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रविवार, 7 जुलाई 2013

यूपी और स्वास्थ्य विभाग

                                   राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में धन के आवंटन के बाद भी जनता तक सुविधाएँ न पहुँच पाने की स्थितियों को सँभालने में लगी हुई केंद्र सरकार ने जिस तरह से आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर आशा बहुओं और एएनएम तक आम जनता और विभाग की पहुँच बनाने के लिए सीयूजी नेटवर्क बनाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है इससे जहाँ एक तरफ स्वास्थ्य विभाग के इन निचले स्तर के कर्मचारियों तक सरकार की पहुँच हो जाएगी वहीं दूसरी तरफ़ आम लोगों को भी इन लोगों तक आवश्यकता पड़ने पर संपर्क करने में आसानी होने लगेगी. इस परियोजना का शुभारम्भ पूरे देश में यूपी से ही शुरू किया जा रहा है क्योंकि इसके लिए सबसे पहले आगे आने वाले राज्य के रूप में यूपी ही सामने आया और एनआरएचएम में पिछले कुछ वर्षों में धन का दुरूपयोग सबसे अधिक इसी राज्य में हुआ और पैसे की बंदरबांट में सीएमओ स्तर के दो अधिकारियों की राजधानी में हत्या तक कर दी गयी. वर्तमान में यूपी की स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्तापरक सुधार महसूस भी किया जा रहा है क्योंकि शायद एक लम्बे अरसे बाद इस विभाग के पास एक गंभीरता से काम करने वाले मंत्री के रूप में पूर्व आईपीएस अधिकारी अहमद हसन उपलब्ध हैं.
                                    यूपी में आज भी जिस तरह से हर व्यक्ति को सरकारी नौकरी चाहिए और काम करने के नाम पर उसे कुछ भी न करना पड़े यह एक ऐसी बीमारी हो चुकी है जिससे पार पाना अब किसी भी सरकार के लिए बिना सख्ती किए संभव नहीं था और वर्तमान में इस से निपटने के लिए जिस तरह से अहमद हसन ने पहले ऊपरी स्तर से पेंच कसने शुरू किए उसका असर यह हुआ कि अस्पतालों में आज रोगियों के लिए प्रचुर मात्रा में दवाइयों की उपलब्धता हो चुकी है इसके बाद उन्होंने जिला और उच्चीकृत स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनाती पाए चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की तरफ़ सख्ती से ध्यान देना शुरू किया जिसका असर आज सरकारी अस्पतालों में बदलाव के रूप में दिखाई देने लगा है पर अब भी इस बिगड़े हुए प्रदेश में बहुत कुछ सुधारना आवश्यक है जिसके लिए हसन एक कठोर प्रशासक के रूप में सख्ती से काम करने में लगे हुए हैं और आज उनकी दृढ इच्छा शक्ति का परिणाम पूरे प्रदेश में कहीं का कहीं से थोड़ा बहुत दिखाई भी देने लगा है.
                                  किसी भी बड़े बदलाव के समय सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जिस तरह से अपने गोटियाँ बैठाकर नौकरी करने में विश्वास रखा करते थे आज उनके लिए काम करने में कुछ दिक्कत अवश्य ही हो रही है क्योंकि सभी को अपनी तैनाती वाली जगहों पर जाना ही पड़ता है जबकि अभी तक वे तैनाती स्थल के आस पास के किसी बड़े शहर के निजी नर्सिंग होम में काम किया करते थे और आम जनता के लिए उनकी उपलब्धता लगभग शून्य ही हुआ करती थी. आज जिस तरह से पूरे विभाग में निचले स्तर तक तकनीक का उपयोग करने की दिशा में यूपी सरकार और केंद्र सरकार मिलाकर काम करना शुरू कर चुकी हैं उससे लोगों को निश्चित तौर पर बहुत लाभ भी मिलेगा. किसी भी बड़ी सरकारी परियोजना के लिए बड़े और महत्वपूर्ण मंत्रालयों में जिस स्तर पर राज्य मंत्रियों की तैनाती होनी चाहिए आज देश के राजनैतिक दल और पार्टियाँ उसे भूल चुकी हैं जिसका सीधा दुष्परिणाम आज दिखाई देता है और कुछ विभागों को छोड़कर अन्य जगहों पर काम होता हुआ नहीं दिखाई देता है या फिर केवल उन्हीं लोगों का काम होता है जो किसी भी प्रकार से काम करने में माहिर होते हैं. फिलहाल हो सकता है कि हर मामले में बदनाम रहा यूपी आने वाले समय में पूरे देश के स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक आदर्श के रूप में विकसित हो जाए और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिलने लगें.                                              

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