मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 1 फ़रवरी 2015

घरेलू गैस सब्सिडी निर्धारण

                                                                   डीबीटीएल योजना के पूरे देश में लागू किये जाने के बाद जिस तरह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी का लाभ खुले बाज़ार से गैस खरीदने वाले उपभोक्ताओं तक पहुंचना भी शुरू हो चुका है उसके बाद सरकार के पास सब्सिडी की सही राशि को उपभोक्ताओं के खातों में पहुँचाने के बारे में कवायद शुरू करनी पड़ सकती है. आज वर्तमान में जिस तरह से कच्चे तेल की कीमतों में लम्बे समय बाद गिरावट आई है यह कितने दिनों तक बनी रहने वाली है इस बारे में किसी को भी कुछ नहीं पता है पर आज सरकार की तरफ से बजटीय घाटा कम करने की दिशा में किये जा रहे उपायों में सब्सिडी की मात्रा को भी प्रति माह निर्धारित किये जाने की आवश्यकता भी है. एक फरवरी से गैस के मूल्यों को फिर से संशोधित करते हुए सरकार ने जो मूल्य घोषित किया है उसके अनुसार अब सब्सिडी की रकम घटकर २१९ रूपये प्रति सिलेंडर रह जाने वाली है और खुले बाज़ार में इसकी कीमत अब ६५६ रूपये ही रह गयी है जबकि उपभोक्ताओं को जो धनराशि दी जा रही है वह ३३२ रूपये पर ही है.
                                                                   सरकार को इस मामले में एक कदम और आगे बढ़ते हुए इस दी जाने वाली सब्सिडी के निर्धारण के बारे में पेट्रोलियम मंत्रालय को नए सिरे से निर्देशित करने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि जिस तरह से आज प्रति सिलेंडर मूल्य में खुले बाज़ार में १०५ रूपये की कमी आई है तो उसको देखते हुए सब्सिडी की धनराशि में भी १०५ रूपये की कटौती की जानी चाहिए. इस कदम से जहाँ सरकार को हज़ारों करोड़ रूपये की अनावश्यक सब्सिडी बचाने में मदद मिलने वाली है वहीं उपभोक्ताओं के खाते में अधिक धन जाने से भी रोका जा सकता है. पेट्रोल और डीज़ल की तरह इस काम को भी मासिक समीक्षा के साथ घोषित किया जाना चाहिए और गैस विपणन कम्पनियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे इस बात को समाचारों में भी देने की व्यवस्था करें जिससे उपभोक्ताओं के खाते में अधिक धन दिए जाने से बचा जा सके. सरकार ने जिस समय इस फिक्स सब्सिडी का विचार किया था तो उस समय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बहुत ऊंचे स्तर पर थीं पर आज इनके कम होने के कारण इस निर्धारण को और भी अधिक सुधारने की आवश्यकता है.
                                           सरकार ने जिस तरह से आम लोगों से अपनी सब्सिडी छोड़ने का आह्वाहन किया पर उसका कोई खास उत्तर नहीं मिल पाया उसके बाद अब सरकार इस दिशा में विभिन चरणों में सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं की श्रेणी को पुनर्निर्धारित करने में लगी हुई है जिससे इस सब्सिडी को उन लोगों तक आसानी से पहुँचाया जा सके जिन्हें इसकी आवश्यकता है और जो लोग बिना सब्सिडी के गैस खरीद सकते हैं उनको इस श्रेणी से बाहर करने की कवायद भी शुरू की जा चुकी है. इस बात पूरी की सम्भावना भी है कि आगामी वित्तीय वर्ष के बजट के प्रावधानों में इस बारे में कोई स्पष्ट नीतिगत निर्णय सरकार द्वारा कर लिया जाये. देश के निर्माण में इस तरह की नीति से दीर्घकालिक लाभ मिलने की पूरी सम्भावना भी है क्योंकि जब तक सरकार की तरफ से इस मसले पर कोई सही नीति बनाई जा रही है तो उसके लाभ भी सामने दिखाई देने वाले हैं. उपभोक्ताओं को सीमित संख्या में पूरी सब्सिडी के सिलेंडर देने के बाद सब्सिडी के स्तर को क्रमशः घटाते हुए बारहवें सिलेंडर को बाजार मूल्य के करीब तक पहुँचाने की कोशिश भी की जानी चाहिए.          
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें