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रविवार, 15 मार्च 2015

राहुल गाँधी और जानकारी

                                                    सामान्य सी किसी प्रक्रिया को भी देश में किस तरह से निभाया जाता है इसकी एक बानगी दिल्ली स्थित कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आवास पर कथित जासूसी से मिल जाती है. दिल्ली पुलिस की तरफ से इस प्रक्रिया को जिस तरह से सामान्य बताया गया है प्रथम दृष्टया वह इतनी सामान्य भी नहीं लगती है क्योंकि राहुल गांधी देश की सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा एजेंसी एसपीजी के गठन के समय से ही उसकी सुरक्षा में रहे हैं तो उस परिस्थिति में उनके बारे में कोई भी जानकारी यदि दिल्ली पुलिस को चाहिए भी थी तो उसे सही तरीके से मिल सकती थी पर खुद एसपीजी द्वारा दिल्ली पुलिस के उस व्यक्ति को संदिग्ध रूप से जानकारी एकत्रित करने के समय देखा गया और उससे जिस तरह का प्रोफोर्मा मिला वह भी अपने आप में हास्यास्पद ही अधिक लगता है. यदि आज भी अतिविशिष्ट लोगों के बारे में दिल्ली पुलिस अंग्रेज़ों के ज़माने की पुलिसिंग से ही काम चला रही है तो उसे इसमें पूरी तरह परिवर्तन करने की आवश्यकता भी है. नेताओं के घर पर प्रदर्शन आदि होने की तैयारी तथा उनके स्टाफ को पहचानंने का क्या नेता की आँखों बालों के रंग का कोई सम्बन्ध हो सकता है यह भी सोचने का विषय है दिल्ली पुलिस अपने बचाव में एक बात और भी कह रही है कि ऐसी कवायद पीएम समेत अन्य कई नेताओं के घरों पर भी की गयी है तो वह भूल जाती है कि क्या वहां भी पुलिस कर्मी इसी तरह संदिग्ध रूप में घूमकर जानकरी जुटा रहे थे ?
                                         इस पूरे मामले में कांग्रेस को जहाँ अपने नेताओं कि जासूसी करने को लेकर सरकार पर हमला करने के अवसर मिल सकते हैं वहीं सरकार भी इसे केवल लोकप्रियता बढ़ाने के हथकंडे कह कर अपना पल्ला झाड़ सकती है पर क्या इस प्रक्रिया में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि देश के सभी सांसदों को विशेषाधिकार मिले हुए हैं और इसके साथ राहुल गांधी तो एसपीजी की सुरक्षा में रहने वाले सांसद हैं तो दिल्ली पुलिस की तरफ से ऐसा करना क्या मामलों में लापरवाही को नहीं दिखाता है ? दिल्ली पुलिस के अनुसार यह एक सामान्य कवायद है इसका जासूसी और केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय और पीएमओ से कुछ भी लेना देना नहीं है पर वे एक महत्वपूर्ण बात भूल जाते हैं कि यदि यह सामान्य प्रक्रिया है तो इससे पहले कभी भी इस पर इस तरह का बवाल क्यों नहीं हुआ ? स्पष्ट है कि सरकारी काम को दिल्ली पुलिस मुख्यालय से गए एक व्यक्ति ने बहुत ही लापरवाही से अंजाम दिया यदि वह इस मामले की गंभीरता को समझते तो पूरी जानकारी जुटाने के लिए सीधे राहुल गांधी के कार्यालय से संपर्क करते और वांक्षित जानकारियां जुटा लेते पर उनकी गतिविधियाँ संदिग्ध लगने पर ही एसपीजी ने पूरे मामले में हस्तक्षेप किया दिल्ली पुलिस इस बारे में कुछ क्यों नहीं कह पा रही है.
                                    दिल्ली पुलिस पर काम का बहुत दबाव हुआ करता है पर आज तक उसकी तरफ से कभी किसी ने इस तरह से किसी विपक्षी दल के नेता के घर पर जाकर इस तरह से गुपचुप तरीके से जानकारियां जुटाने की कोशिश नहीं की और सामान्य प्रक्रिया के तहत जो भी जानकारियां चाहिए वे सभी सांसदों के कार्यालयों से प्राप्त की जाती रही हैं पर इस बार पूरी प्रक्रिया में निर्धारित मार्ग से क्यों हटा गया इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है और सदन में सरकार को घेरने के लिए मुद्दे खोज रही कांग्रेस के लिए अपना विरोध दर्ज़ करवाने के लिए यह एक मुद्दे के रूप में अनावश्यक ही हाथ लगा मामला ही है. सरकार को इस मामले में स्पष्ट रूप से दिशा निर्देश जारी कर देने चाहिए जिससे पुलिस की किसी भी सामान्य प्रक्रियाजन्य गतिविधि पर किसी को भी कोई संदेह न होने पाये और बिना बात का बतंगड़ भी न बन सके. इस तरह की जानकरियाँ जुटाने के लिए जाने वाले कर्मियों को भी पूरी तरह से ट्रेनिंग की व्यवस्था के साथ भेजा जाना चाहिए और अच्छे हो कि इस तरह की किसी भी जानकारी जुटाने के लिए सांसद के कार्यालय से संपर्क करने को भी कहा जाना चाहिए जिससे किसी पुलिसकर्मी पर अनावश्यक रूप से संदेह न किया जा सके.   
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