भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने उपभाक्ताओ के हित संरक्षण में एक क़दम आगे जाते हुए अब उन्हें यह सुविधा देने का भी प्रस्ताव किया है जिसमें वे अपनी समस्या और शिकायत को एसएमएस, ई-मेल, डाक या कुरियर के माध्यम से भी कर सकेंगें जबकि अभी तक इस तरह की शिकायतों के लिए केवल उपभोक्ता क्नेद्रों को ही फोन धारक एक मात्र स्थान समझते हैं. ट्राई की तरफ से किसी भी समस्या के समाधान न हो पाने की स्थिति में सीधे उसको शिकायत करने का अधिकार उपभोक्ताओं को पहले से ही दिया जा चुका है पर एक आंतरिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई की किसी भी उपभोक्ता द्वारा इस तरह के मसलों पर सीधे कोई शिकायत नहीं की जा रही है जिससे यह भी लगता है कि संभवतः उपभोक्ताओ के संज्ञान में यह बात है ही नहीं कि वे इस तरह से भी ट्राई से संपर्क साध सकते हैं. अपने शिकयतों के स्तर को कम रखने के लिए आम तौर पर कम्पनियां उपभोक्ताओं को मौखिक रूप से ही आश्वासन देते रहते हैं.
इस मामले में बेहतर कानूनों के साथ ही उनके बारे में प्रचार प्रसार किया जाना भी बहुत आवश्यक है क्योंकि आज भी देश में बहुत सारे उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्हें अभी भी इस बात का ज्ञान नहीं है कि वे अपने मोबाइल में मार्केटिंग की काल्स को अपनी सुविधा के अनुसार नियंत्रित भी कर सकते हैं ? ऐसे में किसी भी नए कड़े कानून के बन जाने से स्थितियों में कोई खास परिवर्तन नहीं आने वाला है क्योंकि जिन लोगों के लिए ये कानून बनाए जाते हैं उनमें से अधिकांश इससे अनभिज्ञ ही रहा करते हैं ? बेहतर होगा कि कम्पनियां अपने स्तर पर कानूनों का अनुपालन बिना किसी दबाव के करना सीखें और अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने का अपने स्तर से हर संभव प्रयास भी करें. कोई भी कम्पनी अपने ग्राहकों को आसानी से नहीं छोड़ना चाहती है पर आज की परिस्थितियों में कम्पनियों ने जिस तरह से मनमानी शुरू कर दी है उस पर अंकुश लगाने के लिए कड़े प्रयास आवश्यक हैं क्योंकि देश में अभी भी स्वेच्छा से कम करने की संस्कृति पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई है और उसके प्रभावी होने तक ट्राई को इस तरह के प्रयास करने में लगना ही पड़ेगा.
इस तरह से बनने वाली नई व्यवस्था से यदि उपभोक्ताओं को कुछ वास्तविक लाभ मिलना शुरू हो सके तो ही यह प्रयास सफल कहा जा सकेगा क्योंकि आज तक जितने भी प्रयास किसी भी स्तर पर किए जाते रहे हैं उनका कोई न कोई तोड़ इन कम्पनियों द्वारा निकाल लिया जाता है और उन कानूनों का कोई मतलब भी नहीं रह जाता है. केवल कानूनों के स्थान पर बेहतर प्रबंधन के माध्यम से ही ग्राहकों को उच्च स्तरीय सेवाएं मिल सकती हैं और जिनका लाभ भी कम्पनी और ग्राहकों दोनों को मिल सकता है. ट्राई की भूमिका यदि केवल एक नियामक की ही रहे तो ही अच्छा है और वह कम्पनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने को मजबूर न हो क्योंकि इन सभी के बेहतर समन्वय से ही देश में पूरे दूरसंचार क्षेत्र को तेज़ गति से आगे बढ़ाने में सफलता मिल सकती है और बिना इस तरह का सामंजस्य बनाए केवल कानून के सहारे एक दूसरे की कमियों को ढूँढने के लिए तत्पर रहने से जहाँ तनाव बढ़ेगा वहीं दूसरी तरफ इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर भी ग्रहण लगता दिखाई देगा और आज के समय में देश के तेज़ी से अब्ध्ते इस उद्योग को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी इस क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति और कम्पनी पर ही है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
इस मामले में बेहतर कानूनों के साथ ही उनके बारे में प्रचार प्रसार किया जाना भी बहुत आवश्यक है क्योंकि आज भी देश में बहुत सारे उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्हें अभी भी इस बात का ज्ञान नहीं है कि वे अपने मोबाइल में मार्केटिंग की काल्स को अपनी सुविधा के अनुसार नियंत्रित भी कर सकते हैं ? ऐसे में किसी भी नए कड़े कानून के बन जाने से स्थितियों में कोई खास परिवर्तन नहीं आने वाला है क्योंकि जिन लोगों के लिए ये कानून बनाए जाते हैं उनमें से अधिकांश इससे अनभिज्ञ ही रहा करते हैं ? बेहतर होगा कि कम्पनियां अपने स्तर पर कानूनों का अनुपालन बिना किसी दबाव के करना सीखें और अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने का अपने स्तर से हर संभव प्रयास भी करें. कोई भी कम्पनी अपने ग्राहकों को आसानी से नहीं छोड़ना चाहती है पर आज की परिस्थितियों में कम्पनियों ने जिस तरह से मनमानी शुरू कर दी है उस पर अंकुश लगाने के लिए कड़े प्रयास आवश्यक हैं क्योंकि देश में अभी भी स्वेच्छा से कम करने की संस्कृति पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई है और उसके प्रभावी होने तक ट्राई को इस तरह के प्रयास करने में लगना ही पड़ेगा.
इस तरह से बनने वाली नई व्यवस्था से यदि उपभोक्ताओं को कुछ वास्तविक लाभ मिलना शुरू हो सके तो ही यह प्रयास सफल कहा जा सकेगा क्योंकि आज तक जितने भी प्रयास किसी भी स्तर पर किए जाते रहे हैं उनका कोई न कोई तोड़ इन कम्पनियों द्वारा निकाल लिया जाता है और उन कानूनों का कोई मतलब भी नहीं रह जाता है. केवल कानूनों के स्थान पर बेहतर प्रबंधन के माध्यम से ही ग्राहकों को उच्च स्तरीय सेवाएं मिल सकती हैं और जिनका लाभ भी कम्पनी और ग्राहकों दोनों को मिल सकता है. ट्राई की भूमिका यदि केवल एक नियामक की ही रहे तो ही अच्छा है और वह कम्पनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने को मजबूर न हो क्योंकि इन सभी के बेहतर समन्वय से ही देश में पूरे दूरसंचार क्षेत्र को तेज़ गति से आगे बढ़ाने में सफलता मिल सकती है और बिना इस तरह का सामंजस्य बनाए केवल कानून के सहारे एक दूसरे की कमियों को ढूँढने के लिए तत्पर रहने से जहाँ तनाव बढ़ेगा वहीं दूसरी तरफ इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर भी ग्रहण लगता दिखाई देगा और आज के समय में देश के तेज़ी से अब्ध्ते इस उद्योग को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी इस क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति और कम्पनी पर ही है.
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