मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

चुनाव सुधार....

देश के बड़े भूभाग को देखते हुए आज तक किसी भी तरह से यह नहीं किया जा सका कि आवश्यकता पड़ने पर चुनाव को आसानी से निपटा लिया जाता. आज के सूचना के युग में एक बात जो की जा सकती है वो यह कि मतदान को मोबाइल चुनाव वैन से संपन्न कराया जाये जिससे लगने वाले पैसे और समय में काफी बचत हो सकती है. आज के समय में जिस तरह से चुनाव की तैयारियों में महीनों लग जाया करते हैं और उसके बाद भी कुछ दल चुनाव आयोग की मंशा और कार्य प्रणाली  पर संदेह करते रहते हैं उसका भी कोई हल निकला जाना चाहिए. सबसे पहले देश की मतदान सूचियों को पूरी तरह से एक वेबसाइट पर डालना होगा और साथ ही उसकी व्यवस्था इस तरह करनी होगी कि पहचान के लिए आँख या अंगूठे के निशान का उपयोग किया जाये जिससे मतदाता नेट से जुड़े होने के कारण देश के किसी भी हिस्से में अपना मत  दे सकेगा. मतदान के समय  किसी भी तरह से सुरक्षा का मुद्दा भी नहीं रहेगा क्योंकि किसी और का मत कोई और किसी भी परिस्थिति में नहीं डाल पायेगा. मतदान एक दिन में कराये जाने की बजाय दो/तीन दिनों में कराया जाये, सारे आंकड़े वेबसाइट पर होने के कारण कोई फेर बदल की बात भी नहीं कर सकेगा. जब कोई भी अवैध मत नहीं डाल पायेगा तो सुरक्षा के इतने सारे ताम झाम की भी आवश्यकता नहीं रहेगी. डाले गए मतों की संख्या में हेर फेर न किया जा सके इसके लिए मतदान समाप्त होने के बाद पूरे आंकड़े की एक सी  डी भी बनायीं जाये जिसका किसी भी विवाद कि स्थिति में उपयोग किया जा सके. सुरक्षा की दृष्टि से मतदान के आंकड़ों को राज्य चुनाव आयोग और केंद्रीय चुनाव आयोग की वेबसाइट दोनों स्थानों पर अंकित कराया जाना चाहिए जिससे किसी भी स्थिति में सारा रिकार्ड तीन जगहों पर सुरक्षित रहे और आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सके. जब भी कोई नयी व्यवस्था शुरू की जाएगी तो उसमें कुछ खामियां धरातल पर दिखाई देंगीं तो उनसे डर कर क्या नए प्रयोग बंद कर दिए जाने चाहिए ? नहीं ! देश में जाति धर्म प्रान्त भाषा आदि पर भी बहुत वोट दिए और लिए जाते हैं फिर इसको रोकने के लिए कोई सुधार क्यों नहीं ? कल इस तरह के सुधार पर चर्चा का प्रयास रहेगा कि किस तरह के नए कार्यों से इस व्यवस्था को तोड़ा जा सकेगा औए किसी भी स्तर पर देश को बाँटने वाले मुद्दे पर वोट मांगने से नेताओं को कैसे रोका जा सकता है ?


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