप में देश को स्वच्छ रखने की कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है पर भारतीय नागरिकों में सफाई का मतलब जिस तरह से सरकारी मशीनरी और स्तर पर ही माना जाता है उसके बाद इसकी सफलता के लिए जन जागरण की बहुत आवश्यकता पड़ने वाली है. देश में हर तरफ गंदगी का बोलबाला रहा करता है और यह खुद हम नागरिकों द्वारा फैलाई गयी गंदगी ही होती है तो इससे निपटने और अभियान को सफल बनाने के लिए पीएम के आह्वाहन के बाद नागरिकों को अपने आस पास की सफाई पर ध्यान देना ही होगा.
                                                                           केंद्र सरकार ने जिस तरह से अपने कर्मचारियों के लिए आज के दिन कार्यालयों में उपस्थित रहकर स्वच्छता की शपथ लेने के आदेश जारी किये उनका धरातल पर यदि क्रियान्वयन कर दिया जाये तो कार्यक्रम जागरूकता का पहला स्तर तो पार कर ही सकता है पर जिस तरह से दो अक्टूबर को छुट्टी मनाने के आदी रहे कर्मचारियों द्वारा अनमने ढंग से इस औपचारिकता को पूरा करने की दिशा में बातें की जा रही हैं उससे यह अभियान एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आने वाला है. पीएम किसी बात के लिए आह्वाहन और सरकारी आदेश के दम पर जनता और कर्मचारियों से कुछ अपेक्षा रखते हैं जिस पर आम लोगों को खरा उतरना होगा तभी इस तरह का कोई अभियान पूरी तरह से सफल हो सकता है. देश में सबसे छोटी सफाई इकाई हम नागरिक ही है और यदि हम इस अभियान की शुरुवात अपने आस पास से करना शुरू कर दें और उस पर लगातार अमल भी करें तो हमारा आसपास अपने आप ही स्वच्छ हो जायेगा.
                                                              अभी पिछले पखवाड़े एक लेह यात्रा के अवसर पर जिस तरह से एक टैक्सी चालक ने मेरे सहयात्री को गाड़ी के बाहर कुछ भी फेंकने से सख्ती से मना किया उसे देखकर मन में विचार आया था कि देश की मुख्य धारा से दूर जी रहे इस क्षेत्र में तो अपने आप ही इस मिशन को पहले से ही आम लोगों द्वारा अपनाया गया है और उसका असर भी वहां की सड़कों और अन्य जगहों पर स्पष्ट रूप से दिखाई भी देता है. सच तो यह है कि वहां पर सड़कों आदि पर गंदगी फ़ैलाने वालों में शत प्रतिशत भारतीय देशी पर्यटक ही होते हैं जो कुछ भी कहीं भी फ़ेंक देने की अपनी आदत के कारण वहां भी गंदगी फ़ैलाने के एजेंडे के साथ ही पर्यटन में रमे रहते हैं. जब मन में सफाई पीएम के आह्वाहन से आगे बढ़कर एक जूनून बन जाएगी तब ही देश अपने आप स्वच्छता की तरफ कदम बढ़ने लगेगा इसलिए आज हम सभी को यह संकल्प करना ही होगा कि देश को पूरी तरह से साफ़ करने के लिए हम उसकी छोटी इकाई के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी और कर्तव्य से पीछे नहीं हटेंगें और अपने स्थानीय निकायों को भी हर गली मोहल्ले में कूड़ादान रखने में सहायता भी करेंगें.    
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