मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

व्हाट्सएप और राष्ट्रीय सुरक्षा

                                                           दुनिया भर में चैट करने के लिए उपयोग में लाये जा रहे एप्लीकेशन व्हाट्सएप की तरफ से अपने उपयोगकर्ताओं को एन्क्रिप्शन की नयी सुरक्षा देने के बाद से जहाँ अपनी निजी चैट के सुरक्षित रहने को लेकर आमलोग खुश हैं वहीं देश में सुरक्षा से जुडी हुई तमाम एजेंसियों को इससे बड़ा खतरा भी दिखाई दे रहा है. भारतीय समाज अभी उतना परिपक्व नहीं हुआ है कि वह इस तरह की सुविधाओं से फैलने वाली समस्याओं से निपटने में भी सक्षम हो इसलिए यह व्यक्तिगत सुरक्षा सम्बन्धी नयी सेवा आने वाले समय में देश में नयी तरह की समस्या भी उत्पन्न कर सकती है. इस खतरे को भांपते हुए ही सुरक्षा एजेंसियों ने पहली प्रतिक्रिया में ही इसके बारे में अपनी राय स्पष्ट कर दी है क्योंकि इस नयी व्यवस्था में दो लोगों के बीच में भेजे गए संदेशों को किसी भी स्तर पर पढ़ा नहीं जा सकता है जिससे देश में वैमनस्यता फ़ैलाने वालों के लिए बच पाना आसान भी होने वाला है और इस सन्देश को जान पाना किसी भी एजेंसी के लिए कठिन हो सकता है. एक बार फिर इससे वही माहौल बनने जा रहा है जैसा ब्लैकबेरी के समय भी देखा गया था पर मनमोहन सरकार द्वारा सख्ती दिखाए जाने के बाद ब्लैकबेरी ने भारत में अपने सर्वर को लगा कर हमारी सुरक्षा सम्बन्धी चिंताओं को दूर किया था.
                          भारत में सोशल मीडिया कई बार कई तरह की समस्याएं लेकर भी आया है एक बार जब दक्षिण भारत में पूर्वोत्तर के छात्रों और लोगों के खिलाफ कुछ मेसेज फैलाए जाने के बाद उनका तेज़ी से पलायन शुरू हुआ था उसे कौन भूल सकता है और विभिन्न विपरीत परिस्थितियों में आम भारतीयों द्वारा मामले की गम्भीरता को समझे बिना ही जिस तरह से किसी भी सन्देश को विश्वसनीय मानकर आगे बढ़ाने की प्रवृत्ति देखी जाती है उससे भी अफवाहों का बाजार गर्म ही होता है. इस सबसे बचने के लिए ही देश के संवेदनशील राज्यों में सोशल मीडिया लैब्स की स्थापना की जा रही है पर जब सुरक्षा का स्तर ऐसा कर दिया जायेगा तो समाज को बांटने के प्रयासों में लगे हुए किसी भी व्यक्ति को कानूनी घेरे में ल पाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए असम्भव भी हो जायेगा. जब तक ऐसी किसी भी सुरक्षा के लिए देश की सुरक्षा से समझौता होने की सम्भावनाएं बनती हैं तब तक इसके इस तरह से उपयोग को रोकने के बारे में केंद्र सरकार को ही सोचना है. गुजरात और हरियाणा के मामलों में सोशल मीडिया के दुरूपयोग को देखते हुए ही इंटरनेट पर रोक लगाने का कदम स्थानीय सरकारों द्वारा उठाया गया था.
                       भारत के विशाल बाज़ार की कोई भी देश और संस्थान अनदेखी नहीं कर सकता है इसलिए इस मसले पर टेलीकॉम मिनिस्ट्री और होम मिनिस्ट्री को अविलम्ब ठोस कदम उठाते हुए व्हाट्सएप को सूचित कर देना चाहिए कि आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षा एजेंसियों को उसके किसी भी व्यक्ति और सन्देश तक पहुँचने की सुविधा होगी तथा समय की मांग के अनुरूप इस पूरे प्रकरण में सुरक्षा एजेंसियों की नज़रों से कुछ भी छिपा नहीं रहेगा तभी इसके सञ्चालन की अनुमति दी जा सकती है. जब तक ऐसा कठोर सन्देश नहीं भेजा जायेगा तब तक कोई भी कम्पनी भारतीय सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी करने से बाज़ नहीं आएगी. भारतीय कानून में स्पष्ट रूप से इस तरह का संशोधन किये जाने की आवश्यकता है जिसमें किसी भी कम्पनी को देश की सुरक्षा सम्बन्धी चिंताओं को दूर किये बिना अपनी सेवाओं को देने से रोकने की व्यवस्था भी हो. यह भी सही है कि आने वाले समय में इस सुविधा का दुरूपयोग देश विरोधी किसी भी तरह की गतिविधि में किया जा सकता है और सुरक्षा एजेंसियों के पास इस तक पहुँच न होने के चलते वे बहुत कुछ कर पाने की स्थिति में होते हुए भी कुछ नहीं कर पाएंगीं जिससे देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा पर कई तरह की चिंताएं भी दिखाई दे सकती हैं.  
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