आख़िर कार यू पी के खेल मंत्री अयोध्या प्रसाद ने अपनी गलती मानते हुए माफ़ी मांग कर खिलाड़ी सुधा सिंह को फिर से प्रदेश की तरफ से खेलने के लिए राज़ी कर ही लिया है. शनिवार को लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में इस खिलाड़ी की जिस तरह से खेल मंत्री के आने के बाद उपेक्षा की गयी उससे आहत होकर सुधा ने भविष्य में प्रदेश की तरफ से खेलने से भी तौबा कर ली थी. पहले तो सरकारी स्तर पर चुप्पी छाई रही पर जैसे ही यह खबर अपनी पूरी तेज़ी के साथ फैली तो प्रदेश सरकार हरकत में आई और खेल मंत्रालय समेत खेल मंत्री को भी अपनी ग़लती का अहसास हुआ.
देश को हमारे माननीय नेता कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं यह किसी से भी छिपा नहीं है पर अब जिस तरह से प्रतिभाओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया जाने लगा है वह किसी भी तरह से ठीक नहीं है. विपरीत परिस्थियों में भी इन खिलाड़ियों ने पाने दम ख़म से जो कुछ भी पाया है उसका सम्मान करने लायक तो ये नेता होते नहीं हैं उलटे इनको उपेक्षित करके पता नहीं क्या दिखाना चाहते हैं ? अगर नेता और सरकारें खिलाड़ियों को कुछ दे नहीं सकती हैं तो उनको यह हक़ किसने दे दिया है कि वे किसी के साथ कुछ भी होने दें ? देश में वैसे भी गिनती के विश्व स्तरीय खिलाड़ी ही उभर कर सामने आ पाते हैं फिर उनको इस तरह से उपेक्षित करके आख़िर हम क्या दिखाना चाहते हैं ? एक सवाल और कि अगर सुधा सिंह की जगह कोई क्रिकेट खिलाड़ी होता तो क्या मंत्री जी की इतनी औक़ात थी कि वे उसको अनदेखा कर पाते ?
कभी नहीं क्योंकि किसी थोड़े से भी ख्यति प्राप्त क्रिकेट खिलाड़ी को इतने लोग जानते हैं कि मंत्री तो क्या प्रधान मंत्री भी उसकी अनदेखी नहीं कर सकते हैं ? देश में खेलों के साथ आख़िर कब तक इस तरह का दुर्व्यवहार किया जाता रहेगा ? अब भी अगर हम नहीं चेते तो कभी भी हमारे देश में खिलाड़ी कोई और खेल खेलने के बारे में नहीं सोचेंगें और इतनी बड़ी आबादी वाला हमारा देश केवल कुछ मेडल्स के लिए हमेशा ही तरसता रहेगा ? चेतो नेता चेतो कहीं ऐसा न हो कि आने वाली पीढ़ी केवल टी वी पर दूसरों को मेडल जीतते हुए ही देख पाए ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
इतनी थू थू हो गई इसलिये दिखावा है..
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