मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

राष्ट्रपति के ज़रिये राय

     केंद्र सरकार ने २जी स्पेक्ट्रम विवाद में 'पहले आओ पहले पाओ' की नीति को सर्वोच्च न्यायलय द्वारा विसंगति पूर्ण घोषित करके इसके तहत दिए गए लाइसेंसों को निरस्त करने के बारे में जो निर्णय दिया है उस पर राष्ट्रपति के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय से राय मांगने का फैसला किया है. इस तरह की पुरानी चलती हुई नीति के अनुपालन से देश को स्पेक्ट्रम के कारण भारी राजस्व की हानि हुई है और इस कारण से ही न्यायालय ने पूरी नीति को ही दोषपूर्ण करार दिया है. अब इस मसले पर कुछ भी करने से पहले सरकार अपने को किसी भी तरह से पूरी तरह सुरक्षित कर लेना चाहती है जिससे आने वाले समय में उसके द्वारा बनायीं जाने वाली कोई भी नीति इस तरह के विवादों में न घिरने पाए ? अदालत के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में टिप्पणी करने से सरकार पर यह दबाव भी बना है कि वह अन्य संसाधनों के बारे में अपनी नीतियों की भी समीक्षा करे और सरकार यही सब राष्ट्रपति के ज़रिये न्यायालय से जानना चाहती है. वैसे देखा जाये तो इस स्थति में सरकार के पास करने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए ट्राई ने अपना काम शुरू कर दिया पर जिस स्तर पर इसमें विवाद हुआ है तो सरकार या ट्राई कोई भी इसमें जल्दबाजी नहीं करना चाहेगा क्योंकि अब किसी को भी किसी नए विवाद में पड़ने से बचना ही सबसे बड़ी प्राथमिकता दिखाई दे रहा है.
              इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं है कि इस नीति की १९९४ से ही समीक्षा की जाये या फिर इसे बाद के आवंटित किये गए लाइसेंस तक ही सीमित किया जाये ? इस निरस्तीकरण में कुछ ऐसे सौदे भी लटक गए हैं जिन्हें भारत के अन्य देशों के साथ हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत गारंटी दी गयी थी और सरकार इन सौदों के बारे में भी कोर्ट से यही जानना चाहती है कि इन समझौतों का क्या किया जाये ? सरकार के सामने एक संकट यह भी है कि प्राकृतिक संसाधनों के बारे में की गयी टिप्पणी पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है तो क्या अब हर ऐसे संसाधन को इस तरह से नीलामी के द्वारा ही आवंटित किया जाना चाहिए ? जिन कम्पनियों के लाइसेंस रद्द किये गए हैं उनके बारे में भी यह स्पष्ट नहीं है कि उनको क्या उस समय के शुल्क लेकर काम करने की अनुमति दे दी जाये या फिर पूरी आवंटन प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया जाये ? पूरी प्रक्रिया रद्द होने से पूरे देश में सभी कम्पनियों के लाइसेंस रद्द हो जायेगें क्योंकि सभी ने पहले आओ पहले पाओ की नीति के तहत ही काम करना शुरू किया है जिससे पूरे देश के मोबाइल नेटवर्क के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी. यह सही है कि १९९४ में जो परिस्थितियां थीं वे आज नहीं हैं उस समय सरकार को यह लगा था कि बहुत बड़ी राशि को शुल्क के रूप में वसूलने से शायद ही कोई कम्पनी इस क्षेत्र में आने चाहे इसलिए ही पहले आओ पहले पाओ की नीति बनायीं गयी थी पर अब जब सभी कम्पनियां इसमें भारी राजस्व अर्जित कर रही हैं तो उनसे भी नीलामी के तहत चुकाने वाले राजस्व के भुगतान के लिए कहा जा सकता है.  
            ऐसे में सरकार को कुछ ऐसे प्रस्ताव तैयार करने चाहिए और उन्हें अनुमोदन के लिए कोर्ट में भी प्रस्तुत करना चाहिए जिससे कोर्ट उनके गुण-दोषों को परख कर अपनी राय दे सके या फिर कोर्ट सरकार को अलग अलग समय पर स्पेक्ट्रम नीलामी की दरें घोषित करने के लिए कहे फिर जो कम्पनी इन दरों का भुगतान कर दे उसे काम करने की अनुमति दे दी जाये और इसमें विफल रहने पर उन्हें काम काज समेटने के लिए समय दे दिया जाये. इस पूरी क़वायद में यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इन नयी कम्पनियों के दूरसंचार क्षेत्र में आने के बाद ही उपभोक्ताओं को सस्ती सेवाएं मिलनी शुरू हुई थी तो कहीं ऐसा न हो कि इतने बड़े पैमाने पर लाइसेंस रद्द होने से बाकी बची हुई पुरानी कम्पनियां धीरे धीरे अपने शुल्कों में काफी बढ़ोत्तरी करने में सफल हो जाएँ और किसी ग़लत नीति का खामियाज़ा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़े ? पुरानी नीति में कमियां हो सकती हैं पर उसके द्वारा मैदान में आये खिलाड़ियों ने पूरे दूरसंचार क्षेत्र की तस्वीर ही बदल कर रख दी अब उनके सामने कुछ विकल्प अवश्य ही रखे जाने चाहिए क्योंकि स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया होने में बहुत लम्बा समय लगने वाला है तब तक इन कंपनियों के पास कुछ भी करने के लिए केवल २ जून तक का समय ही बचा हुआ है. फिलहाल उनको नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने और स्पेक्ट्रम आवंटित होने तक अपने काम को चलाने की छूट भी दी जानी चाहिए जिससे उन्हें भी काम करने के समान अवसर मिलें क्योंकि पुरानी कम्पनियों को भी लाइसेंस उसी नीति के तहत दिए गए थे जिससे नयी कम्पनियों को तो फिर वही नीति किसी के लिए सही और किसी के लिए ग़लत कैसे हो सकती है ?    
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. "पुरानी चलती हुई नीति के अनुपालन से देश को स्पेक्ट्रम के कारण भारी राजस्व की हानि हुई है"
    शब्दों का चयन ठीक नहीं. राजस्व की हानि कराई गयी है, हुई नही.

    जवाब देंहटाएं