मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 3 जनवरी 2015

पाक प्रायोजित आतंक और भारत

                                                             अपने जन्म के समय से ही भारत को नीचा दिखाने की कोशिशों में लगा हुआ पाकिस्तान आज किस स्तर पर पहुँच चुका है इसका उसे अंदाज़ा नहीं है क्योंकि उसके यहाँ खुद घर के अंदर भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में जिहाद के नाम पर जिस तरह से चरमपंथी आतंकी संगठनों देश के धार्मिक स्वरुप पर कब्ज़ा करने की पूरी छूट दी गयी आज उसी के कारण वह अपने को दोराहे पर पा रहा है जिससे निकलने का उसके पास कोई रास्ता भी शेष नहीं है सिवाय इसके कि अब वह आतंक के खिलाफ अपनी दिखावटी लड़ाई को सच्ची लड़ाई में बदल कर आगे बढ़ने के बारे में सोचना शुरू कर दे. गुजरात की समुद्री सीमा में पोरबन्दर के पास ३१ दिसंबर रात को हुई घटना ने पहले से ही चौकन्नी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को और भी सतर्क करने का काम ही किया है क्योंकि अभी तक जिसे केवल एक खतरा माना जा रहा था अब वह वास्तविक रूप में पाकिस्तान की हताशा के रूप में सामने आ रहा है. यह सही है कि पाक पीएम और सरकार आजकल आतंक के मुद्दे पर मुखर दिखाई दे रहे हैं पर अभी भी उनको पाक सेना के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है.
                       २६/११ भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के लिए बहुत बड़ी चुनौती सामने लेकर आया था और पोरबन्दर के पास जिस तरह से इस नौका को खोजकर इसका पीछा किया गया उससे यह पता चलता है कि अब किसी भी देश के लिए इस तरह का समुद्री दुस्साहस करवाना उतना आसान भी नहीं रह गया है क्योंकि अब भारत पहले से अधिक चौकन्ना और किसी भी संभवत समुद्री घुसपैठ युक्त हमले के लिए अच्छी तरह से तैयार भी है. पोरबन्दर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के सिलसिले में खुद पीएम भी उपस्थित रहने वाले थे तो इस तरह के किसी भी आतंकी मामले को देखते हुए सरकार को सम्मलेन के साथ आये हुए अतिथियों की सुरक्षा पर और भी अधिक ध्यान देना ही पड़ेगा. भारतीय सुरक्षा बलों के काम करने के तरीकों को जानने वाले सभी तत्वों को भी इस तरह की घटनाओं के लिए संभावित खतरों की पहचान भी करना सीखना होगा जिससे आने वाले समय में देश विरोधी तत्व किसी भी तरह से अपने मंसूबों को कामयाब न कर पाएं.
                       देश में स्वतंत्र मीडिया की भी इस तरह के मामलों में बहुत अधिक ज़िम्मेदारी बन जाती है क्योंकि कई बार सरकारी स्तर से बहुत कुछ छिपाया भी जाता है पर हमारे अतिउत्साही मीडियाकर्मी सरकार की बातों और बयानों की धज्जियाँ उड़ाने में लग जाते हैं इसलिए सुरक्षा से सम्बंधित मामलों में मीडिया को भी संभल कर रिपोर्टिंग करनी चाहिए तथा केवल कुछ नया खोज लाने के लिए ही किसी घटना के अजीबोगरीब पहलुओं पर बातचीत शुरू नहीं कर देनी चाहिए. यह सही है कि इस मामले में सरकार ने २४ घंटे बाद पूरे मामले का खुलासा किया है पर उसके पीछे क्या कारण रहे यह उसने नहीं बताये हैं तो इस बात को लेकर सरकार की मंशा पर पूरी तरह से संदेह करना भी सही नीति नहीं कही जा सकती है. आज के समय में किसी भी सरकार को जिस तरह की परिस्थिति से गुज़रना पड़ता है यह केवल सरकार में बैठे हुए लोग ही जान सकते हैं रक्षा मंत्री ने जिस तरह से यह संकेत दिया था कि पाक अभी भी नहीं मान रहा है तो उससे यही पता चलता है कि तब इस नौका मामले से निपटा जा चुका था. आज आवश्यकता सभी के अपनी हद में रहकर काम करने की है और किसी भी तरह की सनसनी आदि से भी बचने की भी बहुत ज़रुरत भी है जिससे कोई दोषी बचने न पाये और निर्दोष सजा न पा जाएँ.       
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