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बुधवार, 5 नवंबर 2014

यूपी के प्रस्तावित मॉडल स्कूल

                                   देश में आबादी के हिसाब से सबसे बड़े राज्य यूपी में जिस तरह से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का अथक प्रयासों के बाद भी सुधरता नहीं दिखाई देता था उसके लिए केंद्र सरकार ने यूपी के लिए एक योजना का प्रस्ताव किया था जिसके अनुसार हर ब्लॉक में सीबीएसई पद्धति पर एक मॉडल स्कूल खोले जाने की बात कही गयी थी. एक वर्ष तक विचार करने के बाद जिस तरह से अखिलेश सरकार ने इस पर अपनी मोहर लगायी है उससे यह आशा बंधती है कि आने वाले समय में यूपी में माध्यमिक शिक्षा का स्तर कुछ सुधार की तरफ बढ़ सकता है. अभी तक यूपी बोर्ड में जिस तरह से व्यापक अनियमितताएं और सरकारी इंटर कॉलेजों के ख़राब प्रबन्ध के चलते वहां पर गुणवत्तापरक शिक्षा एक दूर की कौड़ी ही रही है उस परिस्थिति में केंद्र के सहयोग से किया जाने वाला यह प्रयास अपने आप में बहुत कुछ परिवर्तन ला सकता है पर इसके लिए मज़बूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता पड़ने वाली है.
                                    यूपी सरकार को इस परियोजना में केंद्र से ७५% धनराशि केंद्र से मिलने वाली है और शेष २५% का प्रबंध उसे करना है इसको लेकर यूपी सरकार के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह ही थी कि केंद्र सरकार इसे यूपी बोर्ड के आधीन नहीं रखना चाहती थी जिस कारण से यूपी सरकार इस मामले पर त्वरित निर्णय नहीं ले पा रही थी. किसी ज़माने में बेहद प्रभावशाली और अच्छे यूपी बोर्ड को सरकार इस तरह आसानी से अपनी एक परियोजना के माध्यम से नीचा नहीं दिखाना चाहती थी जो उसके लिए एक बड़ी समस्या बन गया था. फिर भी झिझकते हुए ही सही राज्य सरकार ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है तो हर ब्लॉक में इस तरह की पढ़ाई को सरकारी स्तर पर शुरू करने की तरफ कदम बढ़ ही गए हैं. पहले चरण में कुल ६८० ब्लॉकों के १९३ क्षेत्रों में यह स्कूल खोले जाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है और आने वाले समय में इस हर ब्लॉक तक पहुँचाने की योजना भी है.
                                                                         इसके सञ्चालन के लिए जिस तरह से सीएम की अध्यक्षता में एक समिति का निर्माण किये जाने की बात कही गयी है वह सैद्धांतिक तौर पर तो ठीक लगती है पर सीएम के पास काम के बोझ और राज्य में कमज़ोर शिक्षा तंत्र को देखते हुए इस समिति के लिए एक पूर्णकालिक राज्यमंत्री की नियुक्ति की जानी चाहिए जिससे यह स्कूल अपने उन उद्देश्यों को पूरा कर सकें जिनके लिए इन्हें खोलने का प्रस्ताव किया गया है. राजनीति को इस संगठन से पूरी तरह से अलग ही रखने से इसकी गुणवत्ता को बनाये रखा जा सकेगा क्योंकि शिक्षा माफियाओं के गिरोहों ने जिस तरह से यूपी में माध्यमिक शिक्षा पर कब्ज़ा कर रखा है उसके बाद कड़े कदम उठाये बिना इस नए प्रारूप का लाभ नहीं उठाया जा सकता है. आज भी यूपी बोर्ड के प्रभावशाली पाठ्यक्रम के बाद भी उसके विद्यार्थी यदि अखिल भारतीय स्तर पर पीछे रह रहे हैं तो उसके पीछे केवल और केवल राजनैतिक कारण ही ज़िम्मेदार हैं और सपा की सरकार को ये शिक्षा माफिया अपने अनुरूप मानते हैं जिससे परिस्थितयां और भी ख़राब हो रही हैं.    
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