मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 25 जून 2013

रेलवे और तत्काल

                                      उत्तर रेलवे ने सीबीआई के माध्यम से संयुक्त प्रयास करके जिस तरह से रेलवे के बाबुओं समेत कुछ दलालों को पकड़ने में सफलता पाई है उससे यही लगता है कि कहीं न कहीं से रेलवे की तत्काल सेवा में भारी पैमाने पर अनियमितता की जा रही है. इस बात का अंदेशा तो बहुत दिनों से लगाया जा रहा है कि कहीं से कुछ तो अवश्य ही गड़बड़ चल रहा है जिसके चलते आम यात्रियों को तत्काल कोटे से टिकट आसानी से मिल ही नहीं पाते हैं और दलाल अपने सूत्रों के माध्यम से दोगुनी या तीन गुनी तक धनराशि वसूलने के बाद कन्फर्म टिकट से पाने की स्थिति में हमेशा ही रहा करते हैं बस उन्हें यात्री की मजबूरी पता चल जाए तो वे उसी अनुपात में टिकट खरीदने से भी उसे मजबूर करने से नहीं चूकते हैं. वैसे देखा जाये तो आरक्षण व्यवस्था में कम्प्यूटर का इस्तेमाल होने से जहाँ इसमें काफी सुलभता हुई है वहीं दूसरी तरफ़ इस तकनीक का दुरूपयोग करके कुछ लोगों ने इसे कमी का धंधा भी बना लिया है जिससे परिस्थितियां और भी विकट हो गयी हैं. तकनीक के अच्छे पहलू हैं आज वही सुगमता की राह में रोड़े खड़े करने में लगे हुए हैं.
                                          अब यह सही समय है कि आम लोगों को टिकट देने के लिए कुछ तकनीक को और भी सुदृढ़ करने की तरफ़ क़दम बढ़ाये जाएँ क्योंकि अभी तक इस पूरी सेवा में जिस तरह से गड़बड़ी पैदा करके लोगों को परेशान किया जाने लगा है उसका कोई औचित्य नहीं है और किसी भी स्तर पर इसे सुधारने के लिए आम यात्रियों से जो भी सहायता और सहयोग की अपेक्षा हो उसे भी बताया जाना चाहिए. अभी तक सबसे बड़ी गड़बड़ी यही है कि रेलवे अपनी भीड़ भाड़ वाली ट्रेनों में कितने अतिरिक्त कोच लगा रहा है इसकी कोई जानकारी नेट पर उपलब्ध नहीं होती है जबकि जिन लोगों के पास वेटिंग का टिकट है और रेलवे भीड़ के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर यह व्यवस्था करती ही रहती है पर आम लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाने के कारण दलाल वेटिंग का टिकट कन्फर्म कराने की बात कहकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूल लिया करते हैं जिससे रेलवे को तो कोई अतिरिक्त आय नहीं होती है पर दलाल पूरे धंधे में मोटी रक़म कम लिया करते हैं. किसी भी ट्रेन में अतिरिक्त कोच की संख्या जब वेटिंग के अनुसार ही निर्धारित की जाती है तो इसकी सही जानकारी भी समय से दी जानी चाहिए.
                                           इस मामले में पूरी पारदर्शिता अपनाए बिना अब किसी भी तरह से पूरी व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सकता है इसलिए अब पूरी आरक्षण प्रणाली को बिना किसी गोपनीयता के चलाये जाने की आवश्यकता है आज भी रेलवे और सरकारी कोटे में भी बड़ा खेल खेल जाता है जिस कारण से भी लोगों को कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाते हैं इस कोटे का निर्धारण भी उचित तरह से किया जाना चाहिए और सम्बंधित सांसद/ विधायक कोटे को भरने के लिए रेलवे द्वारा उनके फ़ोन पर एक रैंडम संख्या भेजी जानी चाहिए जिसे भरे बिना किसी भी टिकट को कन्फर्म न माना जाए. इससे जहाँ इस कोटे से भरे जाने में होने वाली अनियमितता पर रोक लग जाएगी वहीं दूसरी तरफ़ इन सासंदों और विधायकों को भी असली में पता चल पायेगा कि उनके कोटे से कितने टिकट खरीदे जा रहे हैं. आज तकनीक के युग में भी इनके कोटे को इनके द्वारा लिखे या अनुशंसित पत्रों के माध्यम से भरा जाता है जो कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है. इस पूरी प्रक्रिया को भारत की आवश्यकता और मक्कार लोगों के तंत्र को देखते हुए सुधारने की आवश्यकता है क्योंकि यहाँ पर किसी भी निरापद व्यवस्था में खामियां निकाल उसका दुरूपयोग करने की पुरानी बीमारी चलती ही रहती है.  
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