मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

प्रीमियम ट्रैन के बाद तत्काल भी प्रीमियम

                                                                  १ अक्टूबर से बिना बताये ही जिस तरह से रेलवे ने ८० प्रमुख गाड़ियों में अपने तत्काल कोटे का आधा हिस्सा प्रीमियम कोटे को स्थांनांतरित कर दिया है उससे त्योहारों के समय घर जाने वाले लोगों के लिए बड़ी आर्थिक दिक्कत पैदा होने वाली है क्योंकि अभी तक किसी तरह से तत्काल के माध्यम से अचानक कार्यक्रम बनाने वाले लोगों के लिए एक वैकल्पिक साधन उपलब्ध रहा करता था अब उसमें और भी मारा मारी शुरू होने की पूरी सम्भावना है. पिछले वर्ष के रेल बजट में जिस तरह से प्रीमियम ट्रेनों को राजधानी की तर्ज़ पर चलना शुरू किया गया था तो ऐसा लगा था कि जैसे रेलवे ने अपने यात्रियों कि लिए कुछ विशेष करने का मन बना लिया है पर उसकी वास्तविकता सामने आने पर जब रेल के टिकट हवाई टिकटों से भी मंहगे बिकने लगे तो प्रीमियम की हकीकत लोगों के सामने आ पायी. इस प्रणाली की सबसे बड़ी खामी यही है कि टिकट बुकिंग के समय इसकी कीमत पहले से पता नहीं चलती है और टिकट कैंसिल भी नहीं हो सकता है.
                                                                देश में रेलवे के व्यापक उपयोग को देखते हुए प्रीमियम श्रेणी की गाड़ियां और टिकट एक अच्छा विकल्प हो सकते थे पर पर इस बात को हरी झंडी दिखाने वाले तत्कालीन रेल मंत्री पवन क़े पद से हट जाने क़े संभवतः रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने इसे अपने मनमाने तरीके से लागू कर दिया है. हर बात में आर्थिक पहलू को देखने वाले भारतीय जन मानस क़े लिए इस तरह कई प्रीमियम ट्रेन्स एक दुखद स्वप्न बनकर ही आई हैं क्योंकि कई बार वे हवाई टिकट से अधिक भुगतान करके इस सेवा की मनमानी को झेल भी चुके हैं. रेलवे क़े लिए आर्थिक पक्ष महत्वपूर्ण है पर क्या आर्थिक मामलों को इस तरह से चोरबाजारी करके पूरा किया जायेगा ? यात्रियों को टिकट क़े कन्फर्म होने से पहले एक बार यह जानने का पूरा हक़ है कि वह जो टिकट खरीद रहा है वह उसे कितने का पड़ने वाला है और यदि वह उसकी सामर्थ्य के बाहर है तो उसके पास उसे बुक न करने का विकल्प भी अवश्य ही होना चाहिए.
                                                              रेलवे के पास अपने व्यापक संसाधन है और उनके बेहतर प्रबंधन के साथ यदि जनता को सुविधाएँ दी जाती है तो उसका स्वागत भी होना चाहिए पर इस तरह से आम यात्रियों कई मज़बूरी का लाभ उठाने की किसी भी कोशिश को किस तरह से जायज़ ठहराया जा सकता है ? प्रीमियम श्रेणी की आवश्यकता भी रेलवे को अवश्य ही है पर इसके बारे में जिस पारदर्शिता की आवश्यकता दिखाई जानी चाहिए उसका पूरी तरह से वर्तमान व्यवस्ता में अभाव दिखाई देता है. रेलवे को गतिशील किराया प्रणाली लागू करने के साथ अधिकतम किराया भी निर्धारित करना चाहिए जिससे टिकट बुक करने वाले को यह भी पता हो की उसका टिकट अधिकतम कितने मूल्य का हो सकता है ? रेलवे भारतीय समाज का अभिन्न अंग है देश के लिए इसका अच्छी आर्थिक स्थिति में चलते रहना भी बहुत आवश्यक है क्योंकि जब तक यह अपने बोझ को स्वयं नहीं उठा पायेगा तब तक इसको बाहरी संसाधनों के माध्यम से नहीं चलाया जा सकेगा पर साथ ही यात्रियों को इस के लिए इस तरह से बलि का बकरा बनाया जाना भी उचित नहीं कहा जा सकता है.  
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