हंदवाड़ा में सेना के जवान द्वारा कथित रूप से एक स्थानीय लड़की को छेड़ने की अफवाह के बाद जिस तरह से पूरे मामले में जिस तरह से राजनीति शुरू हुई वह भले ही कुछ दलों और स्थानीय नेताओं के साथ कश्मीरी अलगाववादियों के लिए कुछ समय तक एक जीवंत मुद्दे के रूप में वोट दिलवाने का काम करती रहे पर आने वाले समय में पूरी कश्मीर घाटी के लिए उसका सन्देश अच्छा नहीं रहने वाला है. सेना के एक जवान पर आरोप लगाने के बाद अलगाववादियों ने जिस तरह से स्थानीय निवासियों को भड़काया और उसके साथ ही फैली हिंसा में चार कश्मीरी युवक भी मारे गए तो उससे हंदवारा या कश्मीरियों को क्या मिला आज यह सवाल कोई भी कश्मीरी अपने आप से क्यों नहीं पूछना चाहता है ? इस मामले में सेना को बदनाम करने की जिस स्तर पर एक सुनियोजित साज़िश की गयी अब उसके विरोध में कुछ भी क्यों नहीं कहा जा रहा है सम्भवतः लड़की के बयान के बाद उन लोगों की कलई खुल गई जो सेना पर आम कश्मीरियों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाने से कभी भी नहीं चूकते हैं अब क्यों उन लोगों से कोई सवाल नहीं पूछा जा रहा है जिनकी घिनौनी राजनीति में युवकों की जान चली गयी है ?
लड़की के दो बार दिए गए बयान के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि उसे स्थानीय लड़के छेड़ा करते थे और इस मामले में उन्होंने लड़की को माध्यम बनाकर घाटी में अशांति का नया दौर शुरू करने की एक कोशिश की जा रही थी जिसे अब पूरी तरह से नाकाम कर दिया गया है. लड़की के अपने चाचा या मामा के घर पुलिस सुरक्षा में रहने को लेकर भी अनावश्यक सवाल खड़े किये जा रहे हैं कि अभी भी लड़की पुलिस की हिरासत में है जबकि जम्मू कश्मीर सरकार और पुलिस का कहना है कि उसे उन लड़कों और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केवल पुलिस सुरक्षा दी गयी है उसके कहीं भी आने जाने पर सरकार की तरफ से कोई भी प्रतिबन्ध नहीं लगाए गए हैं. सरकार की तरफ से उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गयी है. यह भी संभव है कि आने वाले समय में कोई निर्दयी अलगाववादी उस निर्दोष लड़की की जान लेने की कोशिश भी कर सकता है क्योंकि उसके सच बयान करने के बाद उनकी राजनीति सबके सामने आ गयी है और उनके लिए मुंह छिपाने जैसी स्थिति बन गयी है.
पिछले कई वर्षों से जम्मू कश्मीर में पर्यटन का समय शुरू होने के साथ इस तरह की सुनियोजित साज़िश अलगाववादियों की तरफ से लगातार की जाती रही है और इनकी इस मंशा को आम कश्मीरी या तो समझना ही नहीं चाहता है या उनके भय के कारण उनके हाथों में खेलने को मजबूर रहा करता है. पर्यटन से आमलोगों को होने वाली आय के माध्यम से गरीब कश्मीरियों और व्यापारी वर्ग के लिए लाभ कमाने का मौका होता है पर जब घाटी में इस तरह के प्रदर्शन और बंद के साथ कर्फ्यू जैसे हालात रहेंगें तो पूरे देश और दुनिया से कोई क्यों वहां जाना चाहेगा ? अलगाववादियों की एक बड़ी मंशा यह भी रहा करती है कि आम कश्मीरी के सामने सदैव ही रोज़ी रोटी की समस्या बनी रहे जिससे हताश होकर नौजवान वर्ग भी अलगाववादियों की तरफ मजबूरी में झुकने को मजबूर हो जाये. जब तक इस मंशा के साथ काम करने वाले लोगों को घाटी के लोग अलग थलग नहीं करेंगें तब तक उनकी धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों में कोई बड़ा सुधार नहीं होने वाला है. महबूबा मुफ़्ती के रूप में राज्य के पास अब ऐसी नेता हैं जो राज्य के समग्र विकास और परिवर्तन के लिए सही दिशा में काम करने की क्षमता रखती हैं तो अब कश्मीरियों के पास उनके साथ आगे बढ़कर घाटी को झूठे प्रचार से बाहर निकलने का अवसर भी है जो सम्भवतः समय चूक जाने पर दूसरी बार नहीं मिलने वाला है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
लड़की के दो बार दिए गए बयान के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि उसे स्थानीय लड़के छेड़ा करते थे और इस मामले में उन्होंने लड़की को माध्यम बनाकर घाटी में अशांति का नया दौर शुरू करने की एक कोशिश की जा रही थी जिसे अब पूरी तरह से नाकाम कर दिया गया है. लड़की के अपने चाचा या मामा के घर पुलिस सुरक्षा में रहने को लेकर भी अनावश्यक सवाल खड़े किये जा रहे हैं कि अभी भी लड़की पुलिस की हिरासत में है जबकि जम्मू कश्मीर सरकार और पुलिस का कहना है कि उसे उन लड़कों और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केवल पुलिस सुरक्षा दी गयी है उसके कहीं भी आने जाने पर सरकार की तरफ से कोई भी प्रतिबन्ध नहीं लगाए गए हैं. सरकार की तरफ से उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गयी है. यह भी संभव है कि आने वाले समय में कोई निर्दयी अलगाववादी उस निर्दोष लड़की की जान लेने की कोशिश भी कर सकता है क्योंकि उसके सच बयान करने के बाद उनकी राजनीति सबके सामने आ गयी है और उनके लिए मुंह छिपाने जैसी स्थिति बन गयी है.
पिछले कई वर्षों से जम्मू कश्मीर में पर्यटन का समय शुरू होने के साथ इस तरह की सुनियोजित साज़िश अलगाववादियों की तरफ से लगातार की जाती रही है और इनकी इस मंशा को आम कश्मीरी या तो समझना ही नहीं चाहता है या उनके भय के कारण उनके हाथों में खेलने को मजबूर रहा करता है. पर्यटन से आमलोगों को होने वाली आय के माध्यम से गरीब कश्मीरियों और व्यापारी वर्ग के लिए लाभ कमाने का मौका होता है पर जब घाटी में इस तरह के प्रदर्शन और बंद के साथ कर्फ्यू जैसे हालात रहेंगें तो पूरे देश और दुनिया से कोई क्यों वहां जाना चाहेगा ? अलगाववादियों की एक बड़ी मंशा यह भी रहा करती है कि आम कश्मीरी के सामने सदैव ही रोज़ी रोटी की समस्या बनी रहे जिससे हताश होकर नौजवान वर्ग भी अलगाववादियों की तरफ मजबूरी में झुकने को मजबूर हो जाये. जब तक इस मंशा के साथ काम करने वाले लोगों को घाटी के लोग अलग थलग नहीं करेंगें तब तक उनकी धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों में कोई बड़ा सुधार नहीं होने वाला है. महबूबा मुफ़्ती के रूप में राज्य के पास अब ऐसी नेता हैं जो राज्य के समग्र विकास और परिवर्तन के लिए सही दिशा में काम करने की क्षमता रखती हैं तो अब कश्मीरियों के पास उनके साथ आगे बढ़कर घाटी को झूठे प्रचार से बाहर निकलने का अवसर भी है जो सम्भवतः समय चूक जाने पर दूसरी बार नहीं मिलने वाला है.
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