मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

आईएस - बांग्लादेश से प० बंगाल तक

                                                                       पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करने की मंशा पाले हुए नफरत के सहारे युवाओं में अपनी पैठ बढ़ाने में लगा हुआ आज का सबसे क्रूर आतंकी संगठन आईएस किस तरह से भारतीय मुसलमानों को देश की मुख्य धारा से अलग थलग करना चाहता है इसके कई प्रमाण सुरक्षा एजेंसियों को मिलने शुरू हो चुके हैं और यह ऐसा मुद्दा है जिस पर केंद्र और राज्य सरकारों को प्राथमिकता के आधार पर सही दिशा में काम करने की आवश्यकता है क्योंकि गलत तरह से उठाये गए किसी भी कदम और उससे फैलने वाले दुष्प्रचार से आईएस को अपनी पैठ और मज़बूत करने में मदद ही मिलने वाली है. पिछले वर्ष २ अक्टूबर को बर्दवान जिले में हुए बम विस्फोट के बाद जिस तरह से प० बंगाल की एजेंसियों को उसमें कुछ महत्वपूर्ण विदेशी लिंक्स मिले थे उसके बाद ममता सरकार ने स्पष्ट रूप से सम्पूर्ण जाँच एनआईए को सौंप दी थी जिससे कुछ और भी खुलासे हुए तथा ममता सरकार ने इसे प्राथमिकता में लेते हुए सीमावर्ती थानों में मदरसों पर निगरानी रखने के लिए विशेष चौकसी शुरू कर दी. इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस क्षेत्र में बांग्लादेशियों को पहचानना मुश्किल भी होता है क्योंकि वे बोलचाल और हर मामले में स्थानीय निवासियों जैसे ही दिखाई देते हैं.
                               ममता सरकार ने इस मामले को जितनी कठोरता के साथ संवेदनशीलता भी बनाये रखी है वह अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश मामलों में पुलिस द्वारा एक तरफ़ कार्यवाही की जाती है जिसमें सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं का अनुपालन भी नहीं किया जाता है और कई बार जिन्हें दुर्दांत आतंकी बताकर हिरासत में लिया जाता है वर्षों बाद सबूतों के अभाव में उन्हें कोर्ट द्वारा बरी भी कर दिया जाता है. प० बंगाल के अधिकांश मदरसों को संचालित करने वाली संस्था जमात-ए-उलेमा-ए-हिन्द के राज्य प्रमुख सिद्दिकुल्लाह चौधरी भी इस मामले में राज्य सरकार के साथ खड़े दिखाई देते हैं जो ममता सरकार की बड़ी कामयाबी भी कही जा सकती है क्योंकि कई स्थानों पर ऐसा भी देखा गया है कि पुलिस व अन्य एजेंसियों को स्थानीय मदरसा संचालकों के साथ आम नागरिकों का प्रतिरोध भी झेलना पड़ता है जिससे सरकार और मदरसों के बीच दूरियां और भी अधिक बढ़ जाती हैं जबकि ऐसी विषम परिस्थति में मदरसों और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच अच्छा तालमेल होना बहुत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है.
                               प० बंगाल के सीमावर्ती मदरसों में कुछ ऐसे संदिग्ध लोग दिखाई देने शुरू हुए थे जो कुछ दिन वहां रहने के बाद गायब हो जाते थे पर इस मामले को जिस संवेदनशीलता के साथ संभाला गया वह अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है और आज वहां पर यह स्थिति है कि किसी भी संदिग्ध की सूचना देने के लिए खुद मदरसा प्रबंधक भी ध्यान रखने लगे हैं. आईएस को लगता है कि दक्षिण एशिया में अपने पैर पसारने के लिए उसे भारत के मुसलमानों का सहयोग आवश्यक ही होगा और वह इसी क्रम में बांग्लादेश के साथ लगती हुई भारतीय सीमा का लाभ उठाने की सोच रहा है पर फिलहाल तो उसकी इस मंशा पर ममता सरकार ने समझदारी से पानी फेर दिया है फिर भी ऐसा नहीं है कि राज्य और देश के लिए यह संकट टल गया हो. पूरे देश में ही हर राज्य सरकार को इसी तरीके से मदरसों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने यहाँ आने वाले लोगों में किसी की भी संदिग्ध हरकतों पर नज़र रखने के लिए प्रेरित करने के प्रयास शुरू करने चाहिए क्योंकि किसी स्थान पर किसी संदिग्ध के पाये जाने से पूरे देश के हर मदरसे पर प्रश्नचिन्ह लगाने में जुटी हुई कुछ शक्तियां इस मामले को भी गरमाना ही चाहेंगीं. पूरे देश के मदरसों को स्वेच्छा से प० बंगाल की तरह राज्य सरकार के साथ पूरे सहयोग को दिखाना चाहिए जिससे उनके मदरसों पर कभी भी कोई अलगाववादी नज़र न गड़ा सके.      
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