मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

३ जी रोमिंग

                         लगता है कि देश में किसी कानून में कमी निकाल कर अपना काम निकाल लेने की नेताओं की मंशा का असर अब उद्योग समूहों पर भी पड़ने लगा है क्योंकि जिस तरह से देश की प्रमुख निजी दूर संचार क्षेत्र की कम्पनियों भारती एयरटेल, आईडिया सेल्युलर और वोडाफोन ने पूरे देश में स्पेक्ट्रम हासिल करने के स्थान पर आपस में रोमिंग समझौतों के माध्यम से अपने नेटवर्क पर ३ जी सेवाएं देना शुरू कर दिया वह अनूठा मामला ही है. इन दिग्गज कम्पनियों ने अपने संसाधनों के माध्यम से स्पेक्ट्रम जुटाने के स्थान पर दूसरे सेवा प्रदाता के साथ इस तरह से गैर कानूनी समझौते को प्राथमिकता देकर उपभोक्ताओं को ये सेवाएं देने की कोशिश की. नियमनुसार जब दूर संचार विभाग द्वारा इन पर रोक और जुर्माना लगाए जाने की बात सामने आई तो भारती ने कोर्ट में जाकर राहत मांगने की कोशिश की जिसमें उसे उस समय कुछ हद तक सफलता भी मिलती दिखाई दी पर अब दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा उसको दी गयी राहत वापस ले ली गयी है तो उन जुर्माना देने के साथ ही अनुचित सेवाएं बंद कर बेहतर सेवाएं देने का दबाव बन गया है.
                       जब देश २ जी घोटालों की जांच और उसकी प्रक्रिया निर्धारित करने में ही व्यस्त था तो उसी समय इन निजी कम्पनियों ने जिस तरह से अपने हितों के अनुसार नियमों की मनमानी व्याख्या कर आगे बढ़ने के बारे में सोच लिया था तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इस मसले पर सरकार इतने कड़े क़दम उठाकर उनके लिए इतनी समस्या खड़ी कर सकती है. देश के ज़िम्मेदार औद्योगिक घरानों को यह सोचना ही चाहिए कि यदि किसी तरह से कानून में कोई कमी दिखाई दे भी रही है तो उसका ग़लत लाभ उठाने के स्थान पर उसमें संशोधन की मांग करने के बारे में सोचना भी चाहिए और देश में किसी भी कारोबार को नीतिगत तरीके से आगे बढ़ाने के उपायों पर विचार किया जाना चाहिए. मंहगी लागत और अपने दावों पर खरी न उतर पाने के कारण आज देश में ३ जी सेवाएं पहले से ही खराब स्थिति में हैं और यदि इन निजी कम्पनियों ने इस तरह की हरकतें बंद नहीं की तो आने वाले समय में सरकार की तरफ़ से और भी कड़े कानून बनाये जा सकते हैं जो कि किसी भी तरह से स्वस्थ स्पर्धा को बढ़ाने वाले ही होंगे और जिनका इस तरह से दुरूपयोग नहीं किया जा सकेगा ?
                       २ जी सेवाओं में हुई कथिति अनियमितताओं के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी भारत संचार निगम लिमिटेड में पूरी तरह से ठहराव आ गया था जिस कारण से वह उपभोक्ताओं को आज की नई तकनीक वाली सेवाएं देने में पिछड़ सी गयी है जिसका लाभ भी इन कम्पनियों द्वारा उठाया गया क्योंकि जब एक निश्चित दायरे में सामाजिक दायित्वों की पूर्ति में लगी हुई कम्पनी इस तरह से अपने को समय के साथ नहीं चला पाती है तो उसके प्रतिद्वंदी जो केवल शुद्ध आर्थिक लाभ के लिए मैदान में हैं वे अपने स्तर से बिना कोई प्रयास किये हुए ही लाभ उठा पाने की स्थिति में आ जाते हैं. भारती पर कोर्ट द्वारा लगायी गयी यह रोक बिलकुल ही उचित है और उसे और अन्य सभी निजी क्षेत्र की कम्पनियों को इस तरह के किसी भी अनुचित रास्ते के माध्यम से कोई भी सेवा नहीं देनी चाहिए. संचार निगम में अब विस्तार का काम शुरू हो चुका है और देश की बड़ी आर्थिक ताक़त रिलायंस मुकेश अम्बानी के नेतृत्व में इस वर्ष एलटीई सेवा के माध्यम से तेज़ गति के इन्टरनेट के साथ वायस कालिंग भी देने जा रही है उस स्थिति में अब दूर संचार क्षेत्र में एक और क्रांति आने का रास्ता साफ़ हो गया है जो अनुचित काम करने वाली किसी भी कम्पनी के लिए भय का माहौल बनाने का काम ही करने वाला है.  
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