मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

हरियाणा में शादियाँ

         हरियाणा के फतेहाबाद जिले में हुई एक घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जिस तरह से उन्होंने पिछले  दो दशकों में भ्रूण परीक्षण करवा कन्या भ्रूणों की हत्या की थी उसका फल आज पूरा समाज भुगतने को अभिशप्त है. एक लड़की के बिना उन्होंने जिस समाज की कल्पना की थी वह इतनी भयानक होगी किसी ने भी नहीं सोचा था. सम्पूर्ण सृष्टि में जो नियम हैं कुछ तकनीक का दुरूपयोग कर उसे बिगाड़ने की चेष्टा लड़कों पर इतनी भारी पड़ेगी किसी ने नहीं सोचा था. आज वहां पर बहुत से गाँवों में बहन के बदले बीवी मिल पा रही है ? वह समाज जो गोत्र आदि मसलों पर बहुत संवेदन शील रहता है किस मजबूरी में ऐसे फैसले ले पा रहा होगा यह भी समझा जा सकता है ??
           विज्ञान का दुरूपयोग और चंद चिकित्सकों का लालच पूरे समाज पर क्या असर डाल सकता है यदि यह देखना हो तो ऐसे उदाहरण बहुत आसानी से मिल जायेंगें. हरियाणा में आज महिला पुरुष अनुपात ८२२ : १००० रह गया है. ज़ाहिर है ऐसे में लड़कों की शादी के लिए लड़कियां आसानी से तो नहीं मिलेंगीं ? जिन लोगों ने तब केवल बेटों की चाहत में बेटियों की कोख में ही हत्या कर दी थी वे आज यह सोच रहे हैं कि काश हमारे एक बेटी होती तो कम से कम हमारे बेटे का विवाह तो हो जाता ? वाह रे सोच !! आज भी बेटियों की ज़रुरत केवल इसलिए कि उनके बेटों की शादी हो जाये ?
              अब भी ज़रुरत है कि समाज अपने आप चेत जाये... हरियाणा का यह उदाहरण उन सभी के लिए चेतावनी है जो इस तरह से कन्या को पैदा होने से पहले ही ख़त्म कर देने में विश्वास करते हैं ? अब तो देश के सभी हिस्सों में लोगों को समझ लेना चाहिए कि  समाज को चलाने के लिए बेटों जितनी ज़रुरत बेटियों की भी होती है केवल बेटों से समाज का संतुलन कैसे बना रह पायेगा ? आज के समय में भी यह सोच बहुत खतरनाक है क्योंकि हम सभी जगहों पर समानता की बातें करते नहीं थकते ? हमारे आदर्शों में बेटियों का दर्ज़ा किरण बेदी, कल्पना चावला, खुशबू मिर्ज़ा, पी टी ऊषा जैसा होता है पर जब ज़िम्मेदारी की बात आती है तो हम इन्हें समाज में आने से पहले ही समाप्त कर देने में भरोसा करते हैं ? आज भी अगर यह सब जारी रहा तो कल समाज में शायद बीवी के बदले देने के लिए लोगों के पास बहनें भी नहीं होंगीं ?   


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