अमेरिका पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी में किस तरह से लोगों का जीने के तरीके में बड़ा बदलाव आया इस बात पर आई बीबीसी की एक रिपोर्ट से यह बात तो साफ़ हो ही जाती है कि उसके बाद से यहाँ के ज़मीनी हालात में बहुत बड़ा बदलाव आ गया है. आज कश्मीर की युवा पीढ़ी भी देश के बाकी युवाओं की तरह अपने को शिक्षित करना चाहती है पहले जहाँ केवल इस्लाम के नाम पर कुछ लोग शिक्षा का विरोध करते थे और घाटी का माहौल ख़राब होने के कारण भी लोग शिक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दे पाते थे जिससे वहां पर बहुत सारी समस्याएं बढ़ती जा रही थीं अब वहां की युवा पीढ़ी उच्च शिक्षा में विश्वास करने लगी है और केवल अच्छे माहौल से ही वहां पर रोज़गार के नए अवसर पैदा किया जा सकते हैं. देश भर में लगने वाले उद्योग धंधों से जुड़े बड़े व्यापारिक घरानों को यदि कानून से मान्यता और पूरी सुरक्षा मिले तो वे भी कश्मीर में अपने व्यापार को बढ़ावा देना चाहेंगें पर यह सब तभी संभव हो पायेगा जब इस तरह की घटनाओं को कश्मीर के लोग भी विश्वास की नियति से स्वीकार कर सकें. यह सही है कि आज कश्मीरी युवाओं के मन में भारत के प्रति भरे जा रहे विद्वेष में कमी आई है फिर भी आज भी कुछ तत्व वहां पर ऐसे भी हैं जो अपने स्वार्थ के लिए कभी भी घाटी के माहौल को ख़राब करने से नहीं चूकते हैं.
कश्मीर को जब तक केवल इस्लाम के नज़रिए से ही देखा जाता रहेगा तब तक वहां के लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव नहीं हो पायेगा. जिस तरह से आतंकी हमलों में मारे गए सैन्य अधिकारियों और सेना के जवानों के शव पूरे भारत में स्थित उनके घरों तक पहुँचते हैं और उसके बाद कश्मीर के प्रति लोगों के मन में गुस्सा बढ़ जाता है उसको भी सँभालने की ज़िम्मेदारी अब कश्मीरियों की ही है क्योंकि कश्मीर के लोगों की सुरक्षा के लिए ही ये जवान सीमा पर मुस्तैद रहा करते हैं. आतंकियों ने आम कश्मीरियों का इस्लाम के नाम पर केवल अपने लिए इस्तेमाल किया है उन्होंने ने विकास के हर पहलू को रोकने की कोशिश की है जिससे लोगों को भेदभाव की बातें करके बहलाया जा सके. अब पूरी दुनिया की तरह ही कश्मीर की भी युवा पीढ़ी अपने और कश्मीर के बारे में सोचने लगी है जिससे वहां पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद इनके पास पूरे देश क्या पूरे विश्व में काम करने के नए रास्ते भी खुल जाते हैं जो हर तरह से कश्मीर को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का काम ही किया करते हैं.
जहाँ तक ९/११ के बाद पूरी दुनिया में मुसलमानों की स्थिति के बारे में लोग चिंता जताते हैं तो उन्हें यह भी जा लेना चाहिए कि मुसलमानों के लिए यह संकट केवल इस्लाम के नाम पर नफ़रत फ़ैलाने वाले चंद लोगों ने किया है अब समय है कि पूरी दुनिया से मुसलमान इस तरह के तत्वों से सावधान रहें क्योंकि जो विश्वास का संकट बना है उसे दूर करने के लिए भी पूरी दुनिया में इस्लाम के सच्चे अनुयायियों को सामने आना ही होगा क्योंकि आज पूरी दुनिया में ९/११ की बरसी देखकर बड़े हो रहे पश्चिमी देशों के बच्चे अपने आप से ही इस्लाम के बारे में कोई राय बन लेंगें और पूरे जीवन उसी ग्रंथि के साथ जीते रहेंगे. आज विश्वास बहाली का काम मुसलमानों की तरफ़ से पश्चिमी देशों में होना चाहिए. सभी देश भारत जैसे उदार या कुछ लोगों की नज़रों में कमज़ोर नहीं होते जो किसी की हर ग़लती को माफ़ करने में ही विश्वास किया करते हैं जहाँ से पहचान और विश्वास का संकट शुरू हुआ है उसे वहीं से ख़त्म करना होगा. केवल नफ़रत के सहारे ही बढ़ने वाली पूरी इस पीढ़ी के लिए अब पूरी दुनिया में सभी को एक दूसरे पर विश्वास तो करना ही होगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कश्मीर को जब तक केवल इस्लाम के नज़रिए से ही देखा जाता रहेगा तब तक वहां के लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव नहीं हो पायेगा. जिस तरह से आतंकी हमलों में मारे गए सैन्य अधिकारियों और सेना के जवानों के शव पूरे भारत में स्थित उनके घरों तक पहुँचते हैं और उसके बाद कश्मीर के प्रति लोगों के मन में गुस्सा बढ़ जाता है उसको भी सँभालने की ज़िम्मेदारी अब कश्मीरियों की ही है क्योंकि कश्मीर के लोगों की सुरक्षा के लिए ही ये जवान सीमा पर मुस्तैद रहा करते हैं. आतंकियों ने आम कश्मीरियों का इस्लाम के नाम पर केवल अपने लिए इस्तेमाल किया है उन्होंने ने विकास के हर पहलू को रोकने की कोशिश की है जिससे लोगों को भेदभाव की बातें करके बहलाया जा सके. अब पूरी दुनिया की तरह ही कश्मीर की भी युवा पीढ़ी अपने और कश्मीर के बारे में सोचने लगी है जिससे वहां पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद इनके पास पूरे देश क्या पूरे विश्व में काम करने के नए रास्ते भी खुल जाते हैं जो हर तरह से कश्मीर को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का काम ही किया करते हैं.
जहाँ तक ९/११ के बाद पूरी दुनिया में मुसलमानों की स्थिति के बारे में लोग चिंता जताते हैं तो उन्हें यह भी जा लेना चाहिए कि मुसलमानों के लिए यह संकट केवल इस्लाम के नाम पर नफ़रत फ़ैलाने वाले चंद लोगों ने किया है अब समय है कि पूरी दुनिया से मुसलमान इस तरह के तत्वों से सावधान रहें क्योंकि जो विश्वास का संकट बना है उसे दूर करने के लिए भी पूरी दुनिया में इस्लाम के सच्चे अनुयायियों को सामने आना ही होगा क्योंकि आज पूरी दुनिया में ९/११ की बरसी देखकर बड़े हो रहे पश्चिमी देशों के बच्चे अपने आप से ही इस्लाम के बारे में कोई राय बन लेंगें और पूरे जीवन उसी ग्रंथि के साथ जीते रहेंगे. आज विश्वास बहाली का काम मुसलमानों की तरफ़ से पश्चिमी देशों में होना चाहिए. सभी देश भारत जैसे उदार या कुछ लोगों की नज़रों में कमज़ोर नहीं होते जो किसी की हर ग़लती को माफ़ करने में ही विश्वास किया करते हैं जहाँ से पहचान और विश्वास का संकट शुरू हुआ है उसे वहीं से ख़त्म करना होगा. केवल नफ़रत के सहारे ही बढ़ने वाली पूरी इस पीढ़ी के लिए अब पूरी दुनिया में सभी को एक दूसरे पर विश्वास तो करना ही होगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
very nice
जवाब देंहटाएंAsha