मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

२ जी और जांच

                    सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से २ जी घोटाले के मामले में तेज़ी दिखाई है उससे लगता है कि आने वाले समय में इस केस के किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. कोर्ट ने जिस गंभीरता से इसे सुना है और इस मामले के लिए विशेष अदालत के गठन की बात की है उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में जिनका नाम इस घोटाले में शामिल है उनकी शामत आने वाली है. अभी तक कोर्ट जिस तरह से इस मामले को समझने का प्रयास कर रही थी अब उसने यह नतीजा निकला है कि देश को लगाये गए चूने के इस मामले में शामिल सभी लोगों से गहन पूछताछ की जाये क्योंकि जब तक जांच का दायरा बड़ा नहीं किया जाता है तब तक पूरी और निष्पक्ष जांच होने में संदेह ही बना रहेगा ? कोर्ट ने सीबीआई से यह भी कहा है कि इस मामले को बहुत बड़े स्तर पर देखा जाये और किसी भी व्यक्ति भले ही वह कोई भी हो उससे गहन पूछताछ की जाये. कोर्ट ने रिमांड के बारे में कहा कि एजेंसी को किसी से भी सवाल पूछने का हक़ है भले ही उसका नाम फोर्ब्स की सूची में ही क्यों न हो ? कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को भी कानून तोड़ने का हक़ नहीं दिया जा सकता है और दोषियों के खिलाफ़ सख्ती से काम करने की आवश्यकता है. कोई भी व्यक्ति या औद्योगिक समूह देश से बड़ा नहीं हो सकता है अतः सभी को एक समान तरीके से देखना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि अभी तक फ़ौरी तौर पर केवल ४ नाम ही दिख रहे हैं पर जिन लोगों को इससे लाभ मिला है उनके बारे में एजेंसी की क्या योजना है ? असली दोषी तो वे भी हैं जिन्होंने नियमों का लाभ उठाकर चुपचाप अपना काम कर लिया है. एजेंसी को इस मामले को व्यापक रूप देना चाहिए और वह किस तरह से काम करना चाहती है यह भी कोर्ट को अवगत कराये जिससे उसकी स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके. कोर्ट ने सरकार से एजेंसी को पूरी स्वतंत्रता देने के लिए भी कहा.
                       यह सही है कि इतने बड़े मामले में कोई भी काम जल्दबाज़ी और लापरवाही से नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि अभी जो भी अभियोग पत्र दाखिल किया जायेगा उसके दम पर ही पूरा केस चलना है और यहाँ पर की गयी कोई भी कोताही इस केस को कमज़ोर करने का काम कर सकती है. सरकार अगर अपनी विश्वसनीयता बचाए रखना चाहती है तो उसे भी अब इस मामले में एजेंसी को खुला हाथ देना ही पड़ेगा वरना वह भी आने वाले समय में लपेटे में आने वाली है ? कोर्ट ने एजेंसी को यह भी कहा कि अब जांच व्यापक रूप से होनी चाहिए जिससे षड़यंत्र के बड़े नाम भी सामने आ सकें ? कोर्ट को एजेंसी के वकील ने बताया कि व्यापक दायरे के कारण नए सिरे से जांच करनी होगी और एजेंसी १ माह में अपनी प्राथमिक रिपोर्ट दाखिल कर देगी. सवाल यह नहीं है कि कोर्ट को ऐसे क्यों कहना पड़ता है लगता है कि कोर्ट और जनहित याचिका दायर करने वाले लोगों को महसूस हो रहा है कि जांच को प्रभावित करने के प्रयास किये जा सकते हैं. अब इस बात की आवश्यकता है कि कोर्ट के आदेश और सुझावों पर विचार कर सभी को अपना काम करना चाहिए. जांच की व्यापकता से ही पता चल पायेगा कि इस पूरे मामले में कौन कहाँ तक लिप्त था ? अभी किसी के बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाज़ी होगी क्योंकि जब तक पूरी जांच नहीं होगी तब तक कुछ नाम सामने आने से कुछ भी होने वाला नहीं है जो वास्तव में दोषी हैं आज उनको सबके सामने लाने की ज़रुरत है. देश को अब सब कुछ जानना है भले ही वह सच कैसा भी हो और घोटाले की व्यापकता को देखते हुए कोर्ट भी इस बात पर सहमत है कि सुनवाई तेज़ी से हो पर किसी भी दोषी को कहीं से भी बख्शा न जाये. सरकार को अविलम्ब एक विशेष अदालत का गठन करना चाहिए जिससे पूरा घोटाला सामने आ जाये. साथ ही इस बात की नज़ीर भी हो जाये कि अब देश के साथ धोखा करने वाले किसी भी स्तर पर हों उनको छोड़ा नहीं जायेगा.

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