जैसा कि अपेक्षित था कि जब भी कश्मीर मसले पर मनमोहन सिंह बोलेंगें तो वे किसी ठोस बात के सामने आयेगें पर आज के माहौल में कश्मीर के कितने युवा उनकी इस तरह की बातों का समर्थन करना चाहेंगें ? यह सही है कि घाटी के लोगों की अपनी समस्याएं है और हम उनको शेष भारत में बैठकर नहीं सुलझा सकते हैं. कश्मीर में राजनैतिक संकट के साथ विश्वास का संकट सबसे बड़ा है. मनमोहन की अपील और बयान सही है कि उन्होंने कश्मीरी युवकों से कश्मीर के उज्जवल भविष्य के लिए अपने स्कूल कॉलेज लौटने का आह्वाहन किया है. उन्होंने कहा कि पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी ही कश्मीर के भविष्य को आगे बढ़ाने वाली है इसलिए विरोध भी एक स्तर तक ही होना चाहिए. उन्होंने जिस तरह से अपने संबोधन में सीधे कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मारे गए युवकों और घायल हुए लोगों के परिवारों के लिए वे दुखी हैं यह अपने आप में बहुत संतोष जनक है.
प्रधानमंत्री ने कश्मीर कि समस्या का आर्थिक समाधान खोजने के लिए एक कार्यबल बनाए की बात भी कही जिसकी रिपोर्ट ३ महीने में आ जाएगी. कश्मीर में रोज़ी रोटी का संकट लोगों को बहुत अखरता है पर वहां पर जिस तरह से छोटी छोटी बातों पर इतना बवाल हो जाया करता है उससे सारे किये धरे पर पानी फिर जाता है उससे पूरे देश में आम कश्मीरी की छवि बहुत झगड़ालू जैसी बनती जाती है. कश्मीर के लोगों को भी यह समझना होगा कि भारत ने आज तक उनके लिए क्या किया है ? पाक अधिकृत कश्मीर की हालत आज किसी से भी नहीं छिपी है फिर भी सारी दुनिया के मुसलमानों को पाक यह कहकर बरगलाता रहता है कि कश्मीर में आज मुसलमानों को जीने नहीं दिया जा रहा है ? कश्मीर में आज मुसलमानों को छोड़कर कोई है ही नहीं तो फिर कौन किसे नहीं जीने दे रहा है ? मनमोहन सिंह ने कश्मीर कि पुलिस को और मज़बूत होने के लिए कहा और कहा कि उसे हर मसले से निपटने में सक्षम होना ही होगा.
विशेष सुरक्षा कानून को लेकर उन्होंने कहा कि यह हमेशा जारी नहीं रह सकता है और इसके बिना वहां पर आतंकियों के खिलाफ किसी भी अभियान में बहुत अड़चन आ सकती है पर जितनी जल्दी हो सके शांति आने के साथ इस कानून और केन्द्रीय बलों को वापस किया जाना चाहिए, पर किसी भी तरह से राज्य में अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. राज्य सरकार को कोई भी कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे किसी भी स्तर पर सुरक्षा बलों का मनोबल प्रभावित हो. राज्य के युवाओं को पूरी तरह से राज्य की हर गतिविधि में जोड़ा जाना चाहिए जिससे वे वहां के पूरे तंत्र से जुड़ सकें.
कश्मीर का मामला आज दुनिया के लिए उतना महत्त्व नहीं रखता है क्योंकि सभी जान चुके हैं कि कश्मीर को अस्थिर करने में पाक का हाथ है और कोई भी देश इस समय इस तरह की बातों का समर्थन करके पूरी दुनिया में सर उठा रही आतंकी ताकतों को मजबूती नहीं देना चाहता है. इसी लिए आज पाक की बात कोई भी नहीं सुन रहा है और भारत के खिलाफ बोलने वालों के सुर भी अभी तक उतने ऊंचे नहीं हो पाए हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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