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शनिवार, 20 जून 2015

रेलवे परिचालन के विकल्प

                                                                                   अपने आप में विश्व के सबसे बड़े और कठिनतम परिचालन से जूझते हुए भारतीय रेल जिस तरह से अपनी सेवाओं को पटरी पर रखने की कोशिशें किया करती हैं उनमें यदि कोई बड़ी तकनीकी समस्या आ जाये तो उससे निपटने के लिए संभवतः उसके पास कोई कारगर विकल्प नहीं होता है क्योंकि आज तक संभवतः उसे इस तरह की किसी बड़ी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है. मध्य प्रदेश के व्यस्ततम स्टेशन इटारसी के रुट रिले सिस्टम के आग लग जाने से पूरी तरह से नष्ट हो जाने से भारतीय रेल के सामने संभवतः पहली बार ऐसी चुनौती सामने आई है जब उसके परिचालन पर इतना बुरा असर पड़ गया है एक अनुमान के अनुसार यह कहा जा रहा है कि आने वाले समय में इस मार्ग की लगभग ५००० गाड़ियों के सञ्चालन पर दुष्प्रभाव पड़ने की संभावनाएं भी हैं और जो काम किया जाना है उसके पूरा होने में लगभग आठ महीने लगने वाले हैं. अभी से ही विभिन्न मार्गों से मुंबई जाने वाली दसियों गाड़ियों को इस समस्या के चलते निरस्त कर दिया गया है छुट्टियों के मौसम के इस आखिरी दौर में जिन लोगों ने इस मार्ग पर आने जाने का कार्यक्रम बना रखा था अब उनके लिए बहुत समस्या हो गयी है.
                                 रेलवे के अनुसार इटारसी से रोज़ लगभग १५० सवारी गाड़ियां और ६० मालगाड़ियां गुजरती हैं पर इस समस्या के कारण अब यहाँ से मुश्किल से आधी गाड़ियों का परिचालन भी हो पाना संभव नहीं लगता है क्योंकि इसे अस्थायी रूप से सुधारने में ही लगभग ३५ दिन लगने वाले हैं और पूरी तरह से सुधार करने में आठ महीने का समय लग सकता है. आज के आधुनिक युग में जब रेलवे का परिचालन मानव पर कम आश्रित हो रहा है तो ऐसी परिस्थिति में तकनीकी गड़बड़ी हो जाने पर परिचालन पूरी तरह से पटरी से उतर ही जाता है इससे निपटने के लिए संभवतः अभी रेलवे के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसके द्वारा एक दो दिनों में परिचालन को पटरी पर लाया जा सके. यह पूरा मामला तकनीकी रूप से इतना जटिल होता है कि कोई गड़बड़ी होने पर इसको सही करने में समय लग ही जाता है पर संभवतः पहली बार इतने व्यस्त मार्ग पर यह समस्या आने के बाद अब रेलवे इसके लिए कोई अन्य विकल्प सोचना शुरू कर सकता है कि ऐसी स्थिति में परिचालन को कैसे सही रखा जाये.
                                पिछले कुछ दशकों में निश्चित तौर पर रेलवे ने अपने परिचालन में गुणात्मक सुधार किया है और आने वाले समय में इसके और भी अच्छा होने की पूरी संभावनाएं है पर व्यस्त मार्गों पर इस तरह की समस्या होने की स्थिति में आम लोगों के पास क्या विकल्प शेष बचते हैं जिनका उपयोग कर वे अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हों ? क्या इस तरह की स्थिति में बड़े स्टेशन के आस पास कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है जिसके माध्यम से लम्बी दूरी के यात्रियों को बीच की कुछ दूरी बसों में करा अगले स्टेशन से फिर गाड़ी में बैठकर अपने गंतव्य तक भेजने के बारे में कुछ सोचा जाये. जले हुए सिस्टम को बदलने में बहुत समय लगता है और जब यह सारा काम परिचालन को जारी रखते हुए करना पड़ता है तो कर्मचारियों के लिए और भी बड़ी समस्या सामने आ जाती है. देश को भारतीय रेल पर गर्व है क्योंकि यह पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम भी आसानी से किया करती है. संभवतः आने वाले दिनों में इस तरह की समस्या से निपटने के लिए रेलवे के पास बेहतर संसाधन और विकल्प भी हो जायेंगें फिलहाल इस स्थिति से निपटने में आम यात्रियों को भी रेलवे का पूरा सहयोग करने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि रेलवे अपनी तरफ से अच्छी यात्री सेवाओं के लिये हर स्तर पर लगातार प्रयासरत है.       
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