मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

कश्मीर पर पाक का रुख

   लगता है कि पाक ने अपने अतीत से कुछ भी न सीखने की कसम खा रखी है तभी आज भी अपने मन को सहारा देने के लिए कश्मीर एकता दिवस जैसे दिन मानाने में लगा हुआ है. पाक पीएम गिलानी ने इस तरह के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अब इस मसले को बिना जंग के सुलझाने की बातें की हैं उससे यही लगता है कि अब फिर से उन पर कोर्ट का दबाव बढ़ रहा है क्योंकि पाक में सेना और नेता कश्मीर को अपने को बचाने और जनता का ध्यान बंटाने के लिए हमेशा से ही ऐसा करते रहे हैं. पाक जनता को आजादी के समय से ही जो अफ़ीम खिलाई जा रही है उसका असर कम होते ही फिर से एक बार वहां के सभी महत्वपूर्ण लोग कश्मीर का राग गाने लगते हैं. कश्मीर पाक के लिए अनसुलझा हो सकता है पर आज भारत के लिए वह पाक समर्थित चंद लोगों की शरारत का शिकार बना इलाक़ा है. ऐसा नहीं है कि भारत के ख़िलाफ़ बोल कर पाक नेताओं को कुछ हासिल न हुआ हो पर पाक नेताओं की साज़िश के तहत कम पढ़ी लिखी जनता को फुसलाना उनके लिए हमेशा से ही बहुत महत्वपूर्ण रहा है.
     भारत की कश्मीर नीति बिलकुल सही है पर पाक ने बंटवारे के समय हुए कई मसलों को सुलझने ही नहीं दिया और आज़ादी के तुरंत बाद उसने जिस तरह से कश्मीर के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दी उससे उसे केवल नफ़रत ही हासिल हुई है और आज वह उसी नफ़रत को कट्टरपंथियों के हाथों भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि उस नफ़रत के कारण ही आज पूरे पाक में अराजकता फैली हुई है और अगर वहां के नेता या शासन केवल विकास और तालीम की बात करें तो जनता के सामने उनके झूठ के खुल जाने का ख़तरा बढ़ जाता है तो वैसे में ये सभी लोग केवल एक ही राग छेड़कर पाक की जनता को हसीन सपने दिखाते रहते हैं ? किसी की बद-दुआओं से बना कोई भी तंत्र या देश कभी सफल नहीं हो सकता है क्योंकि पाक के बनने के समय जिस तरह से निर्दोष लोगों और मासूमों पर जो भी ज़ुल्म किये गए थे उनका हिसाब भी तो पाक को ही देना होगा ? कश्मीर और पंजाब के लोगों की हाय भी पाक को कभी पनपने नहीं देगी.
       भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी भी स्थिति में पाक की इस तरह की किसी भी बात पर कोई  भरोसा नहीं किया जायेगा क्योंकि १९९९ में पाक ने कारगिल में आज़ादी के नाम पर जो कुछ भी किया उसके बाद उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. पाक को अगर कश्मीर पर कुछ करना है तो सबसे पहले वह अपनी उस नफ़रत वाली कश्मीर नीति को बदल ले और चीन के हाथों खेलना बंद करे क्योंकि जब चीन उसे झटका देगा तो उसके पास सँभालने का मौका भी नहीं होगा. चीन भारत की तरह नहीं है और वह किसी भी स्थिति में पाक को नहीं छोड़ने वाला है. पाक को अब अपने यहाँ से आतंक की जड़ों को खोदकर फ़ेंकना ही होगा क्योंकि अब जब तक वह वास्तव में धरातल पर कुछ नहीं करेगा भारत या कोई भी अन्य देश उस पर विश्वास नहीं करेगा. भारत ने परमाणु संपन्न होने के बाद भी जिस तरह से स्वनियंत्रण की नीति का निर्धारण किया है वैसा पाक नहीं कर सकता है क्योंकि वहां पर कश्मीर और इस्लामी आतंक फ़ैलाने के अलावा देश में किसी बात पर कोई समझौता नहीं है ? जब तक पाक अपने घर को ठीक नहीं करता है तब तक किसी भी तरह की कोई बातचीत सफल नहीं हो सकती है.           
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. कश्मीर एक जटिल सवाल बन गया है. हम इसे नकार तो नहीं सकते. इसका एकहिस्सा पाकिस्तान के पास है और इसकी कोई पहल या संभावना नहीं दीखती की यह वापस हिदुस्तान का हिस्सा बनाने वाला है. कश्मीर भारत का हिस्सा रहे इसके लिए सैन्य तयारी के साथ साथ भारत के अन्दर एक एस माहौल बनाना होगा जिसमे यहाँ रहने वाले मुस्लिम अपने आप को सुरक्षित, सम्मानित और विकास के दौड़ में शामिल पायें. फिर वो ही ऊँची जबान में हिंदुस्तान की वकालत करेंगे और उसके सामने पाकिस्तान का तर्क बेहत फीका लगेगा.
    आपके लेख के लिए साधुवाद.

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