मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

पंजाब संकट और समाधान

                                          पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से पंजाब में चार स्थानों पर पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के फटे हुए पन्ने मिलने के चलते तनाव बढ़ा है उसे इतने हलके में लिए जाने की आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि धर्म के मामले में बहुत ही उदार और सहिष्णु सिख किसी भी तरह से इस घटना को बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं. इस पूरे मामले में सबसे दुखद बात यह भी है कि पंजाब की बादल सरकार इस सबसे उतने अच्छे से नहीं निपट पायी जिसकी उससे अपेक्षा की जाती थी क्योंकि अकाली दल जिस तरह से राजनीति और सिख धार्मिक समूहों से निकट है वैसा राज्य के किसी अन्य राजनैतिक दल के लिए नहीं कहा जा सकता है. सिखों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने देने की एक कोशिश पंजाब और देश पर एक बार बहुत भारी पड़ चुकी है इसलिए किसी भी सरकार के लिए इस तरह से लापरवाही किया जाना किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता है.
                               देश की प्रगति में पंजाब और सिखों का योगदान आज भी सर्वोपरि ही है और जब से सिखों ने पंजाब से बाहर निकल कर देश के अन्य राज्यों में बसना शुरू किया है तभी से देश की कृषि पैदावार में गुणात्मक सुधार दिखाई देने लगा है. यह इन लोगों का श्रम और संकल्प शक्ति ही है कि बंजर भूमि आज सोना उगलने की स्थिति में आ चुकी है फिर भी देश के लिए हर स्तर पर आगे बढ़कर काम करने वाली कौम को अपने पवित्र ग्रन्थ की रक्षा के लिए अपने गृह राज्य में ही प्रदर्शन करने पड़ रहे हैं तो यह देश के लिए दुर्भाग्य से अधिक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. देश का संविधान सभी को अपने धार्मिक कार्यों को करने की पूरी छूट देता है तो इस स्थिति में आखिर पंजाब सरकार क्यों सोयी हुई है और इस तरह की घटनाएँ लगातार होती जा रही हैं ?
                          यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है और इसे सरकार को यहीं पर पूरी तरह से ख़त्म करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए क्योंकि घटनाएँ छोटे स्तर पर हो रही हैं कल वे बड़ा स्वरुप भी ले सकती हैं. यहाँ पर यह भी ध्यान देने की बात है कि कहीं पंजाब में किसी बड़ी साज़िश के तहत ही तो यह सब नहीं किया जा रहा है पंजाब में अशांति फ़ैलाने वाले समूह आज भी पाकिस्तान, यूरोपीय देशों, अमेरिका और कनाडा में सक्रिय हैं तो राज्य और केंद्र सरकार को इस सीमावर्ती राज्य में इस तरह की बात पर भी सोचना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान एक बार भारत को पंजाब को लेकर अस्थिर करने का असफल प्रयास भी कर चुका है. राजनीति में धर्म का घालमेल देश की जनता को कभी भी रास नहीं आया है और उसके दुष्परिणाम पूरे देश ने कई बार झेले भी हैं. सबसे पहले दोषियों को खोजा जाना चाहिए और जो सिख सांगत या समूह कहीं भी शांतिपूर्वक प्रदर्शन या धरना देना चाहते हैं तो उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान भी रखा जाना चाहिए।  
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