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रविवार, 24 जुलाई 2011

कश्मीर में फिर आग़

     कश्मीर घाटी में एक बार फिर से अमरनाथ यात्रा के दौरान बवाल होना शुरू हो गया है जिससे आम कश्मीरियों के साथ ही वहां पहुँचने वाले यात्रियों के लिए बहुत बड़ी असुविधा होने लगी है. ताज़ा मामले में १९ जुलाई की रात सेना के दो जवानों द्वारा एक महिला के बलात्कार की घटना के आरोप के बाद से घाटी में एकदम से उबाल आ गया है हालांकि सेना और सरकार ने इस मामले की पूरी जांच करवाने के आदेश दे दिए हैं और सेना के उच्च अधिकारियों की देख-रेख में पूरी स्थिति पर नज़र रखी जा रही है फिर भी इसी बहाने से आतंकियों को एक बार फिर से आम कश्मीरियों को भड़काने का मौक़ा तो मिल ही गया है. पीड़ित महिला के परिवार वालों ने उसके मानसिक रूप से बीमार होने की पुष्टि की है जिससे सेना ने राहत की सांस ली है फिर भी सेना इस मामले को आसानी से छोड़ने वाली नहीं है और इस बात की जाँच तो होनी ही चाहिए की आख़िर कौन इस तरह की घटनाओं से लाभ उठाने की फ़िराक़ में रहता है.
       अब इस मामले में यह देखा जाना आवश्यक है कि किसी भी स्तर पर घाटी को सामान्य नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जिस मामले में पूरी तरह से दोहरी जांच हो रही हो उसके बाद भी इस तरह से पत्थरबाज़ी और प्रदर्शन करके वहां की आम जिंदगी को पटरी से उतारने के प्रयास किये जा रहे हैं ? अब समय आ गया है कि घाटी के लोग यह ख़ुद ही समझ लें कि कौन उनका सगा है और कौन उनके हितों पर बराबर चोट करने का काम किया करता है ? जिस तरह से गर्मी के मौसम में और अमरनाथ यात्रा के समय पूरे देश से बड़ी संख्या में यात्री घाटी भी जाते हैं उससे वहां के लोगों के लोए रोज़गार के अवसर बनते हैं और अब लगभग हर साल इस तरह से यात्रा के समय ही कुछ न कुछ बवाल करके आम कश्मीरियों को कुछ पैसे कमाने से रोकने के प्रयास किये जाने लगे हैं ? आख़िर कौन से लोग हैं इनके पीछे जो ख़ुद को कश्मीर का हितैषी बताने से नहीं चूकते हैं पर कश्मीरियों के हितों को सबसे ज्यादा चोट वही लोग पहुँचाने में लगे रहते हैं ? अब कश्मीर के लोगों को ही यह समझना होगा कि आख़िर उनके लिए उनके तथाकथित ख़ैर ख्वाह ही ऐसा क्यों करते है ? 
    सेना और अर्धसैनिक बलों को भी इस तरह के मामलों को पूरी गंभीरता से लेना होगा क्योंकि घाटी में कई बार आतंकी भी सेना की वर्दी पहन कर घूमते रहते हैं और कई बार इन आतंकियों ने भी लोगों को सेना के खिलाफ भड़काने के लिए भी लोगों पर अत्याचार किये हैं. कश्मीर के हितों को ध्यान में रखते हुए अब आम कश्मीरी को ही इन सभी मामलों में सचेत होना पड़ेगा और जब सेना और सरकार पूरे मामले की जांच करने के लिए राज़ी है और जांच चल भी रही है तो इस तरह से अतिवादी कदम उठाकर कश्मीर के आर्थिक हितों पर चोट क्यों की जा रही है ? क्या पाक में बैठे इन आतंकियों के आक़ा भी कश्मीर के हितों के बारे में सोचते हैं ? मसला साफ़ है कि आतंकी कहीं से भी आम कश्मीरी को खुश हाल नहीं देख सकते हैं और जब कश्मीरियों के पास रोज़ी रोटी का संकट हो जायेगा तो उन्हें आतंकी गतिविधियों में लगाना और भी आसान हो जायेगा. पर इस सारे मसले में केवल नुकसान आम कश्मीरी का ही हो रहा है और चंद रुपयों की ख़ातिर कुछ लोग आतंकियों के हाथों में खेलकर कश्मीर को नुक्सान पहुंचा रहे हैं.  
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