मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 12 जुलाई 2015

"स्वच्छ भारत अभियान" के सच्चे दूत

                                                             पिछले वर्ष पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान चलाये जाने के साथ ही देश में सफाई को लेकर कुछ जागरूकता आने के बाद अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है क्योंकि जिन लोगों ने केवल राजनैतिक कारणों के लिए ही इस अभियान के साथ जुड़ना शुरू किया था आज वे कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रहे हैं और धरातल पर परिवर्तन कहीं से भी दिखाई नहीं दे रहा है. देश की सफाई केवल इंटरनेट पर पोस्ट करके नहीं हो सकती है इस बात को समझने के लिए अभी देश का जनमानस तैयार भी नहीं दिखता है. सफाई से जुड़े हुए सच्चे सपूतों के बारे में मीडिया भी कुछ अच्छी ख़बरें देना नहीं चाहता क्योंकि आज मीडिया का अधिकांश हिस्सा केवल राजनैतिक चाटुकारिता और विज्ञापन हासिल करने तक ही सिमटा हुआ है. ऐसे में पंजाब के कपूरथला से एक बेहतर खबर सामने आई है जिसके बारे में पूरे देश को जानना भी बहुत आवश्यक है क्योंकि यह एक ऐसा उदाहरण है जिसमें पंजाब पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर सुखविंदर सिंह की कोशिश से थाने के आस पास लगभग ३५ किमी की दूरी तक सफाई के हर मानक पूरे दिखाई देने लगे हैं और वह भी बिना किसी प्रचार और सरकारी सहायता के जिसे अपने आप में बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है.
                                                     एक घटना पर यदि कोई एक व्यक्ति ही गंभीरता के साथ सोचना शुरू कर दे तो किस तरह से पूरे इलाके की सोच बदल सकती है इस बात को सब इंस्पेक्टर सुखविंदर सिंह ने पूरी तरह सच साबित कर दिया है नकोदर में २०१३ में एक वन और ट्रक के बीच हुई टक्कर में १८ छात्रों की मौत हो गयी थी जिसके बाद सुखविंदर सिंह ने इस तरह की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने की ठान ली थी और इसके लिए उन्होंने सड़क के किनारे लगी हुई झाड़ियों और उगने वाले पौधों को पूरी तरह से साफ़ करने का बीड़ा उठाया था.इस काम के लिए उन्होंने अपने स्तर पर प्रयास शुरू करते हुए ग्राम पंचायतों को यह समझने में सफलता पायी कि इन सबके चलते ही सड़कों पर बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती हैं. उनके इस प्रयास का सभी सम्बंधित ग्राम पंचायतों ने पूरी तरह से समर्थन किया और अपने क्षेत्रों में पड़ने वाली सभी सड़कों कि किनारे उगने वाले झाड़ झंखाड़ को पूरी तरह से हटाने का प्रयास शुरू कर दिया जिसका नतीजा आज यह है कि सड़क के किनारे साफ हुए होने से वाहन चालक भी को आसपास के यातायात पर भी अच्छी नज़र रख पाने में में सहायक हुए जिससे इस तरह से होने वाली दुर्घटनों को काफी हद तक रोका भी जा सका है.
                                                   सुखविंदर सिंह ने अपने प्रयास यही पर नहीं रोके और हर थाने में पुलिस कर्मियों के लिए उचित शौचालयों की व्यवस्था करने के बारे में भी निर्णय लिया और पीपीपी के आधार पर जनता से सहयोग लेकर थानों में शौचालयों के निर्माण की दिशा में भी कदम उठाने शुरू किये जिससे आज तक उन्हें १०७ शौचालयों के निर्माण में सफलता मिल गई है और उनका यह काम निरंतर ही आगे बढ़ता जा रहा है. सामान्य पुलिस कर्मियों के लिए थानों में शौचालयों की समुचित व्यवस्था न होने की दशा में उनका यह प्रयास पुलिस कर्मियों के लिए एक वरदान बनकर सामने आया है. क्या पंजाब और केंद्र सरकार को उनके इस कार्य को एक मानक मान कर पूरे देश में सडकों की सफाई और अन्य स्वच्छता अभियान से जुड़े हुए मसलों पर एक व्यापक कार्य योजना नहीं बनानी चाहिए ? बेहतर योजनाएं केवल नीति आयोग में ही नहीं बन सकती हैं देश के आम नागरिक भी आवश्यकता पड़ने पर अपने लिए कोई न कोई मार्ग निकाल ही लिया करते हैं पर इन बातों का मीडिया में सही प्रचार नहीं हो पाता है जिससे इन अच्छे कार्यों से अन्य लोगों को इनका अनुसरण करने की प्रेरणा भी नहीं मिल पाती है. अच्छा है कि पंजाब पुलिस ने अपने इस योद्धा का इस बार स्वतंत्रता दिवस पर सम्मान करने का प्रयास भी शुरू कर दिया है जो कि आने वाले समय में और लोगों को जागरूक करने का काम भी करने वाला है.
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