मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

उमर फ़िदाई से फ़िदायीन तक....

       अप्रैल की शुरुवात में पाक की एक दरगाह में हुए आत्मघाती विस्फोट में बचे एक फ़िदायीन उमर फ़िदाई ने अस्पताल में जिस तरह से अपने फ़िदायीन बनने के सफ़र का ज़िक्र किया उससे यही लगता है कि तालिबान इस्लाम की अपनी कट्टर विचारधारा को लागू करवाने के लिए किस हद तक जाने को तैयार है ? १४ वर्षीय उमर ने जिस तरह से अपने इस सफ़र के बारे में बताया उससे स्पष्ट है कि तालिबान की नज़रों में लोगों को गुमराह करके उन्हें ज़न्नत का वास्ता देकर यह काम कराना पाकिस्तान में बहुत आसान है क्योंकि आज भी वहां पर शिक्षा की बहुत कमी है और लोग बाहर की दुनिया में होने वाली किसी भी गतिविधि से पूरी तरह से कटे रहते हैं. फिर वहां पर तालिबान अपने को सच्चा मुसलमान दिखाने की कोशिशें भी करते रहते हैं जिससे कोमल किशोर मानस पर उसकी बातों का असर जल्दी ही हो जाता है. आज पाकिस्तान में इस बात की अधिक आवश्यकता है कि किसी भी तरह से वहां की नयी पीढ़ी को तालिबान के इस घातक चंगुल से निकला जाये क्योंकि एक समय ऐसा भी आ सकता है कि पूरी नयी पीढ़ी इतनी नफ़रत से भरी होगी कि उसे अपने परिवार के लोगों को मरने में भी कसक नहीं होगी. 
       उमर को यह कहा गया था कि उसे काफ़िरों से लड़ने के लिए अफगानिस्तान भेजा जायेगा पर उसे पाक में ही विस्फोट करने की ज़िम्मेदारी दी गयी जिस पर उसने हैरानी भी जताई पर उसे यह करकर समझाया गया कि जो लोग दरगाह पर जाते है वे भी काफ़िर हैं और काफ़िरों को मारने से उन्हें ज़न्नत मिल जाएगी. केवल धार्मिक शिक्षा कभी भी बुरी नहीं होती पर जब इस धार्मिक शिक्षा और पवित्र ग्रंथों में कहीं गयी किसी एक बात को ही पकड़ कर उसकी अपने हिसाब से व्याख्या की जाने लगती है तो उसका असर ऐसा ही होता है जैसा आज पूरे पाकिस्तान में होने लग रहा है ? आज के खुले वातावरण में पूरे विश्व में सभी को हर तरह की बात मानने और करने की पूरी छूट मिली हुई है और आगे बढ़ने के लिए इन सभी बातों की बहुत आवश्यकता होती है पर जब भी कुछ लोग इन उपदेशों का दुरूपयोग करके उनकी मनमानी व्याख्या करने लगते हैं तभी धर्म पर अन्य लोगों को ऊँगली उठाने का मौका मिल जाता है.
     आज के समय पाक सरकार को यह तय करना है कि वह आने वाली दुनिया को कैसा पाकिस्तान देना चाहती है ? अभी भी समय है कि पूरी तरह से धर्म के नाम पर अधर्म में लगे हुए लोगों पर वहां नकेल कासी जाये वरना आने वाले समय में आज का असफल राष्ट्र पाक कहीं पूरी तरह से टूट न जाये. पाक को बचाने की ज़िम्मेदारी वहां के लोगों की ही है और जब तक आम लोग आगे आकर देश को बचाने के लिए कोशिशें नहीं करेंगें सरकारी स्तर पर किया गया कोई भी काम अधूरा ही रहेगा क्योंकि जब लोग यह समझ लेंगें कि उन्हें कैसा पाकिस्तान चाहिए तभी वे खुद भी अच्छे से जी सकेंगें और दूसरों को भी जीने देंगें. वरना वह समय दूर नहीं जब पाक भी इस पूरे क्षेत्र के लिए अफगानिस्तान की तरह एक नासूर बन जायेगा और हो सकता है कि किसी समय इसे सुधारने के लिए बाकी दुनिया को कोई बड़ा अभियान चलने की ज़रुरत भी पड़ जाये.     

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