मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 15 नवंबर 2009

अस्पताल में मौत...

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में ३ दिन पहले एक ऐसी घटना हुई जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। जनपद के महिला चिकित्सालय में एक बिस्तर पर दो दो प्रसूताओं को उनके बच्चों के साथ रखा जा रहा था जिसके कारण एक नवजात की बिस्तर से गिरकर मौत हो गई.... देश में आबादी के कारण बहुत सी दिक्कतें हैं पर उन दिक्कतों को किस तरह से बढ़ाने का काम यहाँ पर किया जाता है यह बहुत सोचने की बात है। सरकारी दबाव में बहुत सारे काम किए जाते हैं पर क्या कोई ऐसी व्यवस्था नहीं बनाई जा सकती जिसमें कुछ ऐसा किया जा सके जो इन नवजात बच्चों और उनकी माताओं के लिए भी कुछ कर सके ? यह भी सही है कि पिछले कुछ दिनों से स्थानीय अख़बारों द्वारा ठेलिया, गाड़ी आदि में प्रसव की बहुत सारी खबरें छापी गयीं हैं जिसके दबाव में ही सारे बच्चों को भरती करने का प्रयास किया गया होगा। इस दबाव एवं प्रयास का एक माँ पर क्या असर हुआ होगा जो कि अपने बच्चे के साथ पता नहीं कितने सपने बुनकर यहाँ आई होगी ? क्या सरकार के पास कोई आंकड़ा होता है कि किसी क्षेत्र विशेष में कितनी गर्भवती महिलाएं है ? यदि ऐसा कुछ हो तो शायद योजनाएं ठीक से चल सकें। हम जनता के लोग भी किस तरह से व्यवहार करते हैं कभी भी इस तरह के किसी भी अभियान को कोई समर्थन नहीं देते हैं। आज कल सूचना क्रांति का युग है कुछ ऐसा होना चाहिए कि एक संदेश भेजकर लोग गर्भावस्था की जानकारी किसी नम्बर पर दे सकें। जिससे सरकार के पास कम से कम एक आंकडा तो रहे कि तहसील, जिले या राज्य स्तर पर कितनी महिलाएं गर्भवती हैं ? इससे जनपद में कुछ समस्या हल हो जायेगी तथा लोगों को भी कुछ सुविधाएँ मिलने में आसानी हो जायेगी। अभी भी यह देखना है कि क्या कुछ करके देश में इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है ? आशा है कि अब किसी माँ की गोद बिस्तर से बच्चे के गिरने के कारण सूनी नहीं होगी ........

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