मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 11 जुलाई 2015

इसरो की छलांग

                                                  दुनिया भर के देशों के अंतरिक्ष संगठनों के बीच भारतीय इसरो ने जिस तरह से पिछले कुछ समय से लगातार अपनी सफलता के मानकों को ऊंचा करने के लिए काम करना शुरू किया है वह निश्चित तौर पर देश के वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और उन लोगों के अनर्गल सवालों का सर्वोत्तम जवाब भी है जिनको आज भी यही लगता है कि जिस देश में गरीबी हो उसे इस तरह के अनावश्यक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निवेश नहीं करना चाहिए. देश के वैज्ञानिक विपरीत परिस्थितियों में भी जितनी दृढ़ता के साथ सर्वोत्तम परिणाम देने के लिए जाने जाते हैं पीएसएलवी( पोलर सैटेलाइट लांच वेहिकल) की सफल २८ वीं उड़ान ने उसे नए मानक प्रदान कर दिए हैं. इसरो ने अपनी स्थापना के समय से ही जिस तरह से भारतीय मेधा की क्षमताओं को दुनिया के सामने स्थापित करना शुरू किया था आज वह अपने गंतव्य की तरफ निरन्तरं ही सही प्रगति करती हुई दिखाई दे रही है. इसरो के पास करने के लिए बहुत कुछ है पर अभी इस क्षेत्र में देश में विज्ञान की गुणवत्ता वाली पढ़ाई की आवश्यकता है जिसकी अभी बहुत कमी महसूस हो रही है तथा आने वाले समय में इस क्षेत्र की दिशा भी बदलने ही वाली है जिस पर अभी से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता भी है.
                                         बहुत से लोगों को यह लगता है कि गरीब देशों की श्रेणी और कमज़ोर नागरिक सुविधाओं वाले देश भारत में अंतरिक्ष विज्ञान पर धनराशि खर्च करना कहीं से भी सही नहीं है संभवतः इस तरह की मानसिकता वाले लोग हर जगह पाये जाते हैं तभी जिस इंग्लैंड ने भारत पर दो सदियों तक राज किया था आज हम उसके उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेजने में सक्षम हो चुके हैं. निश्चित तौर पर इंग्लैंड ने अपने निवेश को अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में मोड़ने में रूचि नहीं दिखाई तभी आज उसे भारत की सफलता की कहानी से लाभ उठाने के बारे में सोचना पड़ रहा है. कोई भी देश अपने शासकों की दूरदर्शिता पर ही अधिक तरक्की कर सकता है और भारत सरकार ने सदैव ही इसरो के विकास के लिये पूरा सहयोग दिया भले ही किसी भी दल की सरकार केंद्र में क्यों न रही हो. इस सबमें इसरो बधाई का पात्र है क्योंकि उसने सरकार की तरफ से दिए गए अवसरों का भरपूर लाभ उठाया और अपने को आगे बढ़ाने की हर संभव कोशिश भी की जिसका परिणाम आज सबके सामने है.
                                          अब इसरो को और भी तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए जिस तरह की आज़ादी चाहिए अब देश और सरकार को उस बारे में भी सोचना चाहिए जिससे आने वाले समय में इसरो इस क्षेत्र का बड़ा खिलाडी बन सके और किसी भी तरह से उसके किसी भी काम में सरकार की तरफ से कोई अड़चन भी न आने पाये. अभी तक केवल देश के सम्मान और विज्ञान को बचाये रखने के लिए काम करने वाला इसरो आज पूरी दुनिया के देशों के लिए अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने का सबसे सस्ता और भरोसेमंद विकल्प बन चुका है जिसका लाभ उठाने का समय भी आ गया है. अब भौतिक विज्ञान के छात्रों की नयी पौध को तैयार करने का सही समय भी आ गया है जिससे इसरो की प्रगति की यह कहानी लगातार भारत के लिए बनी ही रहे किसी भी क्षेत्र में समग्र और लम्बे समय तक विकास की परंपरा को बनाये रखने के लिए जिस तरह से युवाओं को उससे जोड़ने की आवश्यकता होती है अब इसरो को खुद ही उस पर काम करना होगा और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में रुझान रखने वाले छात्रों के लिए अधिक अवसर उपलब्ध करने के बारे में भी सोचना ही होगा तभी देश इस क्षेत्र में आने वाले दशकों में सिरमौर बन सकेगा. 
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