मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

उत्तर भारत का कोहरा

                                                                      हर वर्ष की तरह इस बार भी सर्दियों के मौसम की शुरुवात के साथ ही देश के यातायात पर कोहरे की मार पड़नी शुरू हो चुकी है जिससे सड़क तथा हवाई दोनों ही मार्गों से उत्तर भारत में यात्रा करने वाले सभी लोग परेशान भी हैं. यह एक ऐसी प्राकृतिक समस्या है जिससे चाहकर भी पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता है और आने वाले समय में जिस तरह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते हुए प्रदूषण का भी असर इन सब पर दिखाई देना शुरू हो चुका है तो उस परिस्थिति में समस्याएं और भी अधिक बढ़ने की तरफ ही जा रही हैं. देश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का स्वरुप इस कोहरे के मौसम में और भी घातक हो जाता है क्योंकि लगभग पूरा उत्तर भारत ही इसकी चपेट में रहता है जिससे सरकारी और नागरिक स्तर पर की जाने वाले ढेरों लापरवाहियों के चलते ये दुर्घटनाएं बढ़ती ही जाती हैं. देश में यही समय गन्ने की ढुलाई का भी होता है जिसके चलते सड़कों पर बैलगाड़ी से लेकर हर तरह के सुस्त और तेज़ गति वाले वाहन भी गर्मियों के मुकाबले अधिक संख्या में आ जाते हैं जिससे भी दुर्घटनाएं बढ़ने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं.
                              कोहरे के कारण सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और नागरिक किस स्तर पर प्रयास कर सकते हैं यह सोचने का विषय है क्योंकि जब हम कोहरे को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं तो हमें उससे बेहतर तरीके से निपटने के बारे में सोचना ही होगा जिससे लापरवाही के कारण होने वाले नुकसान को काम करने में मदद की सके और अनमोल जिंदगियों को भी असमय काल के गाल में जाने से रोका जा सके. हमारे देश में परिवहन विभाग में भी जिस स्तर पर भ्रष्टाचार बढ़ा हुआ है उससे भी कई स्तरों पर कठिनाइयां ही होती रहती हैं क्योंकि यदि परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की तरफ से अपने कर्तव्य का निर्वहन किया जाने लगे तो आने वाले समय में लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोका भी जा सकता है. आज सड़क परिवहन के लिए जितने बड़े पैमाने पर सुधार करने की बातें की जा रही हैं यदि उनको धरातल पर उतारने में थोड़ी भी सफलता मिल सके तो सड़क यातायात को और भी सुरक्षित किया जा सकता है कानून बनाने से अधिक उनके सही अनुपालन पर देश पता नहीं कब ध्यान देना शुरू कर पायेगा क्योंकि इससे सीधे जानमाल का नुकसान जुड़ा रहता है.
                             नागरिकों के रूप में हम सभी को अपने वाहनों में हर उस सुरक्षा तंत्र को इस मौसम में पूरी तरह से सही रखने की आवश्यकता है क्योंकि सड़कों पर चलते समय गाड़ियों में उजाले के साथ सही रिफ्लेक्टर न होने के कारण ही अधिकांश दुर्घटनएं होती रहती हैं. सड़क पर चलने वाले हर निजी, व्यावसायिक वाहन के साथ राज्य परिवहन की बसों में सुरक्षा व्यवस्था सही स्तर पर की जानी चाहिए और इन पर चलने वाले लोगों की ही यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिए की किसी भी खराबी को वे तुरंत ही दुरुस्त करवाने की कोशिश भी करें. आमतौर पर परिवहन निगमों की बसों का हाल बहुत ही ख़राब रहा करता है जबकि देश के हर हिस्से में ये बड़ी संख्या में चलती रहती हैं इसलिए इनमें रात के साथ कोहरे में भी चलने की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जानी चाहिए. सड़कों पर लम्बी दूरी तक माल ढोने वाले ट्रक आम तौर पर सही होते हैं पर स्थानीय स्तर पर चलने वाले पुराने ट्रक किसी भी मानक पर खरे नहीं उतरते हैं. हमें आम् नागरिकों के रूप में भी अपने वाहनों को सही रखने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि सरकार हर बात पर नियंत्रण नहीं रख सकती है साथ ही पुलिस के साथ मिलकर नवम्बर से जनवरी तक हर माह विद्यालयों से लेकर सड़कों तक इस बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिशें भी जनता के सहयोग से की जानी चाहिए जिससे हमारी सड़क यात्रायें सुखद हो सकें.      
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